*किसानों की धान खरीदी पर सरकारी काँटामारी जारी है- तेजराम विद्रोही*
*किसानों की धान खरीदी पर सरकारी काँटामारी जारी है- तेजराम विद्रोही*
*भाजपा ने किया था प्रति एकड़ 7 क्विंक्टल 20 किलो की काँटामारी अब कांग्रेस कर रही 40 किलो तक काँटामारी*
राजिम
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सहकारी समितियों में मार्कफेड के माध्यम से एक नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू की गई है परंतु किसानों से की जाने वाली सरकारी काँटामारी बंद नहीं हुआ है। सरकारी काँटामारी पर एतराज जताते हुए किसान नेता एवं आम आदमी पार्टी के राजिम विधानसभा प्रत्याशी तेजराम साहू विद्रोही ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में मार्कफेड के माध्यम से किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की मात्रा 20 क्विंटल प्रति एकड़ तय किया है लेकिन जब किसान टोकन कटवा रहे हैं तब प्रति एकड़ 19 क्विंटल 60 किलो का टोकन काटा जा रहा है इस तरह से 40 किलो प्रति एकड़ किसानों से कम लिया जा रहा है जो सरकारी काँटामारी है। एक ओर आदेश में 20 क्विंटल खरीदने की बात लिखी गई है तो दूसरी ओर ऑनलाइन साफ्टवेयर में 49 क्विंक्टल 40 किलो प्रति हेक्टेयर ( एक हेक्टेयर बराबर ढाई एकड़) फिड किया गया है जो किसानों के साथ धोखा है साफ्टवेयर को तत्काल अपडेट किया जाना चाहिए।
तेजराम विद्रोही ने आगे कहा कि किसानों से वास्तविक रूप से धान खरीदी करने के मामले में भाजपा व कांग्रेस दोनों पार्टियां गंभीर नहीं है । अनावरी के हिसाब से जब किसान अधिकतम 24 क्विंक्टल प्रति एकड़ धान बेच रहे थे उस समय तत्कालीन भाजपा की रमनसिंह सरकार ने 2015 में कटौती कर 10 क्विंक्टल प्रति एकड़ किया था जिसका किसानों व किसान संगठनों द्वारा पुरजोर विरोध के कारण 15 क्विंक्टल प्रति एकड़ की गई परंतु खरीदी केवल 14 क्विंक्टल 80 किलो ही की जाती रही इस तरह से भाजपा ने किसानों की धान खरीदी पर 7 क्विंक्टल 20 किलो प्रति एकड़ काँटामारी किया था अब कांग्रेस पार्टी 20 क्विंक्टल प्रति एकड़ धान खरीदी के नाम पर 40 किलो प्रति एकड़ की काँटामारी कर रही है जो सरासर किसान विरोधी कदम है। एक किसान ने अपना टोकन दिखाते हुए मुझे बताया कि उनका पंजीकृत रकबा 1.20 हेक्टेयर में धान बिक्री होना चाहिए 60 क्विंक्टल लेकिन टोकन मिला केवल 59 क्विंक्टल 20 किलो का यहां पर तीन एकड़ जमीन में 80 किलो धान की सरकारी काँटामारी हो गया है यानी कि 1762 रुपये का किसान को सीधे नुकसान हो रहा है।