हांथीयो के दल ने तबाही मचा कर निकल गया 6 माह बीत जाने के बाद आज तक पीड़ित बुजुर्ग को कोई सरकारी मदद नही मिली है, आज वो टूटे मकान में पॉलीथिन के छाँव के नीचे रहने को है मजबूर
हांथीयो के दल ने तबाही मचा कर निकल गया 6 माह बीत जाने के बाद आज तक पीड़ित बुजुर्ग को कोई सरकारी मदद नही मिली है, आज वो टूटे मकान में पॉलीथिन के छाँव के नीचे रहने को है मजबूर
जयलाल प्रजापति/नगरी
धमतरी क्षेत्र में हाथियों का दल तबाही मचा कर निकल गया, इसमे राम रतन ध्रुव का सब कुछ उजड़ गया, आज 6 माह बीत जाने के बाद आज तक पीड़ित बुजुर्ग को कोई सरकारी मदद नही मिली है, आज वो टूटे मकान में पॉलीथिन की छत के नीचे रहने को मजबूर है और जीवन चलाने अपनी भैंसों को बेचने को मजबूर है।
धमतरी मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर बसा है, खुदुर पानी गाव, और इस गांव का 70 साल का राम रतन ध्रुव, आज बेघर हो चूका है, बीते फरवरी माह में हाथियों के दल ने राम रतन के मकान को तहस नहस कर दिया, घर मे रखा सारा धान और चावल खा गए, हाथियों से जान बचा कर भागने में रामरतन जरूर कामयाब रहा, लेकिन हाथियों के जाने के बाद जब वो लौटा तो, घर की ईंटो के साथ, खाने और रहने का सहारा भी बिखर चुका था, खेत की फसल चौपट हो चुकी थी, एक झटके में राम रतन आसमान की नीचे आ गया था, आज वो अपने टूटे मकान की बची हुई इकलौती दीवार से पॉलीथिन बांध कर उसके नीचे ही अपना आशियाना बना कर रह रहा है, जंगल की लकड़ी और पत्थरों से बने चूल्हे से खाना बनाता है, उसके पास 15 भैंस थी अब 4 ही बची है, बाकी उसे खर्च के लिए बेचने पड़ गए, आज दुर्गम रास्तो से होकर कोई भी आता है तो रामरतन उसे सरकारी अधिकारी समझता है, क्योंकि उसे बताया गया था कि, सरकार उसे नुकसान के बदले मुआवजा देगी, लेकिन सरकारी कामकाज में सुस्ती की ये इंतेहा ही कही जाएगी कि 6 माह बीतने के बाद भी, प्रकरण तक जमा नही हुआ है,
वनविभाग के मुताबिक राजस्व विभाग के कारण देर ज्यादा हो गई, पटवारी की लापरवाही से प्रकरण वनविभाग तक पहुँच ही नही पाया, अब आला अफसरों की सख्ती के बाद मैदानी अमला हरकत में आया है, और मुआवजे का प्रकरण अपने अंजाम के करीब है।
.. तस्वीर साफ है, और बात भी बिल्कुल मुुुख़्तसर है, कि विकास, अंतिम व्यक्ति का कल्याण, गरीबो का उद्धार, ये सब चुनावी जुमले है, सरकार क्या है, कहा है, कितनी है, अगर ये जानना है तो, राम रतन जैसे अंतिम छोर पर रहने वाले व्यक्ति की कहानी सुन लीजिए।