विश्व साक्षरता दिवस.. सरकारी तंत्र अपनी जगह... जागरूक नागरिक और समाजसेवी सतत साक्षरता अभियान में कर्म लीन
विश्व साक्षरता दिवस.. सरकारी तंत्र अपनी जगह... जागरूक नागरिक और समाजसेवी सतत साक्षरता अभियान में कर्म लीन
महेंन्द्र सिँह ठाकुर -नवापारा/राजिम
थंब इंप्रेशन अर्थात अंगूठा छाप का दर्द और साक्षरता का महत्व किसी से छिपा नहीं है अनपढ़ हो ना आज सबसे बड़ा अपमान कहा जा सकता है हम 21 सेंचुरी मे जा रहे हैं हर कार्य बहुत तेजी और स्वचालित ढंग से हो रहा है प्रगति के नए सोपान हम पूर्ण कर रहे हैं और यहां पर हमें साक्षरता पर कार्य करना पड़ रहा है ऐसा नहीं है।
भारत सरकार ने देश में साक्षरता और लोगों में जागरूकता लाने के लिए काफी ज्यादा प्रयास किए लेकिन अभी केरल और कुछ राज्यों को छोड़कर स्थिति अच्छी नहीं यह बात सामाजिकता एवं साक्षरता के लिए अपना सतत योगदान देने वाली श्रीमती दिव्या साहू नवापारा राजिम ने विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर से कही उन्होंने कहा जो पढ़ लिख नहीं पाए उन्हें स्वयं आगे होकर प्रयास करना होगा मेरा तो यह कहना है.." यदि अधिकार को पाना है- किताबों को अपना हथियार बनाना है" मैंने देखा है मेरे जैसे बहुत युवा साथी एवं सेलिब्रिटी तक लोग छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोगों को साक्षर बनाने में लगातार प्रयास कर रहे हैं जो बेहद प्रशंसनीय है मैं लोगों से अपील करते हुए यही कहूंगी... "साक्षरता ही है श्रृंगार हमारा_ वरना व्यर्थ है जीवन सारा"।
विश्व साक्षरता दिवस एक सामान्य दिन नहीं विश्व स्तर पर पुण्य अभियान है यह कहना है गरियाबंद जिले के अंतिम छोर उड़ीसा बॉर्डर देवभोग ब्लॉक के ग्राम झाखरपारा के प्रतिष्ठित नागरिक समाजसेवी आरपी तिवारी की नातिन उपासना तिवारी जो सरस्वती शिशु मंदिर देवभोग में कक्षा सातवीं की छात्रा है समाज सेवा और कल्चरल एक्टिविटीज में बेहद इंटरेस्टेड रहती हैं आगे उन्होंने कहा जब मैं किसी को किसी दस्तावेज में हस्ताक्षर की जगह अंगूठा लगाते देखती हूं तो मुझे बेहद दुख होता है अगर मौका मिला तो मैं उनसे पूछती हूं आपने पढ़ाई नहीं की जब वे बताते हैं गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पाये तो मन बहुत दुखी हो जाता है हमारे प्रदेश और देश में बहुत बड़ा कारण गरीबी रही हालांकि पूर्व से अब हालात बहुत अच्छे हैं प्रदेश और देश में गरीबी बहुत कम हुई है लेकिन पूर्ण सफलता अभी भी काफी दूर है मैं सभी बड़े बुजुर्गों और भाइयों बहनों से प्रार्थना करती हूं... "ना हो कोई अज्ञानता का शिकार- पढ़ना लिखना बच्चे बच्चे का जन्म सिद्ध अधिकार" इस बारे में सरकार ने भी कानून बनाया है लेकिन पालन तो हमें करना हैल
हर बच्चे को स्कूल जाना चाहिए जब मैं छोटे बच्चों को मेरी उम्र के रहते हैं स्कूल जाते नहीं देखती तो मुझे बहुत दुख होता है अभी भी देश के दूरस्थ जगह में यही स्थिति बनी हुई है जैसे मैं बाड़ी गांव देवभोग जिला गरियाबंद की निवासी हूं अब बात केवल साक्षर होने तक नहीं पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है यह बात विशेष संवाददाता महेंद्र सिंह ठाकुर से पढ़ने मैं होशियार एवं सेल्फ कंप्यूटर लर्निंग कर एक्सपर्ट बनने वाली स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल देवभोग जिला गरियाबंद छत्तीसगढ़ की कक्षा चार की छात्रा बेबी जिज्ञासा यादव का कहना है, इनके पिता केएस यादव बचपन से इन्हें आईटी एक्सपर्ट बनाने में बेहद ध्यान दे रहे हैं जो स्वयं शासकीय स्कूल में शिक्षक हैंl।
शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं इसके साथ व्यावहारिक ज्ञान होना बेहद जरूरी होता है और हम बच्चों को प्रथम पाठशाला माता पिता से सीखते हुए अक्षर ज्ञान घर में ही कर लें तो बहुत अच्छा रहता है आज शिक्षा के साधनों की कमी नहीं देश और प्रदेश की सरकारें इसमें बहुत पैसा खर्च कर रहे हैं निश्चित दूरी पर प्राइमरी स्कूल के साथ मिडिल स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूल खोले जा रहे हैं इसका लाभ सभी वर्ग के लोग ले सकते हैं अगर इसके बाद भी कोई साक्षर नहीं हो पाता तो यह उसका दुर्भाग्य होगा और कहीं से भी इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता यह कहना है राजीव जिला गरियाबंद के दावड़ा इंटरनेशनल स्कूल में क्लास फोर्थ के ब्रिलियंट स्टूडेंट एकाग्र शर्मा और आगे उन्होंने कहा मेरा कहना है ..."बेटा हो या बेटी दोनों को पढ़ना है- कोई किसी से कम नहीं दोनों को आगे बढ़ना है" साक्षरता दिवस हमें यही सिखाता है।