छत्तीसगड़ का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मां जतमाई धाम का संचालन जिला प्रशासन के हाथो में -------
छत्तीसगड़ का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मां जतमाई धाम का संचालन जिला प्रशासन के हाथो में -------
प्रशासनिक संचालन की असफलता से चरमराई व्यवस्था
श्रद्धालुओं को प्रसाद में चना मुर्रा का वितरण
लाखो का बिल भुगतान बकाया ,भटक रहे व्यापारी
तेजस्वी /छुरा
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध ख्याति प्राप्त पर्यटन स्थल जटमई धाम आज अपने बदहाल स्थिति पर रोना रो रहा है।मंदिर के पंडा,पुजारियों ने अपनी व्यथा रूंधते गले से वहां की बुरी हालात से अवगत कराया । वही व्यापारियों ने भी प्रशासनिक व्यवस्था के प्रति नाराजगी व्यक्त किए उन्होंने बताए की हालात ऐसे है कि देवी ,देवताओं के भोग के लिए भी सही व्यवस्था नहीं हो पा रही है।सैकड़ों, हजारों की संख्या में आने वाले दर्शनार्थी ,श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में चना,मुर्रे का प्रसाद वितरण करना पड़ रहा है।वही पंडा,पुजारी, व सेवा धारियों के लिए जल पान, भोजन आदि की व्यवस्था भी नही हो पा रही है।जतमाई माता के मुख्य पुजारी विगत माह से मंदिर छोड़ चले गए। वर्तमान में पुजारियों द्वारा प्रशासन के जिम्मेदार ग्राम कोटवार के पास बाते रखने से उल्टा धमकी मिलती है।उन्होंने बताया कि ऐसा स्थिति कभी नहीं देखा था।जो देखना पड़ रहा है। यह कहना है जतमाई धाम में रहने वाले लोगो का।
आखिर क्या है मामला
जतमई देवी धाम ग्रामपंचायत गायडबरी के आश्रित ग्राम कोसमपानी के ऊपर पहाड़ों के मध्य स्थित है,जिसका संचालन ग्राम गायडबरी,कोसमपानी तालेसर,पीपरछेड़ी,सांकरा,तौरेंगा के ग्रामवासियों द्वारा संचालित था।बाद में सन 2013 में जतमाई सेवा समिति बनाकर पंजीयन का प्रस्ताव हेतु ग्राम पंचायत गायडबरी में ग्राम सभा रखा गया । जहां समिति पंजीयन एवं ग्राम पंचायत द्वारा प्रदान की गई 04 हेक्टेयर जमीन की पट्टा मांग किए। उक्त मांग पर धार्मिक कार्यों हेतु ग्राम पंचायत गायडबरी सरपंच सावन बाई ध्रुव ने वन भूमि कक्ष क्रमांक से पंचायती राज अधिनियम के आधार पर वन अधिकार पट्टाहेतु ग्राम सभा में अनुमोदन किया गया। पंजीकृत संस्था होने के बाद जय मां जतमई सेवा समिति द्वारा जतमाई धाम का संचालन किया जा रहा था।समिति के अध्यक्ष
हरिसिह ठाकुर का 2016 में देहांत होने के बाद समिति के अन्य सदस्यों द्वारा मनमानी की जा रही थी। जहां से समिति के अंदर ही विद्रोह के स्वर उठने लगे।
पूर्व समिति में सदस्य रहे गिरधर ध्रुव ने बताया की मंदिर की दान पेटी का 4 - 5 बार चोरी हुआ रिपोर्ट भी लिखवाई गई, जांच भी हुई लेकिन कार्यवाही नही हुई।एक भी बार चोर पकड़ में नहीं आया। प्रति माह दान पत्र से एक से सवा लाख के बीच राशि निकलती थी वही पार्किंग व्यवस्था,नारियल आदि बिक्री व अन्य माध्यमों से लाखो की आय होती थी लेकिन हिसाब किताब में हमेशा गड़बड़ी रहती थी। ऐसे बातो को उठाने पर समिति के दबंग लोगो द्वारा समिति की सदस्यता से बेदखल का कार्य प्रारंभ हो गया। बाहरी व्यक्तियों का नाम जोड़ना व स्थानीय सदस्यो का नाम समिति से हटाने का शिलशिला चल रहा था।वही पूर्व सरपंच रहे स्थानीय आदिवासी जनप्रतिनिधि अगहन सिंह ठाकुर ने बताया की सन 2017से आज तक स्थानीय लोगो के साथ समिति के पदाधिकारियों द्वारा भेदभाव पूर्ण व्यवहार,लड़ाई झगड़े,थाना कचहरी की धमकी,झूठा आरोप प्रत्यारोप, व्यापारियों को मानसिक प्रताड़ना ,पंचायती आमदनी के स्रोत को अवैधानिक रूप से वसूली करना, ग्राम पंचायत का हमेशा अवहेलना करना आदि क्रिया कलापों से कुछ समिति के सदस्यो ,स्थानीय आदिवासी के जन समूह के साथ साथ क्षेत्रीय जनता, समिति के उक्त कार्य व्यवहार से असंतुष्ट थे। इसके लिए कई बार पंचायती राज अधिनियम के तहत ग्राम सभा में बुलाकर पंजीकृत सेवा समिति के सदस्यो को अवैधानिक कार्यों को मना करने की कोशिश की गई ,लेकिन समिति के लोग एक बार भी ग्राम सभा में आना मुनासिब नहीं समझा।
प्रशासन को आखिर क्यों लेना पड़ा संचालन व्यवस्था अपनी हाथो -----
पंजीकृत जतमाई सेवा समिति के सदस्यो द्वारा की जा रही अनैतिक कृत्य व मनमानी से आहत होकर ग्राम पंचायत पिपरछेड़ी, गायडबरी , तौरेंगा,सांकरा, आदि ग्राम एवं उनके आश्रित ग्रामों के आदिवासी जन समूह,क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि, व स्थानीय जनता द्वारा , मां जतमई संचालन ग्राम सभा कमेटी का गठन कर ,पूर्व जतमाई सेवा समिति से संचालन व्यवस्था अपने हाथो में ले लिया। वही विगत 2 माह से समुचित व्यवस्था को संचालित कर रहा था।इस दौरान पूर्व समिति के सदस्यो द्वारा अनेकों हथकंडे व ,झूठा प्रपंच के सहारे शासन प्रशासन तक ग्राम सभा के ऊपर विभिन्न आरोप लगाया।विवादित सार्वजनिक स्थल होने के कारण क्वार नवरात्रि के पहले जिला प्रशासन द्वारा जतमाई धाम को पुलिस छावनी में तब्दील कर , समुचित संचालन व्यवस्था अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया। जिला प्रशासनिक अधिकारी द्वारा स्थानीय अधिकारियों की कमेटी गठित कर क्वांर नव रात्रि पर्व अपने संरक्षण में मनाई।
प्रशासनिक संचालन की असफलता से चरमराई व्यवस्था
जिला प्रशासन ने कमेटी गठित कर स्थानीय अधिकारियों के हाथो कमान सौंपकर दिए, लेकिन जतमाई धाम का संचालन ग्राम कोतवाल कर रहे है। ग्राम पंचायत सांकरा, तैरेंगा, गायडाबरी , कनेसर व पिपरछेड़ी के ग्राम कोतवाल पर्यटन स्थल जटमई धाम का संचालन कर रहे है।छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध पर्यटन क्षेत्र होने के कारण हजारों की संख्या में दूर दराज से दर्शनार्थी आते है। वही प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भारी वाहन, एवं मोटर बाइक का आना होता है।पार्किंग व्यवस्था का संचालन नही होने से आए दिन जान मॉल की हानि होती है।गत दिवस भिलाई की एक महिला एवम् बच्चे की दर्दनाक घटना इसका ज्वलंत उदाहरण है। एक कोतवाल के भरोसे इतने बड़े स्थान की व्यवस्था चलाया नही जा सकता।क्षेत्र की जनता द्वारा जिला प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।जिसके कारण जतमाई धाम की समुचित संचालन व्यवस्था चरमरा गई है।
ग्राम सभा ने प्रशासन पर लगाए आरोप :-
ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत जतमाई धाम को अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर कुछ माह तक वहां की समुचित संचालन व्यवस्था कर रहा था ,कि पूर्व समिति के कुछ सदस्यो व लोगो द्वारा क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियो के माध्यम से प्रशासनिक दबाव बनाकर जिला प्रशासन द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विराज मान ,समस्त जाति संप्रदाय द्वारा पूजे जाने वाली मां जतमाई देवी धाम को पुलिस छावनी में तब्दील कर बलपूर्वक अपने अधिकार क्षेत्र में लिया। एवं अस्थाई समिति गठित कर जिला प्रशासन द्वारा संचालित करने का निर्णय लिया। जिला प्रशासन ने छुरा तहसीलदार को अध्यक्ष, मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत छुरा को सचिव ,छुरा और पौंडुका वन अधिकारियों को सदस्य नियुक्त कर नवरात्र पर्व से आज पर्यंत तक जटमाई धाम का संचालन किया जा रहा है।आदिवासी जनप्रतिनिधियों ने बताया कि प्रशासन द्वारा देवी धाम परिसर के विभिन्न हिस्सों में नोटिस चस्पा कर हम वनवासी जन समूह को नियम कानून की धमकी देने का आरोप लगाया है।वही आदिवासी जन प्रतिनिधियों ने जतमाई संचालन ग्राम सभा कमेटी ग्राम सभा के निर्णय से होना बताया । इन्होंने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया की छुरा विकास खंड में स्थित जतमाई धाम पूर्णत: अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में आता है। जिसपर नौकर शाही द्वारा बलपूर्वक अधिकार करना संविधान के पेशा कानून १९९६, का उल्लंघन करता है। वही पांचवी अनुसूची अनुच्छेद 244(1) के तहत आदिवासी क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था को आहत किया है।
लाखो का भुगतान नहीं किया जिला प्रशासन ने
वही जतमाई सेवा ग्राम सभा संचालन कमेटी के सदस्य अगहन सिंह ठाकुर, ग्राम सरपंच दुलारी बाई, रामकीर्तन ध्रुव,गणेशराम ध्रुव, गिरवर ध्रुव ,गोविंदराम,राधेश्याम ध्रुव,आदि ने बताया की क्वांर नवरात्र पर्व में प्रशासन अपना वाहवाही लूटने के लिए 250 मजदूर 300रु प्रति दिन की दर से 9दिन तक काम लिया गया।जिसे 50 मजदूरों द्वारा प्रति वर्ष कराया जाता था। वही मंदिर की रंग,पेंटिंग, नल जल व्यवस्था, राशन सामग्री, लकड़ी,मजदूर एवं रसोइया ,पुजारी पंडा, आदि का लाखो रुपए का बिल भुगतान नहीं किया गया है। जिला प्रशासन को बार बार अवगत करा दिया गया है किंतु सभी को अपने अधिकार में ले कर आराम की नीद में सोए है।प्रशासन व्यापारियों का बकाया भुगतान नहीं कर रहे है।वही जानकारी लिए जाने पर शंकर किराना दुकान पौंडुका
ने बताया की 50 हजार रुपए जमा किए और 4लाख,25हजार बकाया,नेमीचंद लकड़ी परिवहन का 7हजार,चंदन हार्डवेयर भेंडरी 12 हजार, वही रसोइया व सफाई कर्मियों का भुगतान अभी तक नही किया गया है। आगे बताए कि मंदिर देवी,देवता पर भोग प्रसाद की व्यवस्था नहीं,पंडा,बैगा,पुजारी के लिए भोजन,चाय पानी के लाले पड़े है।सफाई कर्मी नही आने से चारो तरफ कचरे का अंबार,पार्किंग व्यवस्था पंचायत का था,उसे प्रशासन अपने कब्जे में ले लिया है, ग्राम पंचायत का हक, एवं आमदनी का जरिया हाट बाजार,मेला पार्किंग, को भी प्रशासन के अधीनस्थ है।
इन्होंने आरोप लगाया की इतनी बड़ी संस्था को प्रशासन एक कोतवाल के भरोसे छोड़ दिए है। जहां उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण दर्सनार्थियो पर आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है।
क्या कहते है अधिकारी
1 उपरोक्त आरोपों के संबंध में जानकारी लिए जाने पर जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त सचिव,जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने वर्मा ने अंभिग्यता जाहिर करते इस संबंध में तहसीलदार महोदया ही बता पाएंगे कहकर साफ पल्ला झाड लिए।
2 अभी दो ही सप्ताह मुझे प्रभार लिए हुआ है जतमाई समिति संबंध में क्या मेटर है।ये जानकारी लेने के बाद ही बता पाऊंगा।अभी कुछ नही बता सकता।
तहसीलदार छुरा , जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त अध्यक्ष
3 जिला प्रशासनिक अधिकारी प्रभात मालिक से उपरोक्त आरोपों के संबंध में दो,तीन बार दूरभाष से संपर्क किया गया लेकिन फोन रिसीव नहीं किया ।