अपने आत्मविश्वास के आधार पर ही खोई हुई शक्तियां सुख, शांति को पुनः प्राप्त कर सकते हैं --ब्रह्मा कुमार नारायण भाई
अपने आत्मविश्वास के आधार पर ही खोई हुई शक्तियां सुख, शांति को पुनः प्राप्त कर सकते हैं --ब्रह्मा कुमार नारायण भाई
अलीराजपुर
आत्म शक्ति तो दूर, मनुष्य में आत्म-विश्ववास, भी नहीं रहा। तभी वह ईश्वर से प्रार्थना करके शक्ति मांगता है कि इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कभी कम न हो।
वास्तव में ये सभी सातों गुण आत्मा का सत्य स्वरूप है। ये सिर्फ गुण नहीं है, शक्तियाँ हैं - ज्ञान की शक्ति, पवित्रता की शक्ति, प्रेम की शक्ति, शान्ति की शक्ति आदि। ये सब महान चैतन्य शक्तियाँ हैं। इसीलिये आत्मा को कहा जाता है कि आत्मा चैतन्य शक्ति है। जब मानव इन गुणों का स्वरूप बनकर व्यवहार करता है, तब इन गुणों की चैतन्यता या ऊर्जा उसके स्वरूप में प्रगट होती है। यह विचार इंडोर से पधारें जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित ब्रह्मा कुमारी सभागृह में आत्म विश्वास सबसे बडी शक्ति विषय पर नगरवासियों को संबोधित करते हुए बताया कि आज मनुष्यात्मा अपनी वास्तविकता से बहुत दूर चली गयी है। ये सातों गुण मानव जीवन में सक्रिय नहीं रह पाये हैं, तभी आत्मा इन गुणों की शक्ति में कमजोर हो गई और यही कारण है कि व्यक्ति उन्हें बाहर ढूंढने लगता है, चाहता है कि कहीं से इनका अनुभव हो जाए, कहीं से उनकी प्राप्ति हो जाए। परन्तु जब बाहर से इनकी प्राप्ति नहीं हुई तो आत्मा कमजोरियों की शिकार हो गई और बदले में सात अवगुण - काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य, ईष्या-द्वेष जीवन में सक्रिय हो गए। इन कमजोरियों के वशीभूत होकर कोई दुष्कर्म करता है तो उसे शैतान या राक्षस कहा जाता है। कभी-कभी मनुष्य सारी बुराई छोडना भी चाहता है लेकिन कैसे छोडे, इसे वह समझ नहीं पाता है क्योंकि वह उसकी विधि बाहर ढूंढ रहा है इसलिए उसे हल नहीं मिलता।