हल्दी-कुमकुम की सौनधी महक के साथ मकरसंक्रांति पर्व मनाये
हल्दी-कुमकुम की सौनधी महक के साथ मकरसंक्रांति पर्व मनाये
ब्रह्माकुमारी बहनो ने सुहागिन महिलाओ को सुहाग की सामग्रियाँ भेट कर दिये पर्व की शुभकामनाएं
तेजस्वी /छुरा
खड़मा के ओम शान्ती भवन मे ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा मकर संक्रान्ति पर्व पर सकारात्मक परिवर्तन का वर्ष के अन्तर्गत "स्वर्णिम भारत के निर्माण मे महिलाओ का योगदान" हल्दी कुमकुम की सौंधी महक के तहत आध्यात्मिक समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर संस्था की संचालिका ब्रह्माकुमारी अंशु दीदी ने कहा कि मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है। इस शुभ दिन तिल, खिचड़ी का दान करते हैं। वही मकर संक्रांति पर सुहागिन महिलाये हल्दी कुमकुम की रस्म निभाती है,विवाहित महिलाये अपने सुहाग की रक्षा के लिए एक दुसरे को हल्दी - कुमकुम लगाकर सुहाग सामग्रियाँ बाटती है,मान्यता है कि इससे पति की आयु लम्बी होती है,सौभाग्य मे वृद्धि होती है । वास्तव में स्थूल परम्पराओं में आध्यात्मिक रहस्य छुपे हुए हैं। अभी कलियुग का अंतिम समय चल रहा है। सारी मानवता दुखी-अशांत हैं। हर कोई परिवर्तन के इंतजार में हैं। सारी व्यवस्थाएं व मनुष्य की मनोदशा जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है। ऐसे समय में विश्व सृष्टिकता परमात्मा शिव कलियुग, सतयुग के संधिकाल अर्थात संगमयुग पर ब्रम्हा के तन में आ चुके हैं। जिस प्रकार भक्तित मार्ग में पुरूषोत्तम मास में दान पुण्य आदि का महत्व होता है उसी प्रकार पुरूषोत्तम संगमयुग में ज्ञान स्नान करके बुराईयों का दान करने से पुण्य का खाता जमा करने वाली हर आत्मा उतम पुरूष बन सकती है।इस दिन खिचड़ी और तिल का दान करते हैं इसका भाव यह है कि मनुष्य के संस्कारों में आसुरीयता कीमिलावट हो चुकी है अर्थात उसके संस्कार खिचड़ी हो चुके हैं जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार धारणकरने हैं।कार्यक्रम मे पुर्व सरपंच पूर्णिमा कंवर,सरोज साहू,कमला बरगाह,हेमीन निषाद,गैन्दी निषाद,केशरी यादव, कमला गुप्ता,द्रौपदी साहू,आदि माताये,व बहने बडी संख्या में उपस्थित रहे। वही सेवा केंद्र की सहयोगी ब्रह्माकुमारी चन्द्रीका बहन,नम्रता एवं अलका बहन ने सभी सुहागिन महिलाओ का हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाकर कर मकरसंक्रांति की तिल लड्डू एवं सुहाग सामग्रियां भेट कर सम्मान देते,मकरसंक्रांति पर्व की बधाई दिये।