*साधु की खुली आंखें आपके कल्याण के लिए है--सुधासागरजी महाराज* - fastnewsharpal.com
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*साधु की खुली आंखें आपके कल्याण के लिए है--सुधासागरजी महाराज*

 *साधु की खुली आंखें आपके कल्याण के लिए है--सुधासागरजी महाराज*



   सुरेन्द्र जैन /धरसींवा

पूज्य निर्यापक मुनिश्री सुधासागर जी महामुनिराज ने अपने अनमोल वचनों में कहा कि ये पंचकल्याणक महोत्सव भक्तों के लिए हों रहा है अशोक नगर-- तुम्हारे लिए मेरी खुली आंख कल्याण कारी है या वंद आंख जो साधु धन्य में वैठा है हमारे पास आपके आंसू पोंछने के लिए रुमाल नहीं है साधु रुमाल रख भी नहीं सकता रखेगा भी नहीं लेकिन साधु की आंख खुली है तो वह आपके कल्याण की ही कामना करता है शिष्य को जितनी डांट पड़ेगी उतना शिष्य में निखार आयेगा जिस में गुरु की डांट पड़ेगी उस भक्त का कल्याण होगा नकली शिष्य होगा तो भाग जायेंगे लेकिन असली शिष्य होगा तो समर्पित हो जायेगा

ये पंचकल्याणक भक्तों के कल्याण के लिए ही है जैसे आप लोग कहते हैं कि महाराज जी ये दुकान आपकी है ये मकान अपका है फैक्टरी आपकी

अपने भक्तों के कल्याण का पंचकल्याणक है हमारे उद्धार के लिए है हम सुधरेंगे हम सव लाभान्वित होंगे आदिनाथ का पंचकल्याणक तो हो चुका ये आपके लिए ही महा महोत्सव हो रहा है  शासनोदय तीर्थ जबलपुर से सीधे प्रसारण में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री ने यह बात कही

*रजत चौबीस की स्थापना होगी शासनोदय तीर्थ में*

संस्कारधानी जबलपुर के मध्य स्थित शासनोदय तीर्थ में परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आशीर्वाद और परम पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि पुगंव श्री सुधासागरजी महाराज के आशीर्वाद से रजत चौबीस की भव्य स्थापना होगी इसमें एक प्रतिमा विराजमान करने का सौभाग्य २१ कलश के साथ प्राप्त कर सकते हैं इन प्रतिमाओं की ऊंचाई ९ इंची होगी

 *सभ्यता खंडित नहीं होना चाहिये*

उन्होंने कहा कि भगवान,धर्म गुरु के एक बार मुनिम बन जाओ भव भव मे सेठ बनते रहोगे अपना धन भगवान गुरू के चरणों में चढा दो धन का सदुपयोग होगा,डाकु से कभी मत भीडना क्यों कि डाकु मार भी सकता है इसलिए अपनी जान बचाने के लिए तिजोरी की चाबी दे देनी चाहिये यें सभ्यता व्यवहार हैं

सत्य खंडित हो जाये तो हमें कोई नुकसान नही सभ्यता खंडित नहीं होना चाहिये सत्य से संसार नहीं चलने वाला दुनिया में जीने के लिए सत्य नहीं चाहिए,सभ्यता नैतिकता चाहिए सत्यवान संसार में कभी जी नहीं सकता

*बहुत सी बातें आंखों देखी भी सत्य नहीं होती*

 मुनिश्री ने कहा कि हमारे कदम क्यो भटक जाते है,जब हम रास्ते सही समझकर चल रहे फिर क्यो गलती हो रही है क्यों जिंदगी में डर बना रहता है क्यों अपनो से भी डर लगने लगता है अपने घर में ही डर लगने लगता है।बंद कमरे में अकेले है तब डर लगने लगता जो मेरा मन सोचे वही सत्य है यही चमत्कार है जो सत्य वो सोचे यह कोई चमत्कार नहीं है। मेरे मन मे जो विचार उठते हे ये सत्य ही है मेरे मन में जो आये वही सत्य हैं।कितनी बाते हमारी आँखों से देखी सत्य निकलती है। बहुत सी बातें आखों देखी भी सत्य नहीं निकलती है केवली भगवान के सामने कभी चमत्कार नहीं होता है जो सत्य होता है वहीं केवली भगवान कहते हैं।

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