*माता कौशल्या पहुंची अपनी मायके चंदखुरी*
*माता कौशल्या पहुंची अपनी मायके चंदखुरी*
आरंग
माता कौशल्या संग तीजा तिहार कार्यक्रम के तहत माता कौशल्या अपने मायके चंदखुरी पहुंच गई है। पीलू राम साहू मूर्तिकार से मूर्ति लेकर प्रभा यादव के निवास चंदखुरी में बाजे-गाजे के साथ ले जाया गया। जहां उनका बरसते पानी में भी बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने बहुत ही उत्साह से स्वागत किया। आयोजक संस्था चित्रोत्पला लोक कला परिषद के निदेशक तथा इस कार्यक्रम के परिकल्पना संयोजक राकेश तिवारी ने बताया कि मूर्ति की स्थापना 15 सितंबर को दोपहर 3 बजे की जाएगी तथा प्रतिदिन सुबह शाम पूजा पाठ आरती भी किया जाएगा। पहली आरती में राजेश्री महंत डॉ. रामसुंदर दास महाराज अध्यक्ष गौ सेवा आयोग छत्तीसगढ़, संस्कृत विद अशोक तिवारी, पुष्पा तिवारी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम के सहसंयोजक डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने बताया कि माता कौशल्या की प्रतिमा ले जाने के पहले विधि-विधान से पूजा अर्चना एवं साड़ी भेटकर चढ़ाया गया। परघनी गीत और भजन के साथ माता कौशल्या का स्वागत किया गया। विदित हो कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार भांचा राम और दीदी कौशल्या को लोक कलाकार डा. पुरुषोत्तम चंद्राकर और नरेन्द्र यादव ने अयोध्या से मिट्टी लाकर तीज लेकर आए हैं। भांचा राम और दीदी कौशल्या की मूर्ति को छत्तीसगढ़ी संस्कृति के अनुरूप श्रृंगार किया गया है। दीदी कौशल्या को चुड़ी बंधा, सूता, करधन, सांटी, खिनवा जैसे छत्तीसगढ़ी आभूषणो से सुसज्जित किया गया है। साथ ही अंडी साड़ी पहनाकर छत्तीसगढ़ महतारी की भांति आकर्षक बनाया गया है। वहीं भांचा राम को ताबीज, माला, पैजनी, करधन से श्रृंगार किया गया है। साथ ही उनके हाथ में खिलौना पकड़ाया गया है। कलाकारों की इस पहल को काफी सराहा जा रहा है। माता कौशल्या की मूर्ति को लेकर लोगो में कौतूहल बना हुआ है। भांचा राम और दीदी कौशल्या को तीज में किसी भी प्रकार की कमी न हो इसका ध्यान रखा जा रहा है। लोक कलाकार डा. पुरूषोत्तम का कहना है कलाकार ही संस्कृति के असली संवाहक हैं। माता कौशल्या के छत्तीसगढ़ में तीज लाने की परंपरा से नारी शक्तियां और भी गर्व महसूस करेंगी। लोग और भी हर्षोल्लास से तीज मनाएंगे। वहीं आरंग के सामाजिक संगठन *पीपला वेलफेयर फाउंडेशन* माता कौशल्या को तीज लाने की परंपरा के प्रचार-प्रसार में सहभागिता निभा रहे हैं। *फांऊडेशन के सदस्यों का कहना है* लोक कलाकारों की यह पहल से छत्तीसगढ़ी संस्कृति को और भी बढ़ावा मिलेगा। आने वाले दिनों में प्रदेश भर में तीज पर्व पर माता कौशल्या की प्रतिमा स्थापित की जा सकती है। अभी तक हम भगवान श्रीराम की पूजा आराधना करते हैं, पर अब माता कौशल्या की भी मां लक्ष्मी, दुर्गा की भांति पूूजा आराधना होगी। छत्तीसगढवासी अत्यंत ही सौभाग्यशाली है जिनके कोरा में माता कौशल्या में पली बढ़ी है। कार्यक्रम में संयोजक राकेश तिवारी, सहसंयोजक डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकार, हेमलाल पटेल, मोहन साहू, मनीष लेदर, प्रभा यादव, घसिया राम वर्मा सहित बड़ी संख्या में गांव वाले उपस्थित थे।