छटवी शताब्दी का शिव मंदिर .जल में समाए शिवाय - fastnewsharpal.com
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छटवी शताब्दी का शिव मंदिर .जल में समाए शिवाय

छटवी शताब्दी का शिव मंदिर .जल में समाए शिवाय



जयलाल प्रजापति/सिहावा

 सिहावा के देवखूंट गाव में है 6 वी शताब्दी का शिव मंदिर, दुधावा बांध के अंदर स्थित इस मंदिर में शिवरात्रि में भक्तों की भीड़ उमड़ती है... वैसे मान्यता है कि यहाँ भक्तो की मनोकामना पूरी होती है लेकिन इस मंदिर का पुरातात्विक महत्व भी काफी दिलचस्प है...



छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर.. नगरी ब्लॉक में भुरसी डोंगरी पंचायत के आश्रित ग्राम देवखूंट गाव के पास दुधावा बांध के बीच है देउर मंदिर... इस मंदिर का निर्माण छठवीं शताब्दी में तात्कालीन राजा व्याघ्र राज ने करवाया था... तब यहाँ बांध नही था.. तब ये स्थान देवखूंट गाव में था और 5 नदियों का संगम था... जिसमे महानदी, सीतानदी, कुकरैल नदी ,बालगंगा और गॉवत्स नदी शामिल है... बाद में काँकेर रियासत के राजा ने इस क्षेत्र को अपनी रियासत में मिला लिया और विकास भी किया... बाद में यह बांध बन जाने के कारण ये मंदिर डूब गया... और देवखूंट गाव को सीतानदी के किनारे दोबारा बसाया गया... मंदिर के अंदर स्वयंभू शिवलींग आज भी मौजूद है.. शिवलिंग के अलावा अन्य देवताओ की मूर्तिया भी थी जिन्हे ग्रामीणों ने नए देवखूंट में मंदिर बना कर स्थापित किया... लेकिन शिवलिंग के स्वयंभू होने के कारण उसे वही रहने दिया.. 2002 में जब बांध पूरा खाली हुआ था तब दुनिया के सामने ये मंदिर आया... पुरातत्व विभाग ने प्राचीन मूर्तियों को लेजाने की पहल की लेकिन.. तब 34 गाव के लोगो ने इसका विरोध कर दिया... और जनभावना को देखते हुए पुरातत्व विभाग पीछे हट गया.... इस तरह से ये देश के प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक कहा जा सकता है....




इस मंदिर के दर्शन तभी हो पाते है जब बांध में पानी कम होता है... वैसे सामान्य दिनों में यह तक जाने के लिए नाव का ही सहारा है.. शिवरात्रि में यहाँ क्षेत्र वासी बड़ी संख्या में दर्शन करने पहुचते है


इस मंदिर को आज तक लोगो की आस्था ने बचा रखा है... अब अगर सरकार ध्यान दे तो दुनिया के सामने इस पुरा संपदा को बेहतर ढंग से प्रस्तुत  और संरक्षित किया जा सकता है...

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