*'स्वर्णिम समाज बनाने में नारी का योगदान"*को लेकर गरियाबंद के शिव शक्ती भवन मे संगोष्ठी का आयोजन
*'स्वर्णिम समाज बनाने में नारी का योगदान"*को लेकर गरियाबंद के शिव शक्ती भवन मे संगोष्ठी का आयोजन
हमे स्वयं को बेहतर बनाने का चुनाव करना है--- ब्रह्माकुमारी बिंदु
श्रेष्ठ गुणो की धारणा से जीवन सहज और सरल होता है---ब्रह्माकुमारी गीतां दीदी
गरियाबंद
प्रजापिता ब्रम्हाकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय गरियाबंद सेवा केंद्र की शिव शक्ती भवन में हल्दी कुमकुम कार्यक्रम आयोजित किया गया । जिसमें नगर के माताये , बहने सेकड़ो की संख्या मे ब्रह्माकुमारी बहनो से आशीर्वाद लेने आश्रम पहुंचे ।जिसमे विशेष रूप से पूर्व नगर पालिका अध्य्क्ष मिलेश्वरी साहू, गायत्री परिवार से सुनीता बहन ,दीपिका बराई धरोहर संदेशसंवाददाताएवं बहन गीता गुप्ता विशेष उपस्थित रही ।
कार्यक्रम का शुभारंभ परम पिता परमात्मा शिव की याद(मेडीटेंशन ) एवं अतिथि स्वागत के साथ किया गया।
सेवा केंद्र की संचालिका राज्योगीनी ब्रह्माकुमारी बिन्दु दीदी ने माताओ,बहनो की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि फैशन, व्यशन(नशा),सिनेमा,बुरा संग ये चार दोष है जिसे हमारे धर्म शास्त्रों मे भी वर्णित किया गया है।आज हर व्यक्ति के अंदर कड़े संस्कारों के रूप में समा गई है। जिसके कारण हमारे,धर्म,कर्म,व संस्कारो मे गिरावट आ रही है।जो परिवार व समाज मे मूल्यो के पतन का कारण बनता जा रहा है। इन बुरी आदतों को अपने जीवन से हटाने का दृढ़ संकल्प कर पवित्र जीवन जीने और सबके साथ स्नेहयुक्त, सकारात्मक व्यवहार करने का दृढ़ संकल्प करते हैं तो हमारा जीवन श्रेष्ठता की ओर आगे बढ़ता है ।हमारा परिवार श्रेष्ठ संस्कारों से संपन्न होने लगता है और हमारे भीतर स्वयं के प्रति सम्मान जागृत होता है, क्योंकि हमने स्वयं को बेहतर बनाने का चुनाव किया
आपने राजयोग द्वारा परमात्मा से जुड़ने की विधि बताई कहा कि खुशी परमात्मा का दिया हुआ वरदान है जिसे स्वयं उत्पन्न करना होता है राज योग के अभ्यास द्वारा जब हम अपने मन रूपी पतंग की डोर परमपिता परमात्मा को सौंप देते हैं तो हमारा जीवन ऊपर उठने लगता है और हम हल्के रहकर अपने सारे कार्य करते हैं।
वही ब्रह्मा कुमारी गीतां दीदी ने हल्दी कुमकुम का महत्व समझाते हुए हुए बताया कि हल्दी व कुमकुम रूप सुहाग की रक्षा व धार्मिक आयोजन में उपयोग की जाती है और यह दैहिक और मानसिक दोनों प्रकार से महत्व रखती है। बताई कि पहले महिलाओं को बाहर जाने की अनुमति नहीं थी तब ऐसे आयोजन किए जाते थे ताकि महिलाओं में शिक्षा की जागृति हो पाए। बड़ी बात यह है कि आज भी हम यह त्यौहार मना रहे हैं हम देख रहे हैं। आज एकओर महिलाए आधुनिकता की अंधी दौड़ में जा रही है वहीं दूसरी ओर आज भी बहुसंख्यक महिलाएं अंधविश्वास और कुरीतियों के चक्र में फांसी हुई है इसका मूल कारण शिक्षा का अभाव और वैचारिक संकीर्णता है। ऐसे आयोजनों के माध्यम से महिलाओं में समानता के महत्व को स्पष्टकर उन्हें मानसिक स्तर पर सशक्त बनाने की आवश्यकता है।
ब्रह्माकुमारी बहन के द्वारा इसी कार्यक्रम के आगे श्री राम जी की प्रतिमा में दीप जलाये गया और फूल मालार्पण करते हुए माता और बहनों के द्वारा दीप स्वरूप मोमबत्ती से प्रकाशमय कर राम जी की सुंदर भजन किया गया जिसमें पुरा सेवा केंद्र भवन का वातावरण राम भक्तिमय हो गई।
वही सभी आये हुए माताओं बहनो का आत्म स्मृति का तिलक व प्रसाद वितरण किये।जिसका अर्थ दीदी ने बतायी कि आत्म स्मृति स्वयं को आत्मा समझकर परमात्मा से जुड़ते हैं तो हमारे जीवन में श्रेष्ठ गुणों की धारणा होती है, तब हमारा जीवन सरल और सहज हो जाता है ।