*बाबा गुरु घांसीदास जी बर्तमान और हम*
*बाबा गुरु घांसीदास जी बर्तमान और
हम*
*आलेख-सुरेन्द्र जैन / धरसीवां*
दुनियाभर के देशों मे एकमात्र भारतवर्ष ही ऐंसी पावन पवित्र भूमि है जहां एक से बढ़कर एक महान तपस्वियों ने महापुरषों ने जन्म लिया ओर उन्होंने न सिर्फ अपना आत्मकल्याण किया बल्कि देश और समाज को भी आत्मकल्याण के साथ साथ संसारी जीवन जीने की अद्भुत कला सिखाई व सफलताओ के मूल मंत्र भी दिए तीर्थंकरों से लेकर मर्यादा पुरषोत्तम श्री रामचन्द्र जी कृष्ण कन्हैया जी सहित ऐंसे कई महापुरुष हुए हैं जिन्होंने आत्मकल्याण के पथ पर चलते हुए अपनी समाजों को ही नहीं अपितु मानव जाति को प्राणी मात्र को जीवन जीने की अद्भुत कला सिखाई है।
आज हम बात कर रहे हैं जय सतनाम पंथ के प्रवर्तक बाबा गुरु घांसीदास जी की बाबा गुरु घांसीदास जी का जन्म भी इसी भरत भूमि पर हुआ छत्तीसगढ़ प्रान्त की राजधानी रायपुर के समीप बलौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी धाम में बाबा गुरु घांसीदास जी का जन्म हुआ था उन्होंने सतनाम पंथ को आगे बढ़ाया आत्मकल्याण के मार्ग पर चलते हुए उन्होंने जनमानस को जीवन जीने की कला सिखाई यदि हम भारतवर्ष में अलग अलग जाति धर्म मे जन्म लेकर आत्मकल्याण के मार्ग पर चलने वाले तीर्थंकर भगवान से लेकर सभी महापुरुषों की जीवन चर्या ओर उनके शुभ सन्देश देखें तो सभी का निष्कर्ष जीवदया अहिंसा सत्य परोपकार सात्विक जीवन ही निकलता है ओर जिन्होंने भी महापुरषों के बताए इन मार्गों का अनुशरण किया उनकी चर्या अपनी जीवन चर्या में अपनाई वह भी अमर हो गए वह भी पूज्य होते चले गए बाबजूद इसके बिडंबना यह है कि बर्तमान समय में न सिर्फ सरकारें बल्कि अधिकांश जन मानस भी मार्ग से भटक गए हैं शायद यही कारण है कि आज मनुष्य ठोकरें खाता जा रहा है ओर समस्याओं से चारो तरफ से घिरता जा रहा है लेकिन इस सबके बाबजूद भी मनुष्य को सत्य समझ नहीं आ रहा है मनुष्यजाति अपने महापुरषों के बताए मार्ग से भटक चकी है इसलिए हमारा जीवन बर्बाद हो रहा है दिन प्रतिदिन ज्वलंत समस्याओं में इंसान उलझता जा रहा है।
*प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी दिसंबर आते ही शुरू हुए आयोजन*
हर साल दिसंबर माह के शुरू होते ही समूचे छत्तीसगढ़ में बाबा गुरु घांसीदास जी की जयंती 18 दिसंबर को उत्साह के साथ मनाने कार्यक्रम शुरू होते हैं गांव गांव में गुरु पर्व पंथी नृत्य धार्मिक शोभायात्रा आदि विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन चलता है जैतखाम पर ध्वजारोहण होता है विशेष पूजा अर्चना सांस्कृतिक कार्यक्रम बड़े ही उत्साह व उमंग के साथ आयोजित किये जाते हैं हर साल की तरह इस साल भी दिसंबर माह शुरू होते ही गांव गांव में आयोजन शुरू हो चुके हैं।
*वलि प्रथा के विरोधी थे बाबा गुरु घांसीदास जी*
बाबा गुरु घांसीदास जी ने मानव जाति को मनखे मनखे एक समान यानी मानव मानव एक समान का शुभ सन्देश दिया उन्होंने सत्य अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए जीवो के प्रति दया करुणा का शुभ सन्देश वलि प्रथा का विरोध करते हुए दिया उनका पूरा जीवन एक आदर्श है मांस मदिरा सप्त व्यसनों को खाना तो दूर उन्होंने कभी इन्हें अपने समीप तक नहीं आने दिया शुद्ध शाकाहारी जीवन जीते हुए उन्होंने जाति धर्म से ऊपर उठकर सिर्फ सतनामी समाज ही नहीं अपितु मनुष्य जाति को जीवन जीने की कला सिखाई।
*प्रगतिशील बनाने वाले है बाबा गुरु घांसीदास जी के शुभ सन्देश*
यदि हम बर्तमान समय से देखें तो यह बात स्पष्ट होती है कि बाबा गुरु घांसीदास जी के शुभ संदेशों को जो भी अपनी जीवन चर्या में अपनाएगा वह तेजी से तरक्की कर सकता है आत्म कल्याण भी कर सकता है।
जीवो के प्रति दया करुणा रखने वाले बाबा गुरु घांसीदास जी का जीवन सात्विक जीवन रहा उन्होंने मांस मदिरा को कभी अपने पास नहीं आने दिया बर्तमान में जिस तरह से भारतवर्ष में नशाखोरी तेजी से बढ़ी है उससे इंसान खुद तो बर्बाद हो ही रह है साथ ही देश का भविष्य भी बर्बाद हो रहा है
आज यदि हम बाबा गुरु घांसीदास जी के बताए मार्ग का अनुशरण करें और उनके बताए मार्ग पर चलें तो हर व्यक्ति प्रगतिशील बन सकता है जीवो के प्रति दया करुणा का भाव मन मे धारण करते हुए यदि मांस मदिरा से दूर होकर हम सात्विक जीवन जियें तो प्रत्येक व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई से तेजी से तरक्की कर सकता है यानी प्रगतिशील बन सकता है तो आइए हम बाबा गुरु घांसीदास जी के बताए मार्ग का अनुशरण करते हुए संकल्प लें कि उनके बताए मार्ग पर कहेंगे नशामुक्त जीवन जिएंगे मांस मदिरा सप्त व्यसनों से दूर रहकर हम अपना जीवन सार्थक बनाएंगे और हम प्रगतिशील इंसान बनेंगे तभी हम बाबा गुरु घांसीदास जी के सच्चे भक्त कहलायेंगे।