राजिम नगर के मुख्य सड़क मार्ग पर आवारा मवेशियों का कब्जा, राहगीर हो रहे हैं हादसे का शिकार, नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी उदासीनता, आखिर कब लेगा सुध...??
राजिम नगर के मुख्य सड़क मार्ग पर आवारा मवेशियों का कब्जा, राहगीर हो रहे हैं हादसे का शिकार, नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी उदासीनता, आखिर कब लेगा सुध...??
राजिम
राजिम नगर की मुख्य सड़क मार्ग मे आवारा मवेशी का सुबह से रात तक देखा जा सकता है सड़क पर कब्जा । बढते यातायात के बीच में यह मवेशी कई बार दुर्घटना का कारण बनती नजरआ रही है। कई पशुपालक ऐसे है जो सुबह के समय अपनी मवेशी खुले में सड़क पर छोड़ देते है। कार्रवाईके अभाव में मवेशी सड़क पर छोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है । लेकिन इससे दुर्घटना होने की संभावना अधिक होती है। सुन्दर लाल शर्मा चौक पर सर्वाधिक भीड़ व वाहनो का आवाजही रहते है । ऐसे में यहां पर पहले से यातायात की समस्याहै। लेकिन नगर के पशुपालक ऐसे है जो अपने पशुओं को खुले में छोड देते है। दिन भर यह मवेशी शहर में घुम- घुमकर चारे की तलाश करती है। कई बार सड़क पर बैठ जाती है। ऐसे में वाहन टकराकर दुर्घटना घटित होने की संभावना बनी रहती है। मौके में देखा जाय तो कई दुर्घटना भी ऐसे ही होती है, इस पर नगर पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा ध्यान न देकर सड़क पर मवेशी छोड़ने वाले पशुपालकों पर कार्रवाई करने की जरूरत हैं।
रात्रि में खतरा ज्यादा
रात्रि के समय सड़क पर घुमने वाली मवेशियों से दुर्घटना का खतरा अधिक बढ़ जाता है। रात्रि के समय अंधेरे में कई बार तेज रफ्तार वाहन मवेशी से टकरा जाते है । इससे दुर्घटना में मवेशी घायल हो जाती है। साथ ही वाहन चालक व वाहन दोनों का नुकसान होता है। ऐसे में नगर प्रशासन द्वारा आवारा घुमने वाली मवेशी की समस्या हल करने की जरूरत है।
नगर की सड़कों पर घूमते आवारा मवेशी वाहन चालकों व राहगीरों के लिए खतरा साबित हो रहे हैं। यह समस्या नगर के सुन्दर लाल शर्मा चौक,राजिम फिंगेश्वर रोड , बस स्टेंड, चौक - चौराहा, सब्जीमंडी, से लेकर लगभग नगर की हरेक सड़क एवं भीड़भाड़ क्षेत्र पर दिखाई देती है। प्रतिदिन सड़क पर मवेशियों का जमावड़ा बढ़ गया है। सबसे अधिक समस्या सुंदरलाल शर्मा चौक पर है। यहां आए दिन वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। पशुओं के स्वच्छंद विचरण से आवागमन बाधित होने के साथ राहगीरों को आने-जाने में जानवरों का भय बना रहता है। सुबह से लेकर रात तक आवारा पशु सड़कों पर डटे रहते हैं। इन्हें सड़क से भगाने की कोशिश में ही दुर्घटनाएं घट जाती हैं। यह आवारा पशु कही पर भी घुसकर अव्यवस्था उत्पन्न करते हैं और इन्हें भगाने की कोशिश में कई लोग घायल हो जाते हैं। नगर के चौक-चौराहों व गलियों में आवारा पशुओं का डेरा कभी न खत्म होने वाली समस्या बन गई है।
खानापूर्ति कर भूले अभियान
यातायात व्यवस्था बनाने के लिए कई बार नगर पंचायत के अधिकारी को आवारा मवेशियों को पकड़ने की कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाते हैं। कई बार कलेक्टर के आदेश के बाद नगर पंचायत के अधिकारी ने मवेशियों को पकड़ने की कार्रवाई की, लेकिन इसके बाद आवारा मवेशियों को पकड़ने की मुहिम अक्सर दम तोड़ जाती है। जिसके चलते अक्सर नगर में हर चौक-चौराहों पर आवारा मवेशियों का झुंड देखा जा सकता है। ऐसे में ये कई बार सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। मवेशियों के अचानक सामने आ जाने के कारण वाहन चालक अपना नियंत्रण खो बैठते हैं और फिर दुर्घटना होते देर नहीं लगती।
पशु मालिक बेपरवाह
शहर की सड़कों पर आवारा जानवरों का कब्जा होने के पीछे बहुत हद तकपशु मालिक भी जिम्मेदार हैं। मवेशियों से हित साधने के बाद इन्हें सड़कों पर आवारा घूमने के लिए इस तरह स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है जैसे मवेशियों से उनका कोई नाता न हो।दुर्घटना में मवेशियों की मौत के बाद वे मुआवजा के लिए जानवरों पर दावा करते हैं।वहीं फसलें पकने के साथ ही नगर में आवारा पशुओं का जमावड़ा बढ़ जाता है। दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पशुओं को फसलें उजाडऩे के कारण नगर की ओर खदेड़ दिया जाता है।बहुत जरुरी है कड़ी कार्यवाही .....