आपरेशन सिंदूर की सफलता से प्रेरित होकर देशभक्ति से ओतप्रोत साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन - fastnewsharpal.com
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आपरेशन सिंदूर की सफलता से प्रेरित होकर देशभक्ति से ओतप्रोत साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन

आपरेशन सिंदूर की सफलता से प्रेरित होकर देशभक्ति से ओतप्रोत  साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन

 नारी ल अबला झन जान,सुन रे पाकिस्तान|



भीर कछोरा डंत जाबो, कहाँ लुकाबे परान||

( राजिम साहित्य संगोष्ठी में कवियों ने आतंकवादियों को ललकारा) 

राजिम- नवापारा:---

-त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम नवापारा जिला गरियाबंद(छ. ग. ) पं. क्र.25298 के द्वारा आपरेशन सिंदूर की सफलता से प्रेरित होकर देशभक्ति से ओतप्रोत  साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन, पथर्रा नवाडीह (राजिम)स्थित त्रिवेणी संगम साहित्य सदन में किया गया|कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि रोहित साहू "माधुर्य"ने किया, इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों ने आपरेशन सिंदूर की सफलता हेतु  देश के तीनों सेनाओं की वीरता को सलाम करते हुए, अमर शहीदों को अपनी  साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है,इस कड़ी में  सर्वप्रथम ओज रस के कवि श्रवण कुमार साहू, "प्रखर"ने अपनी धारदार रचना के माध्यम से देश के वीर जवानों को आह्वान करते हुए कहा-

हे! पार्थ,गांडीव उठाओ, 

आतताईयों पर प्रहार करो|

चलो युद्ध करो,चलो युद्ध करो, 

दुश्मन का तुम संहार करो||

        देशभक्ति के जज्बा को आगे बढ़ाते हुए रोहित साहू माधुर्य ने पाकिस्तान को ललकारते हुए कहा,जिसे सुनकर सभी के रोंगटे खड़े हो गए,उनके कविता की  बानगी देखिये--

नारी ल अबला झन जाने,रोगहा पाकिस्तान।

भींर कछोरा डंट जाबो त,कहां लुकाहि परान।।

सेंदुर के किमत के वोला,नइहे कुछु अनुमान।

संउहत दुर्गा काली बनबो,खाबो करेजा चान।।

             काव्य पाठ के अगले कड़ी में मीडिया प्रभारी एवम कवि छग्गु यास "अडिल"ने श्रृंगार रस पर लाजवाब रचना पढ़ते हुए कहा --

तोर रुमुक झूमुक पैरी के धुन ह रे बइरी, 

मन ल वो मोर मोहि डारे |

का जादू चला के वो गोरी  

अंतस म जगा ल बनाए ,,प्रस्तुत कर खूब वाह वाही लूटी, 

          इसी कड़ी मे सहसचिव नरेंद्र पार्थ ने,"तोर चंदा अइसन रूप गढ़े हे भगवान,एक नजर देख ले मोर छुटत हे परान,की उत्कृष्ट प्रस्तुति रही आगे की कड़ी मे समिति के कोषाध्यक्ष भारत माता की सुंदर वन्दना प्रस्तुत करके अध्यात्म पूर्ण वातावरण तैयार किया|काव्य गोष्ठी में सद्भाव और प्रेम पर बेहतरीन संदेश देते हुए समिति  अंकेक्षक कवि कोमल सिंह साहू ने अपने चिर परिचित अंदाज में काव्य पाठ करते हुए कहा कि-

मंदिर लुटा मस्जिद लुटा,

मैंने लूट लिया भगवान रे, 

सद्भाव न जाने कहाँ गया ,

मैंने लूट लिया  इंसान रे--जैसी  गंभीर रचना पढ़ कर खूब वाह वाही लूटी|

          इसके पश्चात अध्यक्ष मकसुदन साहू,"बरीवाला" ने गांव का सजीव चित्रण करते हुए कहा कि, 

महर-महर महकत हे मोर गाँव के खोर|

जगा-जगा बगरे, डीही डोंगर के शोर||

कार्यक्रम में कवि संतोष साहू  प्रकृति ने देशभक्ति से परिपूर्ण रचना प्रस्तुत करके वीर जवानों को नमन किया,कार्यक्रम के अंतिम कवि के रूप में  मंच संचालन कर रहे समिति के उपाध्यक्ष किशोर निर्मलकर ने बेमिसाल गजल पढ़ते हुए गज़ब की नज्म पढ़ी इनकी बानगी देखिये

शहर के छोर मे तन्हाइयां है, 

यहाँ हम है,वहाँ विरानियाँ है||

      आभार प्रदर्शन श्रवण कुमार साहू, "प्रखर" ने किया, इस अवसर पर अनेक श्रोताओं ने काव्य पाठ का आनंद लिया|

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