विश्व में सबसे प्राचीन भाषाओं में हिंदी का अलग महत्व है हिंदी एक भाषा ही नहीं विश्व पटल में भारतीय गौरव का प्रतीक है-पूर्व मन्त्री अमितेश शुक्ला - fastnewsharpal.com
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विश्व में सबसे प्राचीन भाषाओं में हिंदी का अलग महत्व है हिंदी एक भाषा ही नहीं विश्व पटल में भारतीय गौरव का प्रतीक है-पूर्व मन्त्री अमितेश शुक्ला

विश्व में सबसे प्राचीन भाषाओं में हिंदी का अलग महत्व है हिंदी एक भाषा ही नहीं विश्व पटल में भारतीय गौरव का प्रतीक है-पूर्व मन्त्री अमितेश शुक्ला 



विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर

नवापारा (राजिम )


अमितेश शुक्ला जी पूर्व मंत्री राजिम विधायक 

 विश्व में सबसे प्राचीन भाषाओं में हिंदी का अलग महत्व है हिंदी एक भाषा ही नहीं विश्व पटल में भारतीय गौरव का प्रतीक है यह कथन है छत्तीसगढ़ के प्रथम पंचायत मंत्री एवं वर्तमान राजिम विधायक अमितेश शुक्ला का उन्होंने विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर से कहा देवनागरी लिपि अर्थात हिंदी को 14 सितंबर 1949 को सरकारी तौर पर भारत की राजभाषा का दर्जा दिया गया इसके बारे में कहा जा सकता है-" हिंदी... हिंदुस्तान की बिंदी"  और  हमें जहां अंग्रेजी जरूरी है वही बोलना चाहिए बाकी हर जगह अपनी भाषा और संस्कृति  होना चाहिए।

 डॉ राजेंद्र गदिया जी

हिंदी एक समृद्ध भाषा है.. नवापारा राजिम के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर राजेंद्र गदिया ने कहा उन्होंने बताया जिस देश में सबसे पहले अपनी भाषा और संस्कृति का इस्तेमाल और सम्मान होता है वह देश निरंतर प्रगति करता है जैसे उदाहरण के लिए जापान हम अंग्रेजी को बेहद इंपॉर्टेंट समझते हैं वैसे ग्लोबल स्टेज में यह सत्य है लेकिन जहां  जरूरी है वही बोला जाना चाहिए यहां यह बता देना आवश्यक है डॉ राजेंद्र गदिया और इनका परिवार हिंदी का प्रबल पक्षधर है और इसके साथ भारतीय संस्कृति की भी अलख जगाए रखते हैं।।

बेबी प्रिया तिवारी

हिंदी भाषा के वर्णमाला बेहद अद्भुत वैज्ञानिक तथ्यों से पूर्ण शारीरिक और मानसिक प्रगति के परिचायक हैं... बेबी प्रिया तिवारी जोकि छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के अंतिम छोर देवभोग के जाने-माने एम मनु पब्लिक  स्कूल की हार्ड वर्कर इंटेलीजेंट क्लास फिफ्थ की स्टूडेंट है इन्होंने हिंदी भाषा के बारे में जो कुछ बताया वह शायद बहुत लोगों को नहीं पता इनको यह सब चीजें इनके दादा अंचल के जाने पहचाने समाजसेवी पंडित आरपी तिवारी निवास झाखरपारा ने बताया जिसे बेबी प्रिया ने विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर से शेयर किया... अद्भुत आश्चर्यजनक हमारे उच्चारण में प्रथम 5 वर्ण क ख ग घ ङ मे कंठव्य अर्थात कंठ से आवाज निकलती है जिसका सकारात्मक प्रभाव कंठ और दिमाग में पड़ता है अगर ध्यान और लय से बोले तब। वर्णमाला का दूसरे 5 शब्द च छ ज झ ञ तक तालव्य अर्थात मुंह के तालु से जीभ पूरी तरह जुड़े गी अद्भुत। वर्णमाला 3 में ट ठ ड ढ ण इसमें जीभ मूर्धन्य मुंह में ऊपर पूरी तरह छूएगी।

वर्णमाला क्रमांक 4 मे त थ द ध न मे उच्चारण दंतव्य अर्थात जीभ दातों को पूरी तरह छूती है।

अंतिम वर्ण माला पांच क्रमांक मे प फ ब भ म जीभ ओष्ठव्य अर्थात दोनों होठों को पूरी तरह मिलाती हैl अंग्रेजी में 26 अक्षर है हिंदी में 52 अक्षर है सभी अपनी विशेषता लिए इसीलिए मेरा कहना है... सारा जहां यह जानता है... यही हमारी पहचान है.. संस्कृत से संस्कृति हमारी... हिंदी से सारा हिंदुस्तान- हमारा सारा आसमान है।।।


बेबी आस्था तिवारी

हिंदुस्तान ही नहीं हिंदी में भी शानदार समानता का भाव...   हमारे प्यारे देश हिंदुस्तान की तरह हिंदी में भी समानता का भाव है इसमें मुख्य आकर्षण कोई अक्षर अंग्रेजी भाषा की तरह छोटा या बड़ा अर्थात स्मॉल कैपिटल लेटर नहीं होता इसके साथ इसमें आधे अक्षर को भी सहारा देने पूरा अक्षर हमेशा तैयार रहता है जिससे हिंदी जैसी भाषा बेहद समृद्ध और भावपूर्ण हो जाती है इसमें देखें समृद्ध शब्द मेरे कहने के अर्थ को पूर्णतया स्पष्ट करता है यह कहना है गोहरा पदर जिला गरियाबंद की कक्षा आठवीं की होशियार व्यवहार कुशल स्टूडेंट आस्था तिवारी जिनको पारिवारिक पृष्ठभूमि में देवभोग गोहरा पदर क्षेत्र के जाने-माने समाजसेवी भाजपा के दिग्गज नेता गुरु नारायण तिवारी से हिंदी भाषा और अपनी संस्कृति का विशेष आकर्षक समझाइश और ज्ञान प्राप्त हुआ है जो इनके पिता हैl बेबी आस्था ने कहा... "हिंदी से हिंदुस्तान है... तभी तो मेरा प्यारा देश महान है"ll


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