*आश्वासन के बाद ग्रामीण की भूख हड़ताल खत्म,सवाल वही क्या मुक्त होगी शमशान भूमि या चलती रहेगी यूं ही बंदरबांट*
*आश्वासन के बाद ग्रामीण की भूख हड़ताल खत्म,सवाल वही क्या मुक्त होगी शमशान भूमि या चलती रहेगी यूं ही बंदरबांट*
सुरेन्द्र जैन/ धरसीवा
ओधोगिक क्षेत्र सिलतरा के फेस वन में गांव की शमशान भूमि को उधोग से मुक्त कराने की मांग को लेकर जैंसे ही एक ग्रामीण दीपक वर्मा ने भूख हड़ताल शुरू की तो जिम्मेदारों ओर उधोग के चहेतों में खलबली मच गई इसीलिए यह संभावना पहले से ही थी कि ग्रामीण का अनशन अधिक दिन नहीं चलेगा ओर हुआ भी वही आश्वासके बाद अनशन समाप्त हो गया अब सवाल फिर वही की क्या शमशान भूमि मुक्त होगी या फिर जैंसा चलता रहा है अब तक बैंसा ही आगे भी चलता रहेगा।
दीपक वर्मा 28 सितंबर से भूख हड़ताल शुरू किए उनका कहना था कि उधोग ने गांव की शमशान ओर टार भूमि को अतिक्रमण कर फेक्ट्री का विस्तार कर लिया है हालांकि दीपक वर्मा इसे लगभग 6 एकड़ रकबा बता रहे जबकि राजस्व अधिकारी करीब दो एकड़ के आसपास बता रहे हैं दीपक वर्मा का अनशन शुरू होते ही खलबली मच गई थी और किसी तरह अनशन समाप्त कराने के प्रयास चल रहे थे अंततः उसमे कामयाब भी हुए दीपक वर्मा को कुछ लोगो ने समझा बुझाकर मनाया।
इधर अतिरिक्त तहसीलदार अजय चंद्रवंशी ने अनशनरत दीपक वर्मा के पास गए उन्है कार्यवाही का आश्वासन दिया उन्होंने नोटिश जारी कर मामले में तत्कालीन सरपंच को भी तलब किया तब कहीं जाकर दीपक वर्मा अनशन समाप्त करने तैयार हुए हालांकि दीपक वर्मा ने स्प्ष्ट कहा कि यदि जमीन को जल्द मुक्त नहीं कराया तो वह अधिक दिनों तक गुमराह नहीं होंगे बल्कि पुनः अनशन शुरू कर देंगे।
इस मामले में क्षेत्रीय विधायक अनिता योगेंद्र शर्मा ने कहा कि उन्होंने इस मामले में राजस्व अद्धिकारियो से चर्चा की है विधिवत कार्यवाही होगी ।
*कई उधोगो ने दबा रखी है बेशकीमती जमीन*
ओधोगिक क्षेत्र सिलतरा के फेस वन ओर फेस टू एवं आसपास के गांव जहां ओधोगिक इकाइयां हैं उनमें सांकरा सिलतरा टाडा मुरेठी मांढर सोण्डरा आदि गांवों की शासकीय भूमि चाहे स्कूल की हो श्मशान घांट की हो मरी कटान की हो या चारागाह की जमीन हो अतिक्रमण से भरी पड़ी है कही कहीं कुछ बड़े उधोग भी अतिक्रमण किये बैठे है लेकिन तमाम सरकारी भूमि को मुक्त कराने की दिशा में अब तक कोई ठोस कार्यवाही देखने को नहीं मिली है ।
*उधोगो के सीमांकन से मुक्त हो सकती है सरकरीं जमीन*
यदि सिलतरा ओधोगिक क्षेत्र के कुछ उधोगो का सीमांकन कराएं की उन्होंने किंतनी जमीन खरीदी थी और कब्जा कितनी भूमि पर है तो कुछ बड़ी फेक्ट्रियो से भी बहुत सरकरीं जमीन अतिक्रमण मुक्त हो सकती है।