आज का चिंतन(सुविचार) - fastnewsharpal.com
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आज का चिंतन(सुविचार)

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..09-02-2021*..🎋


✍🏻जीवन में श्वास और विश्वास की एक समान जरूरत होती है , श्वास खत्म तो जिंदगी का अंत और विश्वास खत्म तो संबंधो का अंत।

💐 *Brahma Kumaris* 💐

🌷 *ॐ शान्ति*🌷

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  💥 *विचार परिवर्तन*💥

✍🏻अच्छे के साथ अच्छे बनें किन्तु बुरे के साथ बुरा नहीं क्योंकि हीरे से तो हीरा तराशा जा सकता है परंतु कीचड़ से कभी कीचड़ साफ नहीं होता। इसलिए हीरे के समान बनें न कि कीचड़।

🌹 *σм ѕнαитι.*🌹


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💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*09 फरबरी:-*_ जब हमारा सम्बन्ध भगवान् से निरंतर होता है तब जीवन कीचड़ में कमल  समान हो जाता है।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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ओम शान्ति
 *हम होते ही कौन हैं , मालिक के काम में दखलअंदाज़ी करने वाले ....*
*जो कुछ हो रहा है , उस मालिक की मर्ज़ी से ही तो हो रहा है ..*
*इसलिये कभी जीवन में दुःख भी आ जायें तो चिन्ता नहीं करनी चाहिये ..*
*क्योंकि उसकी ☝🏻गत वो ही जाने , न जाने कौन से कर्म कटवाने होंगे , कौनसा लेनदेन चुकता करना होगा , हमें क्या खबर ?*
*इसलिये मालिक की रज़ा में राज़ी रहने में ही समझदारी है ..*
*मालिक के कहे में रहना सीखें हम लोग ...और बाकी सब कुछ उस परमपिता परमात्मा पर छोड़ दें , विश्वास रखें बस ... अपने विश्वास को डगमगाने बिल्कुल ना दें ... फिर देखें कि कैसे हमें मालिक इन दुःखों को सहन करने शक्ति हमें बख्शते हैं ...*
*सहनशक्ति तो क्या मालिक इन दुःखों को कैसे पहाड़ से राई में तब्दील कर देते हैं , हमें पता तक नहीं चलता ...*
*बस जरूरत है अटूट विश्वास और सच्ची सेवा की , जिसकी ओर तो हम लोगों का बहुत कम ध्यान जाता है ....*
*इसलिये हम लोग ये प्रण करें कि उठते-बैठते , सोते-जागते ,चलते-फिरते , खाते-पीते , काम-काज करते , कभी-भी , कहीं-भी अपनी असली कमाई यानी सिमरन की ओर ध्यान दें ....ना कि बाकी की फालतू और बेमतलब की चीज़ों की ओर .....*
*फिर देखें कि सच्चा सुख क्या होता है....*
ॐ शांति
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एक मछली छोटे तालाब में अपने परिवार के साथ रहती थी ! 

तालाब में पानी कभी भी सुख जाता था तो उस परमपिता परमेश्वर को याद करती थी !

 एक दिन तेज़ तूफ़ान और बारिश आयी जिससे मछली का परिवार बहकर नदी में बहने लगा और मछली ने व् उसके परिवार ने नदी के विपरीत दिशा में बहने की काफी कोशिश् की और थक हारकर नदी के प्रवाह में ही बहकर ईश्वर को खूब कोसा और भला बुरा कहा !

कुछ दिन में ही समुन्दर में पहुच गये। और वहाँ जाकर उनको अहसास हुआ क़ि ईस्वर ने हमको दरीया से निकालकर विशालता में ला दिया उसने हमारे जीवन में तूफ़ान लाकर अपने विशाल स्वरुप से जोड़ दिया ।अत: हर पल उसकी रजा में राजी रहो वो पूरा समुन्दर दे रहा है और हम एक चम्मच लेकर खड़े है ।हम उसके हर कार्य के लिए कोसते रहते है nagetive सोचते रहते है ।

अपनी सोच बदलो हर पल positive सोचो एक माँ अपने बच्चे का एक पल के लिए भी बुरा नहीं सोच सकती तो फिर वो पालनहार कैसे बुरा क्ऱ सकता है|


             ओम शांति


♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️


*भक्ति* 🏵️

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एक बार लक्ष्मी और नारायण धरा पर घूमने आए,कुछ समय घूम कर वो विश्राम के लिए एक बगीचे में जाकर बैठ गए।नारायण आंख बंद कर लेट गए,लक्ष्मी जी बैठ नज़ारे देखने लगीं।

थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा एक आदमी शराब के नशे में धुत गाना गाते जा रहा था,उस आदमी को अचानक ठोकर लगी, ......

तो उस पत्थर को लात मारने और अपशब्द कहने लगा,लक्ष्मी जी को बुरा लगा, अचानक उसकी ठोकरों से पत्थर हट गया,वहां से एक पोटली निकली उसने उठा कर देखा तो उसमें हीरे जवाहरात भरे थे,वो खुशी से नाचने लगा और पोटली उठा चलता बना।

लक्ष्मी जी हैरान हुई,उन्होंने पाया ये इंसान बहुत झूठा,चोर और शराबी है।सारे ग़लत काम करता है,इसे भला ईश्वर ने कृपा के काबिल क्यों समझा,उन्होंने नारायण की तरफ देखा,मगर वो आंखें बंद किये मगन थे।

तभी लक्ष्मी जी ने एक और व्यक्ति को आते देखा,बहुत ग़रीब लगता था,मगर उसके चेहरे पे तेज़ और ख़ुशी थी,कपडे साफ़ मगर पुराने थे,ljktतभी उससे व्यक्ति के पांव में एक बहुत बड़ा शूल यानि कांटा घुस गया,ख़ून के फव्वारे बह निकले, उसने हिम्मत कर उस कांटे को निकाला,पांव में गमछा बाँधा,प्रभु को हाथ जोड़ धन्यवाद दे लंगड़ाता हुआ चल दिया।इतने अच्छे व्यक्ति की ये दशा।उन्होंने पाया नारायण अब भी आँख बंद किये पड़े हैं मज़े से।

उन्हें अपने भक्त के साथ ये भेद भाव पसंद नहीं आया,उन्होंने नारायण जी को हिलाकर उठाया,नारायण आँखें खोल मुस्काये।लक्ष्मी जी ने उस घटना का राज़ पूछा।तो नारायण ने जवाब में कहा।


लोग मेरी कार्यशैली नहीं समझे।

मैं किसी को दुःख या सुख नहीं देता वो तो इंसान अपनी करनी से पाता है।

यूं समझ लो मैं एक accountant हूं।

सिर्फ ये हिसाब रखता हूं।

किसको किस कर्म के लिए कब या किस जन्म में अपने पाप या पुण्य अनुसार क्या फल मिलेगा।

जिस अधर्मी को सोने की पोटली मिली, दरअसल आज उसे उस वक़्त पूर्व जन्म के सुकर्मों के लिए,पूरा राज्य भाग मिलना था मगर उसने इससे जन्म में इतने विकर्म

किये कि पूरे राज्य का मिलने वाला खज़ाना घट कर एक पोटली सोना रह गया।

और उस भले व्यक्ति ने पूर्व जन्म में इतने पाप करके शरीर छोड़ा था कि आज उसे शूली यानि फांसी पर चढ़ाया जाना था  मगर इस जन्म के पुण्य कर्मो की वजह से शूली एक शूल में बदल गई।


अर्थात 

ज्ञानी को कांटा चुभे तो उसे कष्ट होता है, दर्द तो होता,मगर वो दुखी नहीं होता।दूसरों की तरह वो भगवान को नहीं कोसता, बल्कि हर तकलीफ को प्रभु इच्छा मान इसमें भी कोई भला होगा मानकर हर कष्ट सह कर भी प्रभु का धन्यवाद करता है।


तो आगे से आप भी किसी तकलीफ में हो तो विचारिये?

सिर्फ़ कष्ट में हैं या दुःखी हैं।


*सच्चे दिल से प्रभु पर विश्वास से आपकी आधी सज़ा माफ़ हो जाती है और बाक़ी तकलीफ सहने के लिए परमात्मा आपको उसे ख़ुशी ख़ुशी झेलने की हिम्मत और मार्गदर्शन देते हैं।*

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