प्रकृति के सुरम्य वातावरण में विराजमान है आरंग नगर के खल्लारी माई
प्रकृति के सुरम्य वातावरण में विराजमान है आरंग नगर के खल्लारी माई
आरंग
मंदिरों की नगरी के नाम से सुविख्यात आरंग अपने प्राचीन इतिहास के लिए सदा ही आकर्षण का केंद्र रहा है नवरात्र में यहां के देवी मंदिर सहज ही भक्तों के आस्था के केंद्र रहे हैं, इसी क्रम में नेशनल हाईवे आरंग से लगभग 1 किलोमीटर दूर फिल्टर प्लांट के बगल खल्लारी डबरी के पास प्रकृति के सुरम्य वातावरण बाड़ी बखरी और झिलमिली तालाब के पास माता खल्लारी दो रूपों में अपनी भव्यता के साथ विराजमान है एवं भक्तों की माने तो वे मनोकामना को अवश्य ही पूरा करती है। इस सुंदर मंदिर में माता के साथ लाल भैरव, काल भैरव, हनुमान जी एवं पृष्ठ भाग में शेष सैया पर विष्णु भगवान एवं भगवान शिव पार्वती के दृश्य मन को आनंद देने वाले हैं मंदिर से जुड़े भक्त विजय सोनकर एवं छोटेलाल सोनकर ने बताया कि यहां पिछले 10 सालों से अखंड ज्योत भी जल रही है, झिलमिली तालाब में कमल फूल, पोखर एवं मत्स्य पालन भी किया जाता है तथा हनुमान जयंती के दिन खलारी मेले का भी आयोजन होते आया है, जबकि मंदिर को घेरे हुए किसान भाई सब्जी का उत्पादन करते हैं किवदंती के अनुसार यह अहिराज सर्प का गढ़ माना जाता है और आज भी यदा कदा आज भी रंग-बिरंगे सर्प दिखाई देते हैं यहां आने पर मन को सुखद शांति भी मिलती है। जबकि परिसर में पीपल, बड़, अशोक, नीम, हरसिंगार, रातरानी, नींबू जाम, आम, सीताफल, कनेर नारियल, नीलगिरी , दसमत, दूध मोगरा, मोगरा, परसा आदि के वृक्ष पर्यावरण समृद्धि का भी उदाहरण देते हैं, बड़े बुजुर्गों के अनुसार एक बार जब हैजा फैला था तो माता के श्री चरणों में ही और उनकी कृपा से ही शांति प्राप्त हुई थी । इस प्रकार आज भी भक्तगण दूर-दूर से आकर माता के चरणों में माथा टेकते है और वर्ष भर हवन भंडारा इत्यादि होते रहते हैं।