छत्तीसगढ़ का एक ऐसा स्कूल जहां के बच्चे फर्राटेदार इंग्लिश बोलने व लिखने में माहिर - fastnewsharpal.com
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छत्तीसगढ़ का एक ऐसा स्कूल जहां के बच्चे फर्राटेदार इंग्लिश बोलने व लिखने में माहिर

 छत्तीसगढ़ का एक ऐसा  स्कूल जहां के बच्चे  फर्राटेदार इंग्लिश बोलने व लिखने में माहिर



 जयलाल प्रजापति/सिहावा-नगरी 

-अमूमन गांव की अपेक्षा शहर में पढ़ने वाले बच्चे पढ़ने लिखने में बहुत तेज माने जाते है लेकिन धमतरी जिले के वनाचंल इलाके में आने वाले एक स्कूल ऐसा भी है जहां बच्चे पढ़ने लिखने में शहरी क्षेत्रों के बच्चों को भी मात दे रही है.इस स्कूल के बच्चे इंग्लिश पढ़ने में और बोलने में इतने तेज है कि एकबारगी देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे.



दरअसल नगरी इलाके के हिर्रीडीह स्कूल एकल विद्यालयों में से एक है और इस स्कूल में करीब 19 बच्चे पढ़ते है जिनमे ज्यादातर आदिवासी बच्चे है.वही मजदूर परिवार से आते है.परीक्षा परिणामों की बात करे तो बीते सत्र में स्कूल का रिजल्ट शत प्रतिशत रहा है.अन्य सरकारी स्कूलों से पढ़ाई का वातावरण अच्छा होने के कारण खुद यहां के टीचर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकाल इस स्कूल में दाखिला कराकर पढ़ाई करा रहे है.टीचर बच्चों को कंप्यूटर के साथ साथ सामान्य ज्ञान की शिक्षा भी दे रहे है जसके वजह से यहां के बच्चों को जनरल नॉलेज में काफी आगे है.टीचर बताते है कि इस बार एकल विद्यालय में इसी स्कूल के दो बच्चों चयन हुआ है.वे कहते है कि स्कूल के बच्चे पढ़ने लिखने में बहुत होशियार है यहां के बच्चों को पुस्तक के साथ सामान्य ज्ञान बहुत अच्छी जानकारी है और समय-समय पर इंटरनेट के माध्यम से बच्चों को अलग अलग  जानकारी देने की प्रयास किया जाता है इसमें पालको का भरपूर सहयोग मिलता है.





ग्रामीणों का कहना है कि टीचर समय हमेशा उपस्थित रहते है और पूरी लगन के साथ उनके बच्चों को पढ़ाते हैं और इस स्कूल में प्राइवेट स्कूलो जैसा माहौल है.  


इधर इस स्कूल में पढ़ाई के स्तर और बच्चों के लगन को देखकर शिक्षा महकमा तारीफ करते नही थक रहे है उनका मानना है कि हिर्रीडीह स्कूल की शैक्षणिक गुणवक्ता को बहुत अच्छी है शासन की मंशा के अनुरूप यहां शिक्षक काम कर रहे है.


बहरहाल एक ओर जहां लोग सरकारी स्कूलों में नहीं जाना चाहते तो वहीं स्कूल अपने बेहतर शिक्षा के प्रयासो और दिगर खासियतो के चलते इलाके में मशहूर है यही वजह कि लोग इस स्कूल की तारीफ करने से नही चूक रहे है.उम्मीद है ऐसा ही प्रयास बाकी स्कूलों में हो पाए.



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