आज का सुविचार(चिन्तन)
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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠
🎋 *..11-08-2021*..🎋
*कभी कभी अपने ही**अपनों का ऐसा तमाशा बनाते हैं*
*कि अपने कहलाने के लायक नही रहते।
💐 *Brahma Kumaris Daily Vichar* 💐
🌷 *σм ѕнαитι*🌷
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💥 *विचार परिवर्तन*💥
✍🏻सफलता कभी भी नित्य नहीं होती है, असफलता कभी अंत नहीं होता, इसलिए हमेशा कभी प्रयास बंद न करें, जब तक की आपकी जीत एक इतिहास न बना दे।
🌹 *Brahma Kumaris Daily Vichar*🌹
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*दैनिक स्थिरता युक्ति #60*
_🥗 शाकाहारी बने_
आइए एक साल की शुरुआत बिग बैंग से करते हैं।
🔥 अगर आपने अभी तक वीगन नहीं माना है, तो आज का दिन शुरुआत करने के लिए अच्छा है।
*हाँ यह आसान नहीं है लेकिन मुश्किल भी नहीं है।*
☑️ यदि आप पूरी तरह से स्विच नहीं कर सकते हैं तो *सप्ताह में एक बार भोजन करें और फिर धीरे-धीरे बढ़ाएं* या पहले चरण में *शाकाहारी बनने का प्रयास करें और फिर शाकाहारी बनें।*
🥦 शाकाहारी बनना न केवल *पर्यावरण के लिए अच्छा है बल्कि अहिंसा को भी बढ़ावा देता है - _जियो और दूसरे को जीने दो।_*
🌎 इंटरनेट पर कई लेख और वीडियो हैं जो *शाकाहारी बनने के पर्यावरणीय और स्वास्थ्य लाभों पर प्रकाश डालते हैं।*
💪 मुझे यकीन है कि आप जानते हैं कि *कुछ बेहतरीन खिलाड़ी और मशहूर हस्तियां* स्वस्थ जीवन का आनंद लेने के लिए शाकाहारी बन गए हैं।
✅ तो एक पहला कदम उठाएं और आज ही शुरू करें।
*🥕 हर बाइट मायने रखता है - शाकाहारी बनें*
ओम शांति ब्रह्मा मुख द्वारा निराकार शिव भगवानुवाच l ♥
🐣मीठे बच्चों 2500 वर्ष, 21 जन्मों तक था तुम्हारा, पवित्र सुख शांति का जीवन l सभी करते थे एक दूसरे को, दिल से नमन l 🙏🏼
💐खुशबूदार फूलों का बगीचा था, यह सारा चमन l हर प्रकार की खुशियों से भरपूर था, संसार का आंगन l सर्व के साथ संबंध थे हमारे, शुद्ध पावन l 🌄
👨🏻🦳मर्यादा पुरुषोत्तम, स्वतंत्र थे हम, नहीं था किसी भी प्रकार का बंधन l सदा पावन शीतल थे, हमारे रूहानी नयन l सर्व गुणों से, सर्व शक्तियों से, थे हम संपन्न l 🤴🏻
🦚प्रकृति का हर तत्व भी देता था हमें सुखचैन l हीरे मोती सोने का था, बेशुमार धन l हमारे भव्य श्रृंगार का क्या करें वर्णन l🙏🏼
🤴🏻आज भी हम देवताओं की मूर्तियों का, कितना करते हैं श्रृंगार भक्तजनl कितना होता है हमारा, गायन और पूजन l सभी मांगते हैं हमसे ही, सुख शांति और धन l 👑
☸️2500 वर्ष के बाद दुनिया में आया, हम आत्माओं का सबसे बड़ा दुश्मन l ☠️
☄️कहते हैं उसको, पांच विकारों रूपी रावण l जिसका पुतला बनाकर, भारत में हर वर्ष करते हैं दहन l 🔥
🤝🏻आज दोस्त बनकर, सभी के अंदर बैठा है वह दुश्मन l उसने ही उजाड़ दिया है, पवित्रता सुख शांति का जीवन l 🌿
🌿यह पावन खुशबूदार संसार रूपी चमन, आज बन गया है दुखदाई कांटों का वन l 🪵
💦आप कितने भी गंगा स्नान करो, या कितनी भी करो भक्ति, भक्त बन l 🔥
👺यह रावण दिन प्रतिदिन, करता ही आया है, सभी का पतन l ☠️
🌸अभी भगवान बाप आए हैं, प्रिय भारत वतन l 🌸
👺अब रावण जलेगा तब, जब एक भगवान बाप की याद में रहोगे मगन l 😊
🧎🏻उनके ही ज्ञान का करोगे, मनन चिंतन l मीठे बाबा की याद से ही टूटेंगे, माया रावण के सारे बंधन l 🧩
🇲🇰भगवान बाप फिर से कर रहे हैं, हमारे लिए स्वर्ग स्थापन
🎱बाकी सब पतित आत्माएं सजाए खाकर वापिस जाएगी, मुक्तिधाम, मूल वतन l🎯
💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*11 अगस्त:-*_ ज्ञान का जितना भाग व्यवहार में लाया जा सके वही सार्थक है,अन्यथा वो गधे पर लदे बोज़ के समान है ।
🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
💥🇲🇰💥🇲🇰💥🇲🇰💥🇲🇰💥🇲🇰
*👏एक मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाला कलाकार ईश्वर से कहता है.....*
*"प्रभु तू भी एक कलाकार है और मैं भी एक कलाकार हूँ,*
*तूने मुझ जैसे असंख्य पुतले बनाकर इस धरती पर भेजे हैं,*
*और मैंने तेरे असंख्य पुतले बना कर इस घरती पर बेचे हैं।*
*पर ईश्वर उस समय बड़ी शर्म आती है, जब तेरे बनाये हुए पुतले आपस में लड़ते हैं*
*और मेरे बनाये हुए पुतलों के सामने लोग शीश झुकाते हैं"*.
ओम शांति
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🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 *भगवान् को स्मरण कैसे करें?*
*ऐसे करो, जैसे प्यास से व्याकुल मनुष्य जल का स्मरण करता है |*
*ऐसे करो, जैसे भूख से सताया हुआ मनुष्य भोजन का स्मरण करता है |*
*ऐसे करो, जैसे घर भूला हुआ मनुष्य घर का स्मरण करता है |*
*ऐसे करो, जैसे थका हुआ मनुष्य विश्रामका स्मरण करता है |*
*ऐसे करो, जैसे भय से कातर मनुष्य शरण देने वाले का स्मरण करता है |*
*ऐसे करो, जैसे डूबता हुआ मनुष्य जीवन रक्षा का स्मरण करता है |*
*ऐसे करो, जैसे दम घुटने पर मनुष्य वायु का स्मरण करता है |*
*ऐसे करो, जैसे परीक्षार्थी परीक्षा के विषय का स्मरण करता है |*
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☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️☀️ *जिस तरह मकड़ी अपना जाला आप ही बुनती है और फिर उसी में फंसी रहती है इसी तरह हम भी अपनी हर अच्छी बुरी परिस्थिति का निर्माण स्वयं करते हैं फिर उसी में सुख-दुःख का अनुभव करते हुए अपने सम्पूर्ण जीवन को हंसते-रोते, निरुद्देश्य सूक्ष्म बनाते रहते हैं,*
*हम मानते है कि हमारे प्रतिकूल स्थिति के निर्माता कोई और है, इसी कारण हम उसका निदान भी अपने अंदर न ढूंढ़ कर बाह्य कारणों पर दोषारोपण करते रहते और हम दु:ख के दलदल से जीवन भर नहीं निकल पाते क्यूंकि हमारा उद्देश्य अपने दु:ख के लिए दोषी खोजना ही हो जाता उसका हल नहीं ……*
🌷 *ओम शांति*🌷
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🙏 *ॐ शांति* 🙏
*आत्मा* और *शरीर* दोनों का स्वस्थ होना अनिवार्य है। भगवान का मनमोहक ज्ञान और आकर्षक अनुभव हमें अपने शरीर से थोड़ा *विमुख* कर देता है। इसलिये अपने शरीर को साफ व स्वस्थ रखें क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वच्छ आत्मा *निवास* कर सकती है।
🌸 सुप्रभात...
💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐
♦️♦️♦️रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️
👉 बुढ़ापे का बचपन 🏵️ *
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*मोहन बेटा ! मैं तुम्हारे काका के घर जा रहा हूँ।*
*क्यों पिताजी ?*
*और आप आजकल काका के घर बहुत जा रहे हो ...? तुम्हारा मन मान रहा हो तो चले जाओ ... पिताजी ! लो ये पैसे रख लो, काम आएंगे।*
*पिताजी का मन भर आया . उन्हें आज अपने बेटे को दिए गए संस्कार लौटते नजर आ रहे थे।*
*जब मोहन स्कूल जाता था ... वह पिताजी से जेब खर्च लेने में हमेशा हिचकता था, क्यों कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पिताजी मजदूरी करके बड़ी मुश्किल से घर चला पाते थे ... पर माँ फिर भी उसकी जेब में कुछ सिक्के डाल देती थी ... जबकि वह बार-बार मना करता था।*
*मोहन की पत्नी का स्वभाव भी उसके पिताजी की तरफ कुछ खास अच्छा नहीं था। वह रोज पिताजी की आदतों के बारे में कहासुनी करती थी ... उसे ये बडों की टोका टाकी पसन्द नही थी ... बच्चे भी दादा के कमरे में नहीं जाते, मोहन को भी देर से आने के कारण बात करने का समय नहीं मिलता।*
*एक दिन पिताजी का पीछा किया ... आखिर पिताजी को काका के घर जाने की इतनी जल्दी क्यों रहती है ? वह यह देख कर हैरान रह गया कि पिताजी तो काका के घर जाते ही नहीं हैं ! !!*
*वह तो स्टेशन पर एकान्त में शून्य एक पेड़ के सहारे घंटों बैठे रहते थे। तभी पास खड़े एक बजुर्ग, जो यह सब देख रहे थे, उन्होंने कहा ... बेटा...! क्या देख रहे हो ?*
*जी....! वो ।*
*अच्छा, तुम उस बूढ़े आदमी को देख रहे हो....? वो यहाँ अक्सर आते हैं और घंटों पेड़ तले बैठ कर सांझ ढले अपने घर लौट जाते हैं . किसी अच्छे सभ्रांत घर के लगते हैं।*
*बेटा ...! ऐसे एक नहीं अनेकों बुजुर्ग माएँ बुजुर्ग पिता तुम्हें यहाँ आसपास मिल जाएंगे !*
*जी, मगर क्यों ?*
*बेटा ...! जब घर में बड़े बुजुर्गों को प्यार नहीं मिलता.... उन्हें बहुत अकेलापन महसूस होता है, तो वे यहाँ वहाँ बैठ कर अपना समय काटा करते हैं !*
*वैसे क्या तुम्हें पता है.... बुढ़ापे में इन्सान का मन बिल्कुल बच्चे जैसा हो जाता है । उस समय उन्हें अधिक प्यार और सम्मान की जरूरत पड़ती है , पर परिवार के सदस्य इस बात को समझ नहीं पाते।*
*वो यही समझते हैं कि इन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है फिर उन्हें अकेला छोड देते हैं . कहीं साथ ले जाने से कतराते हैं . बात करना तो दूर अक्सर उनकी राय भी उन्हें कड़वी लगती है। जब कि वही बुजुर्ग अपने बच्चों को अपने अनुभवों से आने वाले संकटों और परेशानियों से बचाने के लिए सटीक सलाह देते है।*
*घर लौट कर मोहन ने किसी से कुछ नहीं कहा। जब पिताजी लौटे, मोहन घर के सभी सदस्यों को देखता रहा .*
*किसी को भी पिताजी की चिन्ता नहीं थी।पिताजी से कोई बात नहीं करता, कोई हंसता खेलता नहीं था . जैसे पिताजी का घर में कोई अस्तित्व ही न हो ! ऐसे परिवार में पत्नी बच्चे सभी पिताजी को इग्नोर करते हुए दिखे !*
*सबको राह दिखाने के लिऐ आखिर मोहन ने भी अपनी पत्नी और बच्चों से बोलना बन्द कर दिया ... वो काम पर जाता और वापस आता किसी से कोई बातचीत नही ...! बच्चे पत्नी बोलने की कोशिश भी करते , तो वह भी इग्नोर कर काम मे डूबे रहने का नाटक करता ! !! तीन दिन मे सभी परेशान हो उठे... पत्नी, बच्चे इस उदासी का कारण जानना चाहते थे।*
*मोहन ने अपने परिवार को अपने पास बिठाया। उन्हें प्यार से समझाया कि मैंने तुम से चार दिन बात नहीं की तो तुम कितने परेशान हो गए ? अब सोचो तुम पिताजी के साथ ऐसा व्यवहार करके उन्हें कितना दुख दे रहे हो ?*
*मेरे पिताजी मुझे जान से प्यारे हैं। जैसे तुम्हें तुम्हारी माँ ! और फिर पिताजी के अकेले स्टेशन जाकर घंटों बैठकर रोने की बात बताई। सभी को अपने बुरे व्यवहार का खेद था .*
*उस दिन जैसे ही पिताजी शाम को घर लौटे, तीनों बच्चे उनसे चिपट गए ...! दादा जी ! आज हम आपके पास बैठेंगे...! कोई किस्सा कहानी सुनाओ ना।*
*पिताजी की आँखें भीग आई। वो बच्चों को लिपटकर उन्हें प्यार करने लगे। और फिर जो किस्से कहानियों का दौर शुरू हुआ वो घंटों चला . इस बीच मोहन की पत्नी उनके लिए फल तो कभी चाय नमकीन लेकर आती .*
*पिताजी बच्चों और मोहन के साथ स्वयं भी खाते और बच्चों को भी खिलाते। अब घर का माहौल पूरी तरह बदल गया था ! !!*
*एक दिन मोहन बोला , पिताजी...! क्या बात है ! आजकल काका के घर नहीं जा रहे हो ...? नहीं बेटा ! अब तो अपना घर ही स्वर्ग लगता है ...! !!*
*आज सभी में तो नहीं, लेकिन अधिकांश परिवारों के बुजुर्गों की यही कहानी है . बहुधा आस पास के बगीचों में , बस अड्डे पर , नजदीकी रेल्वे स्टेशन पर परिवार से तिरस्कृत भरे पूरे परिवार में एकाकी जीवन बिताते हुए ऐसे कई बुजुर्ग देखने को मिल जाएंगे .*
*आप भी कभी न कभी अवश्य बूढ़े होंगे . आज नहीं तो कुछ वर्षों बाद होंगे . जीवन का सबसे बड़ा संकट है बुढ़ापा ! घर के बुजुर्ग ऐसे बूढ़े वृक्ष हैं , जो बेशक फल न देते हों पर छाँव तो देते ही हैं !*
*अपना बुढापा खुशहाल बनाने के लिए बुजुर्गों को अकेलापन महसूस न होने दीजिये , उनका सम्मान भले ही न कर पाएँ , पर उन्हें तिरस्कृत मत कीजिये . उनका खयाल रखिये।*
*_और ध्यान रखियेगा की आपके बच्चे भी आपसे ही सीखेंगे अब ये आपके ऊपर निर्भर है कि आप उन्हें क्या सिखाना पसन्द करेंगे..._*
कि
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*जय जय श्री राधे*
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