भाजपा ने 9 सुत्रीय सुझाव को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
भाजपा ने 9 सुत्रीय सुझाव को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
गरियाबंद
सोमवार को भाजपा ने 9 सुत्रीय विभिन्न मांगो को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। जिला अध्यक्ष राजेश साहू एवं जिला महामंत्री अनिल चंद्राकर ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह होते जा रही है। इस संकटकाल में भारत में ही बने दोनो टीके फिलहाल हमारे लिए आशा की एकमात्र किरण है, लेकिन प्रदेश में टीकाकारण के संबंध में हो रही राजनीति दुखद है। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ को कोरोना से मुक्त बनाने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने भाजपा द्वारा राज्य की कांग्रेस सरकार को 09 सुत्रीय सुझाव प्रेषित किए गए है। सुझाव कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय के संबंधित आदेश के अनुपालन में प्रदेश में टीकाकरण के लिए भेदभाव रहित नीति बनाए जाए, ऐसी नीति जिसमें सर्व समाज का हित निहित हो। अन्त्योदय, बीपीएल और एपीएल श्रेणी के लिए अलग-अलग कस्बों में केंद्र का निर्माण किया जाना निहायत ही अव्यावहारिक निर्णय है। हर केंद्र पर सभी श्रेणी के बूथ होने चाहिए। भारतीय टीके के खिलाफ प्रदेश में राजनीतिक कारणों से लगातार दुष्प्रचार किये गए, इस कारण गांवों-कस्बों में टीका लगाने गए कर्मियों पर हमले की खबरें लगातार आ रही है. ऐसे कर्मियों की सुरक्षा का प्रबंध हो। टीकाकर्मियों का पर्याप्त बीमा भी हो, साथ ही जनमानस में फैलाई गयी भ्रांतियों को दूर करने प्रदेशव्यापी जन-जागरण अभियान चलाया जाना चाहिए। टीके की वर्तमान कमी का एक कारण समय से आर्डर नहीं दे पाना भी है, हमारे पड़ोसी राज्य ने अनुमति मिलते ही 8 करोड़ टीकों के लिए आदेश कर दिया, जबकि हम अंतिम दिन तक पत्र लिखते रहे। अतः आग्रह है कि अनावश्यक पत्राचार न कर त्वरित निर्णय लें। प्रदेश में करीब 2.50 लाख टीके बर्बाद हुए हैं। इसे रोकने ‘केरल मॉडल’ से प्रेरणा लें। वहां उन्होंने ‘वेस्टेज फैक्टर’ के मद्देनजर दिए जाने वाले खुराक का बेहतरीन उपयोग कर केंद्र द्वारा मिले कुल डोज का 102 प्रतिशत टीकाकरण कर लिया, इससे सीखना चाहिए। छत्तीसगढ़ में टेस्टिंग कम होते जाना चिंताजनक है। आरटीपीसीआर एंटीजन और ट्रू नॉट सभी पर्याप्त संख्या में हो, जांच की कमी के कारण भी प्रदेश में मृत्यु दर बढ़ना चिंताजनक है। हर पंचायत में ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर और दवा किट आदि शीघ्र उपलब्ध कराये जायें। पत्रकारों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर’ मानते हुए इनका प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हो। नियमों को धत्ता बता कर टीके लगवाने की अनेक खबरें चिंताजनक है. इस पर सख्ती से लगाम लगाया जाना चाहिए। नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित हो।
-----------------------------------------------------------