रामकथा में आत्म अवलोकन करें - न कि प्रदर्शन,, रामबालकदासजी - fastnewsharpal.com
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रामकथा में आत्म अवलोकन करें - न कि प्रदर्शन,, रामबालकदासजी

रामकथा में आत्म अवलोकन करें - न कि प्रदर्शन,, रामबालकदासजी




भगवान की कथा में बैठकर स्वमूल्यांकन करें। हममें कौन सी कमियाॅ हैं अवलोकन करें इनकी पूर्ति कैसे की जाये इसका चिंतन करें। भगवान राम, कृष्ण के जीवन से निज जीवन को परखते हुये भविष्य के जीवन का निर्माण करें।

        ग्राम वीरेन्द्रनगर जिला कबीरधाम के नागाबाबा देवस्थान में आयोजित श्री सुरभि महायज्ञ में संत रामबालकदास जी ने गाय की महिमा पर कहा कि भगवान राम, कृष्ण के अवतार के पहले भी गायें थीं। गाय के प्राकट्य के संदर्भ में बाबाजी ने कहा कि इसकी अनेक कथायें हैं। वेद भगवान का संदर्भ देते हुये कहा कि श्रृष्टि के आरंभ में शिवजी ने श्रृष्टि के विकास के लिये ब्रह्माजी को पाॅच गायें प्रदान की। भगवान विष्णु को भी शिवजी ने संसार के पालन के लिये पाॅच कामधेनु गायें दी जिनके दूध की धारा से क्षीरसागर का निर्माण हुआ। समुद्र मंथन में भी पंच गायों की उत्पत्ति हुयी।

       बाबाजी ने कहा कि सनातन को ईसाईयों के धर्मांतरण, लव जिहादियों, भूमि जिहादियों, आतंकियों, देश की सुरक्षा को सेंध लगाने वालों से उतना खतरा नहीं है जितना हमारे ही बीच के गद्दारों से है। इनसे सावधान रहने की जरूरत है। कुछ विध्वंशकारी तत्व भोले भाले आदिवासियों को गुमराह कर रहे हैं। राम कृष्ण शंकर की पूजा, गणेश दुर्गा आदि की प्रतिमाओं की स्थापना, रावण को जलाने, होली दशहरा दिवाली रामनवमी जन्माष्टमी मनाने का विरोध कर रहे हैं। ऐसे लोग रावण, महिषासुर को अपना पुरोधा मानते हैं। इन पर कटाक्ष करते हुये बाबाजी ने कहा कि सत्रह लाख वर्षों से हम राम को मानते आ रहे हैं। राम कृष्ण शंकर ही हमारे पुरोधा हैं। बरगलाने वालों की बुद्धि भ्रष्ट हो गयी है जो राम के नहीं वो हमारे किसी काम के नहीं इनसे दूरी बनाकर रहना ही अच्छा है। सच्चा आदिवासी राम शिव का भक्त है। ऐसे हरि विमुख लोगों का संग त्यागना ही उचित है। हम सब राम के वंशज हैं राम ही हमारे आत्मा, परमात्मा, पुरोधा हैं। आदिवासी, सतनामी, कबीरपंथी, वनवासी, गिरिवासी सभी एक हैं सभी राम के वंशज हैं। बाबाजी ने कहा कि धन, बल, चातुर्य के भरोसे नहीं अच्छे आचरण से महान बना जा सकता है। प्रबल प्रतापी रावण का धन बल पाण्डित्य होने के बावजूद अच्छा आचरण न होने से पतन हुआ। बाबाजी ने कहा यदि संस्कृति बचानी है तो भाषा, वेशभूषा तथा भोजन बचाकर रखें। पाटेश्वर धाम के द्वारा संचालित 91 वां महायज्ञ में पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश से  प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुॅच रहे हैं। और पूज्य बाबा जी के श्री मुख से अद्भुत गौ कथा का श्रवण कर धन्य हो रहे हैं यह कथा 1 मार्च शिवरात्रि तक लगातार चलेगी साथ ही सभी महा यज्ञ का भी आयोजन यहां किया गया है।

 जय सियाराम जय गोमाता जय गोपाल

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