त्याग ,तपस्या ,सेवा की प्रतिमूर्त डॉक्टर है इसलिए डॉक्टर को सेकंड गॉड कहा जाता है --ब्रहमा कुमार नारायण भाई - fastnewsharpal.com
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त्याग ,तपस्या ,सेवा की प्रतिमूर्त डॉक्टर है इसलिए डॉक्टर को सेकंड गॉड कहा जाता है --ब्रहमा कुमार नारायण भाई

 त्याग ,तपस्या ,सेवा की  प्रतिमूर्त डॉक्टर है इसलिए डॉक्टर को सेकंड गॉड कहा जाता है --ब्रहमा कुमार नारायण भाई



  दुआएं रोगों को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है डॉक्टर वरुण सराफ ।डॉक्टर डे पर आयोजित कार्यक्रम


          

अलीराजपुर, 1 जुलाई,

डॉक्टर भगवान का सेकंड रूप होता है ।जैसे भगवान असंभव को संभव कर देता है, मौत के मुहाने पर गया हुआ व्यक्ति को जीवन दान मिल जाता है, इसीलिए हम ऐसे समय पर भगवान को याद  करते हैं। ऐसे ही इस साकार दुनिया में भगवान जैसा कार्य करने वाले बीमार व्यक्ति को ठीक करने वाले दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को तंदुरुस्त बनाने वाले सेकंड रूप जो डॉक्टर्स है उसको सारी दुनिया भगवान के रूप में देखती है। डॉक्टर्स त्याग, तपस्या, सेवा की प्रतिमूर्ति होता है।




 जब भी अपने द्वार पर रोगी आता है तो डॉक्टर अपने आराम, नींद ,संबंधियों की परवाह नहीं करके रोगी की सेवा में जुट जाता है और उनसे मिलने वाली दुआएं वह परिवार को, स्वयं को समाज को विश्व को सुखी करती है। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने डॉक्टर्स डे पर आयोजित कार्यक्रम में नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया । इस अवसर पर डॉक्टर संतोष सोलंकी ने बताया की दो तरह के रोगी होते हैं एक मानसिक जिसके मन में भय चिंता बनी रहती है ऐसे रोगों का निदान ईश्वर के पास होता है, दूसरा शारीरिक रोग जिसका निदान आधुनिक साइंस कर रही है ।रोगों की रोकथाम के लिए खानपान ,विचार पर अटेंशन देना चाहिए। डॉक्टर प्रीति गायनोलॉजिस्ट ने बताया कि सदा खुश और मौज में रहना चाहिए जिससे बीमारी का प्रभाव पीड़ा कम अनुभव होती है । डॉ वरुण सराफ, आयुर्वेदिक चिकित्सक ने बताया की हमें सबसे दुआएं लेते रहना चाहिए ।दुआएं रोग को ठीक करने में एक महत्वपूर्ण औषधि का काम करता है। डॉ परेश पटेल ने बताया की योग सारी बीमारियों का सुप्रीम डॉक्टर है हमें अपने जीवन में योग को शामिल करना चाहिए जिससे हमारे शरीर के अंगों को हील करने में मदद करता है । ब्रम्हाकुमारी माधुरी बहन ने बताया जीवन में जब भी उथल- पुथल हो रही हो ,तो परेशान नहीं होना ,लेकिन कर्म श्रेष्ठ करते रहना,परमपिता परमात्मा पर पूरा भरोसा रखना।और हमेशा यह याद रखना कि शायद परमात्मा या परिस्थितियां आपको वह सब देने के लिये स्वयं को व्यवस्थित कर रही हैं ,जिसके आप पात्र हैं। कार्यक्रम में डॉ जितेंद्र मकवाना ने कहा कि दो तरह के रोग होते हैं एक होते साइकोसोमेटिक एक सोमेटिक। साइकोसोमेटिक दवाइयों से ठीक हो सकता है। सोमेटिक योग से ही ठीक हो सकता है। मन में शंका भय है ऐसे रोगों का इलाज दवाई नहीं विश्वास प्रेम ही होता है ।कार्यक्रम के अंत में ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने सबको राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया ।कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मा कुमारी ज्योति बहन ने किया। अंत में सभी को संस्था की तरफ से डॉक्टर्स के सम्मान कार्यक्रम में ईश्वरीय सौगात दी गई।

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