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आज का सुविचार

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💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..28-10-2020*..🎋


✍🏻गलती करने के लिये कोई भी समय सही नहीं। और गलती सुधारने के लिये कोई भी समय बुरा नहीं।

💐 *Brahma Kumaris* 💐

🌷 *σм ѕнαитι*🌷


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  💥 *विचार परिवर्तन*💥


✍🏻हित चाहने वाला पराया भी अपना है और अहित करने वाला अपना भी पराया है। रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है और औषधि वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है।

🌹 *σм ѕнαитι.*🌹

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*जीवन के कुछ संबंध ऐसे होते हैं..!*

      *जो किसी पद या प्रतिष्ठा*
       *के मोहताज नहीं होते..!*

       *वे स्नेह और विश्वास की*
    *बुनियाद पर टिके होते हैं..!!*


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अनमोल वचन :
जब हम कपड़े धोते हैं तो उसे बगैर प्रैस किये बिना नहीं पहनते हैं और अगर कपड़ों में ज्यादा सिलवटें हों तो प्रैस ज्यादा गर्म करते है जिससे सिलवटें निकल जाती हैं। उसी तरह ईश्वर हमारी आत्मा को जब प्रैस करते हैं तो उसके ऊपर से कर्म रूपी सिलवटें हटाने के लिए अलग अलग तरह की गर्माहट देते हैं, इसलिए हमें घबराना नहीं चाहिए!अगर हम बहुत ज्यादा परेशानी में हैं तो समझ लेना चाहिए कि कोई सिलवट गहरी होगी,जिसे निकालने के लिए ईश्वर ने प्रैस की गर्मी बढ़ाई हुई हैं,ऐसी कठिन घड़ी के बाद हमारी आत्मा ईश्वर को मिलने लायक बन जाती है.........
🙏ओम् शान्ति🙏
🌸आपका दिन शुभ हो 🌸
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*हमे अपने अहंकार को ही छोड़ना होगा। व्यक्तिगत जीवन में हमेशा सहज व सरल बनना होगा। जिस तरह शक्ति संपन्न होने पर भी श्रीकृष्ण को न तो युधिष्ठिर का दूत बनने में संकोच हुआ और न ही अर्जुन का सारथी बनने में। Be Assertive Not Aggressive (दृढ़वादी बनो आक्रमवादी नहीं) जीवन एक ऐसा रंगमंच है, जहाँ किरदार को खुद नही पता होता कि अगला दृश्य क्या होगा। इसलिये हर दृश्य को गम्भीरता से लें भले हालात सामान्य हो फिर भी रखो दो ग़ज़ की दूरी मास्क लगाओ जरूरी।*

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 *"हमारा  चिंतन ही है जो हमारे व्यक्तित्व को ऊपर उठाता है या नीचे गिराता है...सकारात्मक चिंतन ,आंतरिक व्यक्तित्व गढ़ने,परिष्कृत करने हेतु, श्रेष्ठ सकारात्मक विचारों को ग्रहण करना,श्रेष्ठ साहित्य को पढ़ना, श्रेष्ठ संगति करना, कुसंग से बचना व गलत विचारों को क्रियान्वित होने से रोकना होता है... अंतरंग की शुद्धि व परिष्कार से व्यक्ति में आमूलचूल परिवर्तन हो जाता है...वह रत्नाकर डाकू से महर्षि बाल्मीकि बन जाता है... अंगुलिमाल व आम्रपाली सेवा व्रतधारी भिक्षुक/भिक्षुणियों में रूपांतरित हो जाते हैं...तो आइए आज अपने प्रभु से जीवन मे सदा शुद्ध विचारों के समावेश की अलौकिक प्रार्थना के साथ..."*

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🙏  It's my *Pleasure*🙏

बहुत दिनो से *Pleasure* गाडी का उपयोग नही होने से, वह पडी पडी खराब होने जैसी स्थिति में पहुंच रही थी। 

विचार आया 

*Olx पे बेच दे*

Add डाला किमत *Rs 30000/-*

बहुत आफर आये 15 से 28 हजार तक। 

मुझे लगा यदि 28 मिल रहे तो, कोई 29-30 देगा भी।

एक का 29 का प्रस्ताव आया। 

उसे भी waiting में रखा।

एक सुबह काल आया, उसने कहा

*साहब नमस्कार 🙏 , आपकी गाडी का add देखा। पसंद भी आयी है। परंतु  30 जमाने का बहुत प्रयत्न किया, 24 ही इकठ्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत किया है उसने। कभी पैदल, कभी सायकल, कभी बस, कभी किसी के साथ। सोचा अंतिम वर्ष तो वह अपनी गाडी से ही जाये। आप कृपया  Pleasure मुझे ही दिजीएगा। नयी गाडी दुगनी किमत से भी ज्यादा है। मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। थोडा समय दिजीए। मै पैसो का इंतजाम करता हूँ। मोबाइल बेच कर कुछ रुपये मिलेंगें। परंतु हाथ जोड़कर कर  निवेदन है साहब, Pleasure मुझे ही दिजीएगा।*


मैने औपचारिकता में मात्र *Ok* 👌 बोलकर फोन रख दिया। 

कुछ विचार मन में आये। 

वापस काल बैक किया और कहा *आप अपना मोबाइल मत बेचिए, कल सुबह केवल 24 हजार  लेकर आईए,गाडी आप  ही ले जाईए वह भी मात्र 24 में ही*

मेरे पास *29* का प्रस्ताव होने पर भी 24 में किसी अपरिचित व्यक्ति को मै *Pleasure* देने जा रहा था। 

सोचा उस परिवार में आज कितने *Pleasure* या आनंद का निर्माण हुआ होगा। 

कल उनके घर *Pleasure* आएगी। 

और मुझे ज्यादा नुकसान भी  नहीं हो रहा था।

ईश्वर ने बहुत दिया है और सबसे बडा धन *समाधान* है जो कूट-कूटकर दिया है। 

अगली सुबह उसने कम से कम 6-7 बार फोन किया  *साहब कितने बजे आऊ, आपका समय तो नही खराब होगा।पक्का लेने आऊं, बेटे को लेकर या अकेले आऊ। पर साहब *Pleasure* *गाडी किसी को और नही दिजीएगा।* 

वह 2000,500,200,100,50 के नोटों का संग्रह लेकर आया, साथ में बेटा भी था। ऐसा लगा, पता नही कहा कहा से निकाल कर या मांग कर या इकठ्ठा कर यह पैसे लाया है।  

एकदम आतुरता और कृतज्ञता से *Pleasure* को देख रहा था। मैने उसे दोनो चाबियां दी, कागज दिये। बेटा गाडी पर विनम्रतापूर्वक हाथ फेर रहा था। रुमाल निकास कर पोछ रहा था। 

उसनें पैसे गिनने कहा, मैने कहा *आप गिनकर ही लाये है, कोई दिक्कत नहीं।*

जब जाने लगे, तो मैने उन्हे 500 का एक नोट वापस करते कहाँ, *घर जाते मिठाई लेते जाएगा*। सोच यह थी कि कही तेल के पैसे है या नही। और यदि है तो मिठाई और तेल दोनो इसमें आ जायेंगें। 

आँखों  में कृतज्ञता के आंसु लिये उसने हमसे विदा ली और अपनी *Pleasure* ले गया। जाते समय बहुत ही आतुरता और विनम्रता से झुककर अभिवादन किया। बार बार आभार व्यक्त किया।

हम लोग सहज भाव में कहते है *it's my pleasure*

परंतु आज *Pleasure* बेचते समय ही पता चला कि वास्तव में  *Pleasure*  होता क्या है। 

जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए। 

अपने माध्यम से किसी को क्या सचमें कुछ आनंद प्राप्त हुआ यह देखना भी होता है। 

करबद्ध निवेदन है कि ईश्वर ने आपको कुछ देने लायक बनाया हो या नही,

किसी एक व्यक्ति को सुख देने या खुशी देने लायक तो बनाया ही है। 

आज सब्जी वाली किसी बुजुर्ग महिला या पुरुष को अपनी ओर से केवल 5 या 10 रुपये अधिक देकर देखिएगा, 

वही *Pleasure* न आये तो कहना। 


*छोटी छोटी खुशियाँ बाँटे।*

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