*नारधा में मनाया गया मातर महोत्सव*
*नारधा में मनाया गया मातर महोत्सव*
*राजेंद्र साहू /मगरलोड*
छत्तीसगढ़ के परंपरा को संजोकर रखें हुए हैं नारधा में गायत्री मंदिर प्रांगण मातर महोत्सव मनाया गया गांव में मातर छत्तीसगढ़ की परंपरा है यहां लक्ष्मी पूजा दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और उसके बाद दिन में मातर होता है माता में मां का अर्थ और महत्व और तर यानी उसकी शक्ति को जगाना।
इस पर्व में गाय की पूजा की जाती है छत्तीसगढ़ में या मुख्य रूप से यादव समाज के लोगों के द्वारा मनाया जाता है परंतु अन्य समाज के लोग भी इसे में शामिल होते हैं यादव समुदाय के लोग घर घर में जाकर दोहा और नाचा किया जाता है
गांव में यादव समुदाय के लोग पारंपरिक परिधान में कौड़ी से बने काजू रंग बिरंगी पगड़ी हाथों में फूल लेता फूलों से सजी तेंदू की लाठियां और पांव में घुंघरू पहन कर इकट्ठा होते हैं इकट्ठा होकर सहारा देव पशुधन और सफाई की पूजा की जाती है। यादव समाज के लोग गोवंश को सोहाई की माला बनाते हैं। इसके बाद नई अनाज से गौ माता के लिए भोजन बनाते हैं। इस पर्व में गाय का गोबर से टीका लगाया जाता है। इस पर्व में लाठी चलाने की भी परंपरा है लाठी को खुद पर पड़ने से रोकने के लिए हाथों में हरी पहने होते हैं जो लोहे का बना एक डाल जैसा होता है जिसके सामने एक नकली आकृति निकली होती है ।