गलत को गलत ना समझना यही सबसे बडा पाप है। कि गई गलती को महसूस करना अर्थात अपने को पापों से मुक्त करना--ब्रह्मा कुमार नारायण भाई - fastnewsharpal.com
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गलत को गलत ना समझना यही सबसे बडा पाप है। कि गई गलती को महसूस करना अर्थात अपने को पापों से मुक्त करना--ब्रह्मा कुमार नारायण भाई

 गलत को गलत ना समझना यही सबसे बडा पाप है। कि गई गलती को महसूस करना अर्थात अपने को पापों से मुक्त करना--ब्रह्मा कुमार नारायण भाई



 अलीराजपुर 

,हम सभी से जाने-अनजाने में ना जाने कितनी गलतियाँ होती हैं किन्तु गलती का एहसास होना अर्थात अपने गलत कर्म का भान होना और गलती के लिए माफ़ी मांग लेना,उस गलती के बोझ को समाप्त कर देता है।

 गलती होना वास्तव में गलती तो है पर इतनी बड़ी नही,परन्तु अपनी गलती को महसूस ना करना यह उस से भी भारी गलती है। महसूस नही किया तो स्वयं के बदलने के द्वार बंद हो जाते हैं और वही गलती बार-बार दोहराई जाती है*सच्चे दिल से माफ़ी मांगने का अर्थ है कि हम उस गलती को इतनी गहराई से महसूस करें कि दोबारा कभी भी किसी के भी साथ वो गलती ना दोहराएँ। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रहमा कुमार नारायण भाई ने महात्मा गांधी मार्ग पर स्थित वर्मा कुमारी सभागृह में जीवन को खुशनुमा कैसे बनाएं इस विषय पर नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया किअगर एक व्यक्ति बदला ले कर दूसरे को नीचा दिखाना चाहता है तो इस प्रयास में वह खुद भी नीचे उतर जाता है। दूसरी ओर क्षमा करके व्यक्ति स्वयं भी ऊँचा उठता है और सामने वाले को भी ऊँचा उठने की प्रेरणा देता है।यदि चित में ईर्ष्या,घृणा,द्वेष की अग्नि धधक रही है तो वह चित को भारी कर देती है।ऐसा बोझिल मन भगवान के किस काम का जो पहले से ही भरा है,भगवान उसमे और क्या भरेंगे?इसलिए प्रतिदिन अपनी गलती के लिए क्षमा मांग कर और दूसरो की गलती के लिए क्षमा दे कर मन को खाली अवश्य कर लीजिये तभी शान्ति के सागर परमात्मा की शान्ति की किरणे अन्दर प्रवेश करेंगी। इस अवसर पर ब्रह्मा कुमारी सेना बहन ने बताया कि

जीवन में सुखी रहने के लिए दो शक्तियों का होना बहुत ही जरूरी है...पहली सहन-शक्ति

औरदूसरी समझ-शक्ति ।सिर्फ विचार पढ लेना, विचार सुन लेना काफी नही है। जरुरत इस बात की है कि हमारे भीतर से एक साहस, एक हिम्मत उभरे जो श्रेष्ठ कामो के लिए चल पडे और दुष्वृत्तियो से लड पडे।

श्रेष्ठ मार्ग पर चलने के लिए बहादुरी की जरुरत है क्यूकि काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार रुपी विकार मानसिक है जिसके विरूद्ध लडने के लिए बहुत बडी आत्मिक ताकत चाहिए।

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