ब्रह्माकुमारीज चम्पारण में मनाया सेवा के 25 वर्ष पूरा होंने पर रजत जयंती व सम्मान समारोह
ब्रह्माकुमारीज चम्पारण में मनाया सेवा के 25 वर्ष पूरा होंने पर रजत जयंती व सम्मान समारोह
पोंड-चम्पारण
चंपारण 14 फरवरी
वर्तमान समय संसार में असंख्य लोगों को हमारी मदद की जरूरत है आवश्यक समय पर की गई थोड़ी सी मदद भी बहुत सार्थक होती है। आज चारो ओर अशांति, भय,तनाव ,निराशा का बोल बाला है। सच्ची सुख शांति की मांग ज्यादा है। ऐसी जनकल्याण की भावनाओं को पूर्ण करने के लिए स्वयं को त्याग तपस्या व मनो विकारों पर विजय पाकर औरो के कष्ट दूर करने में जो स्वयं को संतुष्टता व खुशी का अनुभव होता है वह हीरे मोती से भी ज्यादा अनमोल हैं। जब हम दूसरों की राहों को रोशन करने की कोशिश करते हैं तो हमारी राहे अपने आप ही जगमगाती है। ऐसे ही त्यागी तपस्वी जो संसार में रहते अपने शरीर भान से, सांसारिक पदार्थों से दूर रहकर केवल परमात्मा का ध्यान ,सर्व के कल्याण की भावना मन में संजोये रहते हैं ,ऐसी महावीर महावीरनी का गायन पूजन भविष्य में चला आता है ।ऐसी महान विभूतिया चंपेशर महादेव व वलभाचर्य की जन्मभूमि चंपारण क्षेत्र से जन्म लेकर आज देश के कई भागों में अपनी समर्पित रीती से पच्चीस बरसों से ज्यादा सेवाएं दे रहे हैं ।उनका ब्रहमा कुमारी के द्वारा सम्मान समारोह के अवसर पर छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश राजस्थान की जोनल डायरेक्टर राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी आरती दीदी ने शहर वासियों को आशीष वचन के रूप में बताया। इस अवसर पर इंदौर से पधारे धार्मिक प्रभाग के जोनल कोऑर्डिनेटर ब्रहमा कुमार नारायण भाई ने बताया कि कि इंसान इस धरा पर देने के लिए आया है, ना कि पाने के लिए। देने वाला दाता होता है। परमात्मा और प्रकर्ति दोनों ही दाता है ।जिस प्रकार सूर्य ऊर्जा का दान करता है, चंद्रमा शीतल अमृत बरसाता है, ऐसी त्यागी तपस्वी की शुभ भावनाओं का प्रकृति व आत्माओं के साथ गहरा संबंध हमारी भावनाएं के साथ जुड़ा होता हैं।मन में कल्याण की भावना है तो इसका फल बहुत बड़ा मिलता है, कहा जाता है भगवान भी भावनाओं का भूखा है। इस भावना में निस्वार्थ सेवा भावना और जन कल्याण की भावना से किया जाने वाला कर्म कई गुणा फल प्राप्ति कराता है। इस अवसर पर नवापारा सेवा केंद्र की संचालिका ब्रह्मा कुमारी पुष्पा बहन ने अध्यक्ष भाषण में बताया कि तपस्या के मार्ग पर सर्वप्रथम इस सृष्टि कि प्रथम आत्मा ब्रहमा बाबा ने अपना तन, मन, धन समय, स्वास सकल्प कल्याण के कार्यों में सफल किया ।सभी के ब्रहमा आदर्श मिसाल बन चुके उनके राह पर चल चंपारण भूमि से इकीस कुमार कुमारी ने अपना आजीवन त्याग तपस्या की राह चुन विश्व कल्याण की मनोकामना अपने मन में संजोए चल रहे हैं ।यह बलिदान विश्व परिवर्तन की दिशा में बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगा। दिल्ली से पधारे जी ने अपने मुख्य संबोधन में बताया कि परोपकार व कल्याण की भावना से बडा कोई धर्म नहीं होता है ।मानव वो ,जो मानव के काम आए ।आज अहंकार अधिमान के कारण एक दो में दूरियां बढ़ती जा रही है, जिससे तनाव निराशा बढ़ रही है। हम अपने सत्य स्वरुप को पहचाने ,विकारों का त्याग करें यही सबसे बड़ा त्याग तपस्या है जो परमात्मा ने गीता में बताया। देसी सहित देह के सर्व संबंधों का त्याग करने वाला ही महावीर अर्जुन है।ऐसी त्यागी, तपस्वी आत्माओं की झलक पाने भगवान भी आतुर रहता है ,जिनकी झलक पाने दुनिया वाले तरसते है।सचमुच कितने भाग्यशाली है जिनको भगवान ने अपने काबिल समझा अपनी सेवा में विश्व कल्याण के कार्य में साथी बना दिया। सम्मान में देव प्रकाश ,माखन भाई ,यशोदा बहन चंपारण, लाला भाई , गीता अंकिता बहन, प्राची बहन हेमाबहन , देवदत्त भाई, व क्षेत्र के कुमार भाइयों के साथ साथ नानूराम चंपारण ,धंना राम साहू, कुलजन साहू का स्टेज पर सम्मान किया गया ।कार्यक्रम का संचालन बिलासपुर से पधारी ब्रह्कुमारी राखि बहन ने किया। मुख्य अतिथि के तौर पर ब्रहमानंद साहू,पोड़ ने अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम में माउंट आबू से समाधान के विशेष वक्ता ब्रह्माकुमार सूर्य भाई, दिल्ली से शुक्ला बहन, गुड़गांव ओम शांति रिट्रीट सेंटर की डायरेक्टर आशा बहन, अवेकनिंग टी वी की मुख्य वक्ता ब्रह्मा कुमारी शिवानी बहन ने भी अपनी शुभकामनाएं प्रकट की।