झीरम घांटी हत्याकांड को हुए बारह साल--क्या धरसीवां के शेर योगेंद्र शर्मा का नाम भी हिटलिस्ट में था...?? - fastnewsharpal.com
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झीरम घांटी हत्याकांड को हुए बारह साल--क्या धरसीवां के शेर योगेंद्र शर्मा का नाम भी हिटलिस्ट में था...??

 झीरम घांटी हत्याकांड को हुए बारह साल--क्या धरसीवां के शेर योगेंद्र शर्मा का नाम भी हिटलिस्ट में था...??



     सुरेंद्र जैन/धरसीवां

25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घांटी में हुए इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक हत्याकांड को हुए कल बारह साल पूरे हो जाएंगे लेकिन बारह साल बाद भी नक्सली हमले में या सुपारी किलिंग में जो भी कहें इसमें शहीद हुए 33 लोगों के परिवारजनों के मन में आज भी एक ही सवाल है किसने मरवाया क्यों मरवाया किनकी साजिश थी क्या सरकार को खुफिया तंत्र ने जानकारी नहीं दी थी या खुफिया तंत्र फेल हो गया था इससे लाभ किनको होना था आदि कई अनुत्तरित सवालों के साथ अब धरसीवां के शेर रहे कांग्रेस नेता योगेंद्र को लेकर भी सवाल उठना लाजमी है कि क्या उनका नाम भी हिटलिस्ट में था क्योंकि उनका दबदबा ऐसे क्षेत्र में था जो प्रदेश का एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है।



   जिस तरह महेंद्र कर्मा को बस्तर टाइगर कहा जाता था ठीक उसी तरह राजधानी रायपुर से लगे टेकरी में किसान परिवार में जन्मे योगेन्द्र शर्मा को भी धरसीवा का टाईगर माना जाता था जिसके पीछे कई कारण थे

    टेकारी में जन्मे योगेन्द्र शर्मा के पास किसी चीज की कोई कमी नहीं थी घर से संपन्न योगेन्द्र शर्मा जमीनी स्तर से उठे थे जनपद जिला पंचायत में सदस्य भी रहे ओर अपने कार्यकाल में ही अपने नाम से मांढर के समीप योगेन्द्र नगर नाम का गांव भी बसाया ओर गांव के गरीबों से जुड़े रहे।

  *औद्योगिक क्षेत्र में नाम ही काफी था*

  देश की सबसे बड़ी स्पंज आयरन उधोग मंडी में शुमार रखने वाले सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र में दिवंगत नेता योगेंद्र शर्मा का जलवा था क्षेत्र में उनका नाम ही काफी किसी गरीब को उधोग में काम नहीं मिल रहा ओर वह योगेन्द्र शर्मा का यदि नाम भी ले लेता था तो किसी भी उद्योग में उस समय किसी की मजाल नहीं थी कि उसे काम पर न रखे 

   सांकरा में उन्होंने अपना ऑफिस ट्रांसपोर्ट बनाया और जो भी उनसे जुड़ा उसे उन्होंने  फैक्ट्रियों में उसके लायक काम दिलवाया ऐसे कई लोग हैं जिनके पास साइकिल तक नहीं थी लेकिन जब वह योगेन्द्र शर्मा से जुड़े तो औद्योगिक इकाइयों से जुड़कर उन्होंने अपना सिक्का जमाया लाखों रुपए कमाकर संपन्न बने ट्रक हाइवा जेसीबी के मालिक बन गए हालांकि योगेन्द्र शर्मा की मौत के बाद कुछ तो उन्हें याद रखे लेकिन कुछ छोड़कर चले गए


*जब तक रहे परिंदा भी पर नहीं मारा*

  योगेन्द्र शर्मा जब तक जीवित रहे तब तक औद्योगिक क्षेत्र में किसी ओर की नहीं चली पूरे क्षेत्र में उनका एक छत्र राज था चाहे ट्रांसपोर्टिंग का काम हो या कोई अन्य काम कोई भी बाहरी नहीं घुस पाता था 

  इसके साथ ही जनता से ओर युवाओं से छात्रों से वही सीधे जुड़े थे समय समय पर क्रिकेट प्रतियोगिताओं में उनका उत्साहवर्धन करना कहीं कोई समस्या है तो उसे हल कराना आदि कार्यों से वह क्षेत्र की जनता की धड़कन बन गए थे उनकी इच्छा थी तो बस विधायक बनने की इसीलिए वह सक्रिय राजनीति में तत्कालीन पीसीसी चीफ नंदकुमार पटेल से जुड़े ओर परिवर्तन यात्रा में हर जगह उनके साथ जा भी रहे थे 25मई 2013 को भी वह परिवर्तन यात्रा में मौजूद रहे

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