*मगरलोड मे बाल साहित्य निर्माण हेतु तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला संपन्न*
*मगरलोड मे बाल साहित्य निर्माण हेतु तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला संपन्न*
राजेन्द्र साहू /मगरलोड
समग्र शिक्षा राज्य कार्यालय रायपुर एवं रूम टू रीड के द्वारा लैंडमार्क हॉटल पंडरी रायपुर में आयोजित किया गया ।जिसमें जिला–धमतरी वि०ख० मगरलोड से अशोक कुमारपटेल(व्याख्याता),भोलाराम सिन्हा(सहायक शिक्षक),प्रमेशदीप
मानिकपुरी(शिक्षक),सहित राज्य भर के बाल कथा साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। रूम टू रीड के मास्टर ट्रेनर आदरणीय नवनीत नीरव जी के द्वारा बाल साहित्य लेखन पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी। कार्यशाला में प्रथम दिवस की शुरुआत परिचय सत्र से हुई,तथा "रूम टू रीड" से हमें प्रशिक्षण देने आए श्री रणधीर जी और नवनीत नीरव जी के द्वारा सभी प्रतिभागियों से यह पूछा गया की –"साहित्य क्या है?" पर विस्तृत चर्चा की गई। शुरुवात में पाठकों के लिए साहित्य कैसा होना चाहिए? "हमें बच्चों को कैसा साहित्य सामग्री पढ़ने के लिए उपलब्ध कराना चाहिए ?"कैसी कविताएं हम लेकर आए जो बच्चों के दृष्टिकोण से सही हो।" "सबसे अच्छी कहानी या कविता कितने शब्दों में हो ?" उसका चित्रांकन कैसा हो?" "और बच्चों में पढ़ने की आदत कैसे डालें ?
"कैसे लोक–कथा–कहानी और आसपास के परिवेश को हम कहानी ,कविता के माध्यम से बच्चों तक पहुंचा पाए।और वह साहित्य जो समय के साथ लुप्त हो गई हैं, या लुप्त होने के कगार पर हैं, उन्हें किस तरह विकसित किया जाय? उन्हें कैसे जीवंत रखा जाए?"
इन सारी बातों पर विस्तृत चर्चा हुई। कहानी कविताओं से संबंधित "पीपीटी प्रोजेक्टर" के माध्यम से हमें लिखने के लिए विशेष
गाइडलाइंस दिया गया। और बाल कथा साहित्य को मुखर करने का प्रयास किया गया।इस प्रकार से इस कार्यशाला
में हम लोगों के द्वारा कितना साहित्य पढ़ा गया ?
कितना साहित्य लिखा गया ? हम कितना पढ़ते है ?आदि बिंदुओं पर विशेष चर्चा हुई।और यह भी बताया गया की एक अच्छा साहित्य लिखने के लिए एक अच्छा पाठक भी होना अति आवश्यक है। हम जितना ज्यादा पढ़ेंगे उतना ही ज्यादा हम अच्छा साहित्य लिख पाएंगे।
आगे कार्यशाला में बच्चों के लिए कैसे कहानी लिखें? इस पर भी विशेष जोर दिया। बच्चों के लिए सीख भरी कहानी के साथ-साथ चित्र आधारित मनोरंजक कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया।
इसके अलावा स्तर–1व स्तर 2–की किताबों को लिखने में आने वाली बड़ी–बड़ी चुनौतियों से कैसे निपटा जाए,विशेष रूप से बताया गया।
पिक्चर बुक के अंतर्गत कथा साहित्य में पात्र कैसा हो? इसे बताया गया और इसमें "त्रिआयामी"पात्रों को रखने पर जोर दिया,जिसमे
शारीरिक आयाम,बाह्य आयाम और आंतरिक आयाम को सुंदर ढंग से समझाया गया।और इसे समझाते हुए बाल कथा साहित्य में "पांच खंभों का गांव",मां का बटुआ",पेंसिल",खेल का समय"
सोना के बाल ,काड़ो कुईली",आदि बाल साहित्य का वाचन और उसकी तकनीकी लेखन को बताया गया। इसके अंतर्गत कथा की शुरुआत,कथा का चर्मोत्कर्ष और अंत में कथा की समाप्ति कैसे हो पर चर्चा हुई।
कार्यशाला के द्वितीय दिवस मे सभी प्रतिभागियों को एक–एक कविता, कहानी लिखने के लिए कहा गया,और उसके बाद सभी ने उसका बारी–बारी से प्रस्तुतिकरण किया।
और फिर हमारे मास्टर ट्रेनर के द्वारा उसकी समीक्षा की गई,जिसमे कुछ जरूरी स्टेप और टिप बताकर लिखने के लिए कहा गया।
कार्यशाला के अंतिम दिवस को सभी प्रतिभागियों को एक "वर्ड फाइल" का प्रारूप दिया गया।जिसमे उन्होंने क्रमशः–पेज न./टेक्स्ट मैटर/इलस्ट्रेशन नोट /में अपनी–अपनी कविता, कहानी को इसमें फीलप करने का निर्देश दिया गया।इस अवसर पर ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित श्री मति श्रद्धा थवाईत जी ने कथा साहित्य सृजन में कुछ जरूरी शंका,समधान और उसका मार्ग दर्शन भी किया।
उन्होंने कहा कि–
"कथा साहित्य में लोक–कथा,
लोक–किंवदंतियां, हमारे गांवों की संस्कृति सभ्यता को कथा में शामिल किया जा सकता है।इसको शामिल करने से हमारा साहित्य और भी ज्यादा समृद्ध हो पाएगा।"
कार्यशाला के समापन कार्यक्रम में सर्व श्री नरेंद्र दुग्गा जी (प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा रायपुर), डॉ.एम सुदीश (सहायक संचालक समग्र शिक्षा रायपुर),सीमा बाजपेयी (ए पी सी एवं सदस्य समग्र शिक्षा)श्री ताराचंद जायसवाल जी(किलोल बाल पत्रिका संपादक समूह रायपुर) श्री आशीष गौतम जी,श्री प्रदीप सिंह जी,सहित श्री विजय सिंह दमाली,श्री मारुती शर्मा, श्रीमती योगेश्वरी साहू,श्री जीवन लाल चंद्राकर,श्रीमती अंकिता जैन,श्री विजेता कुमार,
श्रीमती सुधारनी शर्मा,श्री महेंद्र कुमार साहू,श्रीमती अनीता चंद्राकर,श्रीमती अनीता
मंदिलवार,श्री राजेंद्र कुमार जायसवाल,श्रीमती मधु तिवारी,श्रीमती सुनीता यादव,श्रीमती पुर्णेश डडसेना,श्री रितेश सेमल,श्री टिकेश्वर सिन्हा,श्रीमती वाणी मसीह,श्री ऋषि पांडेय प्रतिभागी कार्यशाला में उपस्थित थे ।