राजिम की बेटी श्रीमति त्रिवेणी नाग जी के छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह "बादर उठे रहिथे करिया " का विमोचन एवं कवि सम्मेलन के भव्य कार्यक्रम
राजिम की बेटी श्रीमति त्रिवेणी नाग जी के छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह "बादर उठे रहिथे करिया " का विमोचन एवं कवि सम्मेलन के भव्य कार्यक्रम
पंडित सुंदरलाल शर्मा जी की प्रपौत्री, सर्व ब्राह्मण समाज प्रदेश सचिव एवं प्रखर नेत्री राजिम की बेटी और बहू कि भीं रही उपस्थित
राजिम
छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य मंडल एवं रामराज्य काव्यधारा अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में २५/०६/२०२३ को राजधानी के वृंदावन सभागार में राजिम की बेटी श्रीमति त्रिवेणी नाग जी के छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह "बादर उठे रहिथे करिया " का विमोचन एवं कवि सम्मेलन के भव्य कार्यक्रम का आयोजन कवि मोहन श्रीवास्तव एवं शोभामोहन श्रीवास्तव ने किया था।
कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित राजेन्द्र पाण्डेय जी के स्वस्तिवाचन के मध्य दीप प्रज्ज्वलन एवं अतिथियों के स्वागत सत्कार से शुभारंभ हुआ, जिसमें आयोजकों द्वारा छत्तीसगढ़ी आभूषण मोहर, श्रीफल और साँफा भेंट किया गया। छत्तीसगढ़ी पारंपरिक आभूषण मोहर देने के आयोजकों के सुरुचि पूर्ण चयन को सभी ने बहुत पसंद किया। विद्वान संचालक द्वय श्री सुनील पाण्डे जी और डाॅ सीमा श्रीवास्तव जी के सधे हुए संचालन ने कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया। श्रीमति सपना ताम्रकार जी ने अतिथियों का छत्तीसगढ़ी स्वागत गीत से स्वागत किया।
सर्वप्रथम त्रिवेणी जी ने अपनी भावपूर्ण कविताओं की ओजस्वी प्रस्तुति देकर श्रोतावृंद को अभिभूत कर दिया। उसके बाद कार्यक्रम के प्रथम वक्ता के रूप में श्रीमति सविता पाठक जी ने पुस्तक में निहित चिंतन पर विस्तार से प्रकाश डाला और उनके विशुद्ध छत्तीसगढ़ी शब्द चयन की भूरि भूरि प्रसंशा की। डाॅ मीता अग्रवाल जी ने पुस्तक चर्चा करते हुए उनकी रचनाओं के काव्यकौशल और भाषाशैली के तीक्ष्णता को रेखांकित करने करने का उत्कृष्ट प्रयास किया।
तत्पश्चात दीपाली ठाकुर जी के द्वारा त्रिवेणी जी के काव्य संग्रह के रचनाओं में सामाजिक सरोकारों की विस्तृत समीक्षा करते हुए पुस्तक के प्रकाशक आदरणीय सत्यप्रकाश जी के लिए बड़ी मर्मस्पर्शी बात कही की शिक्षा दूत प्रकाशन के मुखिया भाई सत्यप्रकाश ने इस पुस्तक का सहृदयता पूर्वक प्रकाशन करके अपने क्षत्रिय धर्म का पालन किया है क्षत्रिय के ऊपर केवल व्यक्ति के रक्षा और सुरक्षा का भार नहीं होता है वरन समाज के गुणी व्यक्तियों के बौद्धिक संपदा और ज्ञान विज्ञान का रक्षण भार भी होता है।
मुख्य अतिथि श्री सत्यप्रकाश सिंह जी ने बड़ी विनम्रता और सरलता से भरे अपने वक्तव्य में त्रिवेणी नाग जी को आदिवासी समाज का गौरव बताया
विशिष्ट अतिथि पंडित सुंदरलाल शर्मा जी की प्रपौत्री, सर्व ब्राह्मण समाज प्रदेश सचिव एवं प्रखर नेत्री राजिम की बेटी और बहू श्रीमति पद्मा दुबे जी ने छत्तीसगढ़ी बोलीभाखा में अपने अभिमत से सबको ताली बजाने के लिए विवश कर दिया, उन्होनें सत्यप्रकाश सिंह जी मोहन श्रीवास्तव जी और शोभामोहन श्रीवास्तव के सम्मिलित अभिनव पहल की मुक्तकंठ से प्रसंशा की। तथा अंत में अध्यक्ष अमरनाथ त्यागी जी ने काव्य कर्म के मनोवैज्ञानिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए, त्रिवेणी नाग जी के प्रतिभा की सराहना की। पंडित सुंदरलाल शर्मा के प्रपौत्र विकास शर्मा जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि पंडित सुंदरलाल शर्मा जी के छत्तीसगढ़ी दानलीला के सस्वर वाचन करते करते उन्हें कविता लिखने की इच्छा जागृत हुई और इस प्रकार उसकी साहित्यिक यात्रा का शुभारंभ हुआ।
कार्यक्रम में पूरे दिन रिमझिम बरसात के बावजूद कविसम्मेलन में साहित्य रसिकों की अच्छी उपस्थिति रही। उसी अवसर पर
वक्ता मंच ने वरिष्ठ कवियित्री त्रिवेणी नाग का नागरिक अभिनंदन किया।
उल्लेखनीय है कि त्रिवेणी नाग जी को लिखना नहीं आता है लेकिन उनको अपनी सारी रचनाएँ कंठस्थ है, इस बात को जानकर शोभामोहन श्रीवास्तव जी ने राजिम की ही द्रोपदी सोनकर जी के द्वारा उनकी कविताओं को लिपिबद्ध कराया जिसका मोहन श्रीवास्तव जी ने शिक्षादूत प्रकाशन के मुखिया प्रकाशन का अनुरोध किया तो महामना सत्यप्रकाश सिंह जी ने पुस्तक के निःशुल्क प्रकाशन का बीड़ा उठाया तत्पश्चात इस पुस्तक के भव्य विमोचन का अवसर आया।
पुस्तक के प्रकाशन के बीच आवश्यक जानकारी और फोटो प्राप्त करने के लिए त्रिवेणी नाग से सम्पर्क साधना भी एक दुस्तर कार्य था क्योंकि उनके पास मोबाइल नहीं था। तब राजिम की सपना ताम्रकार जी और उनके सुपुत्र अंकित ताम्रकार जी के माध्यम से ही उनसे बातचीत हो पाती थी, अतः पुस्तक प्रकाशन में उनका विशेष सहयोग रहा तब जाकर पुस्तक साकार हो सका।
त्रिवेणी नाग जी की मंचीय प्रस्तुतियां दमदार रहती है उन्होनें पवन दिवान, कृष्णारंजन, रवि श्रीवास्तव, केयूरभूषण, रामेश्वर वैष्णव जी, रामेश्वर शर्मा जैसे बड़े बड़े साहित्यकारों के साथ मंच साझा किया है तथा उन्होंने राजिम सहित प्रदेश भर के बड़े बड़े मंचों व आकाशवाणी में भीं कविताओं प्रस्तुत दी है l बीड़ी बनाकर अपनी जीविका चलनेवाली त्रिवेणी नाग की कविताओं में आम आदमी के जीवन का संघर्ष, प्रदेश के तीज- त्यौहार, लोक कला व संस्कृति की यथार्थ झलक है l
इस अवसर पर वक्ता मंच द्वारा लेखिका के घर इलेक्ट्रिक फैन लगवाने की घोषणा की गई, क्योंकि आर्थिक अभाव के कारण उनके घर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है l
त्रिवेणी नाग के काव्य संग्रह की कुछ पंक्तियों के साथ उन्हें हार्दिक शुभकामनाये:-
हाय रे गरीबी, कर डारे मोला रिबी- रिबी
मंडल बने के मोला साध रे l
देख ले मोला कईसे जकड़े हे
बोचके मत कहि के कसके पकड़े हे
मंडल बने के मोला साध रे l
उक्त अवसर पर आदरणीय रामेश्वर शर्मा जी ने त्रिवेणी नाग के रचनाओ पर शोध करने की आवश्यकता है ऐसा कहा।
कार्यक्रम में इनके रहे उपस्थिति
साहित्यकार मंजू निषाद, चंद्रावती नागेश्वर, डॉ. उदयभान सिंह चौहान,डॉ. महेंद्र ठाकुर, सुरेंद्र रावल, पंडित राजेंद्र प्रसाद पांडे, डॉ जे के डागर, तेजपाल सोनी, सुरेश नाग, सागर बत्रा, रामेश्वर शर्मा, वीर अजीत सिंह, शिवानी मैत्रा, डॉ. इंद्रदेव यदु, प्रभात यदु, ईश्वर साहू 'बंधी', प्रशांत यदु, ढालेश्वर ताम्रकार, सपना ताम्रकार, संगम बपा, बीना मेश्राम, विमल सक्सेना, आशा सोनवानी, भास्कर सोनवानी, लीना सोनवानी, मोक्षी बपा, तुषार शर्मा 'नादान' सुनील सोनी अनिल श्रीवास्तव जाहिद, मंजू निषाद, राजेश पराते, शुभम साहू डॉ. सीमा श्रीवास्तव, एन.पी. विश्वकर्मा 'तृण', आर.डी.अहिरवार, सत्येंद्र तिवारी, यशवंत यदु यश, वृंदा पंचभाई, डॉ. टी.आर. रामटेके, छविलाल सोनी, डॉ. विजय प्रकाश पाठक, कुमार जगदलवी, भव्य, विकास शर्मा, ममता मेश्राम, गायत्री बाई, अन्नपूर्णा मेश्राम, सुमित्रा शिशिर, कमलनारायण, मिनेश कुमार साहू, संजय देवांगन, महेश यदु, बलवंत विश्वकर्मा, चंद्रावती नागेश्वर, डॉ. उदय भान सिंह चौहान, गोपाल सोलंकी, अमृता शुक्ला, पुष्पराज गुप्ता, महेंद्र बेजुबां, डॉ. हितेश तिवारी, आशीष तिवारी, चंद्रकांत बिरझी आदि उपस्थित थे