मदिरालय के आसपास से हटाईं गईं चखना दुकानें,"करीब सौ परिवारों पर रोजी रोटी का संकट
मदिरालय के आसपास से हटाईं गईं चखना दुकानें,"करीब सौ परिवारों पर रोजी रोटी का संकट"
सुरेन्द्र जैन/धरसीवां
सिलतरा में मदिरालय के आसपास से चखना दुकानों को हटाने से करीब सौ परिवारों पर रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है इन दुकानदारों ने ज्ञापन के माध्यम से पुनः दुकान संचालन की अनुमति मांगी है जिला पंचायत सदस्य राकेश यादव ने भी इन चखना संचालको की मांग का समर्थन किया है।
सिलतरा की आंग्रेजी देशी शराब दुकान जब ठेकेदारों के अधीन चलती थी तब भी आसपास हाथ ठेलों में चखना दुकान लगती थी और जबसे सरकारी दुकान संचालित हो रही है तबसे भी शराब दुकान के आसपास हाथ ठेलों में चखना दुकाने लग रही हैं लेकिन बीच बीच मे इन चखना संचालकों को हटाए जाने की कार्यवाही होती रही है हटने के बाद चखना संचालक दोनो ही राजनीतिक दलों के नेताओ से संपर्क कर किसी तरह पुनः अपनी रोजी रोटी शुरू कर देते हैं।
*व्यवस्थित करने से बन सकता है आय का स्रोत *
ओधोगिक क्षेत्र सिलतरा में फेस टू व फेस वन में कुछ बड़े प्लांट व चौक चौराहे हैं एवं आंग्रेजी देशी शराब दुकान भी है जहां आसपास के गांवो के सैंकड़ों गरीब परिवारों को अपनी रोजी रोटी चलाने का स्थायी अवसर मिल सकता था लेकिन औधोगिकीकरण के ढाई तीन दशक बाद भी सीएसआईडीसी ने न तो यहां पक्की दुकानों का निर्माण कराया न लोहे की गुमठियां रखबाकर गरीबो को रोजगार से लगाने की पहल की यदि सीएसआईडीसी दारू भट्टी के कुछ दूरी से सड़क किनारे छोटी छोटी दुकानों का निर्माण कराता तो अब तक सैंकड़ो लोग रोजगार से लगे होते
यहां सिलतरा ओधोगिक क्षेत्र में महेन्द्रा चोक राकेश धर्मकांटा चोक अग्रवाल चोक,हरे कृष्ना चोक सोंडरा चोक आदि कई चौक चौराहा हैं जहां बड़ी संख्या में दुकानदारों को दुकाने बनाकर देते हुए एक तरफ तरफा जहां उन्हें रोजगार मिलता तो दूसरी तरफ दुकाने बनने से सीएसआईडीसी को किराए के रूप में आमदनी भी होती।