Kisaan School : एक सूर्यमुखी पेड़ पर 50 से अधिक खिले फूल, वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के परिसर में लगे इस दुर्लभ प्रजाति की सूर्यमुखी पर चल रहा अनुसंधान
Kisaan School : एक सूर्यमुखी पेड़ पर 50 से अधिक खिले फूल, वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह के परिसर में लगे इस दुर्लभ प्रजाति की सूर्यमुखी पर चल रहा अनुसंधान
जांजगीर-चाम्पा.
आपने अब तक सूर्यमुखी के सैकड़ों पेड़ देखे होंगे, लेकिन 50 से अधिक छोटी कद काठी की सूर्यमुखी का पेड़ शायद कभी नहीं देखा होगा, लेकिन आप को इस समय देखने को मिलेगा, किसानों के द्वारा किसानों के लिए बनाए गए देश के पहला किसान स्कूल बहेराडीह में, जहां इस तरह की दुर्लभ प्रजाति की सूर्यमुखी पर अनुसंधान कर रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल के संचालक दीनदयाल यादव.
अनुसंधानकर्ता दीनदयाल यादव ने बताया कि किसान स्कूल परिसर में सब्जी-भाजी के साथ एकाएक दो पेड़ सूर्यमुखी का पौधा तैयार हुआ है, लेकिन इस पौधे की विशेषता यह भी देखने को मिला कि इसकी पत्तियां का रंग अधिक हरा और चमकीला है. करीब चार फीट ऊंचे इस सूर्यमुखी के पेड़ पर एक नहीं, बल्कि 50 से अधिक फूल दिख रहे हैं और अभी नए फूल आ ही रहे हैं. उन्होंने बताया कि फूल भले ही छोटा सा है, लेकिन पीला फूल बड़ी संख्या में खिलने से अन्य सूर्यमुखी प्रजाति के पेड़ से यह दुर्लभ प्रजाति बिल्कुल ही अलग है.
*कृषि क्षेत्र में कई अनुसंधान कर रहे युवा कृषक दीनदयाल*
कृषि क्षेत्र में अब तक किसान स्कूल के संचालक युवा कृषक दीनदयाल यादव ने अपने किसान स्कूल टीम के साथ खेती में उद्योग से निकलने वाली राखड़ का उपयोग कर विविध प्रकार की फसल का उत्पादन, मांदा पद्धति से जैविक खाद जीवामृत, वर्मीवाश और नीमसार का उपयोग करके पांच फीट ऊंची धनिया का फसल उत्पादन, छत्तीसगढ़ की 36 भाजियों का संरक्षण और संवर्धन, सब्जी भाजी, फल-फूल के अवशेष से हर्बल राखियां, कपड़ा बनाने आदि का अनुसंधान कार्य निरंतर जारी रखे हैं, वहीं देशी बीजों को बचाने उनकी टीम प्रयासरत हैं.
*पुरखा के सुरता अभियान को खूब मिल रही तारीफ*
विलुप्त चीजों को सहेजने के उद्देश्य से वरिष्ठ पत्रकार कुंजबिहारी साहू किसान स्कूल बहेराडीह द्वारा चलाई जा रहे पुरखा के सुरता अभियान की लोग खूब तारीफ कर रहे हैं. जैविक खेती अभियान के किसान स्कूल के टीम जहां भी कृषक सम्मेलन कार्यक्रम करते हैं, वहाँ किसान अपने नाम से किसान स्कूल के संग्रहालय अर्थात धरोहर में विलुप्त चीजों को भेंट कर रहे हैं. यही वजह है कि धरोहर में विलुप्त चीजों की संख्या बढ़ती जा रही है.