लापरवाही --ओधौगिक प्रदूषण कर रहा लोगो का जीना मुहाल,क्षेत्र में बढ़ा प्रदूषण का कहर,दिवाली की सफाई पुताई कर रहा बेकार - fastnewsharpal.com
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लापरवाही --ओधौगिक प्रदूषण कर रहा लोगो का जीना मुहाल,क्षेत्र में बढ़ा प्रदूषण का कहर,दिवाली की सफाई पुताई कर रहा बेकार

 लापरवाही --ओधौगिक प्रदूषण कर रहा लोगो का जीना मुहाल,क्षेत्र में बढ़ा प्रदूषण का कहर,दिवाली की सफाई पुताई कर रहा बेकार



    सुरेन्द्र जैन /धरसींवा 

  बीते कुछ दिनों से ओधौगिक प्रदूषण ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी है एक तरफ ओधौगिक क्षेत्र के ओवरलोड वाहनों से सड़कों पर गिरने वाली धूल डस्ट वाहनों की आवाजाही से उड़कर वायु प्रदूषण फैला रही है तो दूसरी तरफ ओधौगिक इकाइयां रातभर जहरीला धुंआ छोड़कर जनता का जीना मुहाल की हुई हैं।

     राजधानी से लगे धरसीवा क्षेत्र के ओधौगिक क्षेत्र सिलतरा में बड़ी संख्या में स्पंज आयरन उधोग हैं जो सांकरा सोण्डरा मुरेठी सिलतरा टाडा मांढर चरोदा आदि ग्राम पंचायत क्षेत्रों में स्थापित हैं सांकरा सोण्डरा के उत्तर दिशा में सिलतरा ओधौगिक क्षेत्र का फेस टू आता है एवं सांकरा के पूर्व दिशा में सिलतरा गांव से लगा हुआ फेस वन का हिस्सा है जहां बड़ी संख्या में स्पंज आयरन प्लांट है इनसे निकलने वाला जहरीला धुंआ सबसे अधिक सांकरा ओर सोण्डरा गांव को प्रभावित करता है।

  *तालाब घरों की दीवार छत व घर के अंदर तक कालिख*

   ओधौगिक प्रदूषण से हालात बद से बदतर होते जा रहे है प्रदूषण से हालात ये हैं कि रोज सुबह सांकरा सोण्डरा के तालाब में जब ग्रामीण नहाने जाते हैं तो पानी के ऊपर प्रदूषण की काली परत नही आती है वहीं घरों की छतें ओर दीवारें तो काली हो ही रही हैं साथ ही घरों के अंदर वर्तन फर्श तक आकर प्रदूषण अपना रौद्र रूप दिखा रहा है।


*दिवाली की सफाई पर फेर रहा पानी*

    दीपावली का पावन पर्व समीप होने से लोग घरों की विशेष साफ सफाई व पुताई करने में लगे हैं लेकिन बढ़ता प्रदूषण रातभर में ही ग्रामीणो की मेहनत पर पानी फेर रहा है।

    *शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं*

   बढ़ते प्रदूषण से ग्रामीण वर्षों से हलाकान हैं समय समय पर पर्यावरण संरक्षण मंडल का दरवाजा भी खटखटाते हैं बाबजूद इसके पर्यावरण संरक्षण मंडल इस ओर कोई ध्यान नहीं देता कुछ माह पहले ही समीपी ग्राम सोण्डरा के ग्रामीण महिलाओं व पुरुषों ने कबीर नगर स्थित पर्यावरण संरक्षण मंडल का दरवाजा खटखटाया था लिखित में कुछ उधोगो के नाम सहित शिकायत की थी बाबजुद उस पर अब तक कोई प्रभावी कार्यवाही न होने से प्रदूषण फैलाने वाले उधोगो के हौंसले बुलंद हैं

     ग्राम सभा अध्यक्ष राजेश साहू सोण्डरा के साथ ग्रामीण पंच भी कुछ माह पूर्व की गई शिकायत पर अब तक कार्यवाही का इंतजार कर रहे हैं।

    *प्रदूषण ने घटाई उम्र-हुलास साहू*

    सामाजिक कार्यकर्ता हुलास साहू का कहना है कि औधोगिकीकरण के बाद सिंर्फ़ प्रदूषण का विकास हुआ है क्षेत्र में प्रदूषण से तरह तरह की बीमारियों ने लोगो की उम्र घटा दी है ।

   *कल किसान थे आज मजदूर*

  लगभग तीन दशक पहले  धरसीवा क्षेत्र के सांकरा सिलतरा में औधोगिकीकरण की शुरुआत अविभाजित मध्य प्रदेश के समय हुई थी उसके पहले यहां के ग्रामीण खेती किसानी कर कम आय में भी स्वस्थ्य रहते हुए सुख चैन से जीवन यापन करते थे ओधौगिक इकाइयों के लिए उनकी कृषि भूमि का अधिग्रहण होने के बाद जब उधोग तैयार हुए तो उन्हें बदले में उधोगो में किसी अच्छे पद पर काम देने के बजाय ठेकेदारों के अधीन मजदूरी का काम मिला यानी कल तक जो किसान थे आज उन्हें उधोगो में मजदूर बना दिया गया ।

   *प्रदूषण ने बढ़ाया खर्च*

औधोगिकीकरण के बाद जितनी तेजी से  प्रदूषण बढ़ा उतनी ही तेजी से ग्रामीणो के जेब का खर्च भी बढ़ता गया जो कपड़े हफ्तों पहनने पर भी गंदे नहीं होते थे वह पहनकर एक बार घर से निकलते ही गंदे हो जाते हैं घरों में घोकर यदि खुले में सूखने डाले तो उन्हें प्रदूषण साफ निहि रहने देता घरों में पहले सुबह शाम झाड़ू लगती थी अब तो सफाई बार बार करने से झाड़ू का खर्च ओर समय की बर्बादी ओर मेहनत तीनो खर्च बढ़ गए दीपावली पर लोग साफ सफाई करते हैं लेकिन सफाई के तुंरन्त बाद प्रदूषण उस पर पानी फेर देता है साबुन सर्फ झाड़ू कपड़े आदि का खर्च बढ़ने के साथ बीमारियों से दवाइयों का खर्च भी बढ़ गया सुकून की जिंदगी अब टेंशन की जिंदगी में तब्दील हो चुकी है।

   *ग्रामीणो की जरूरतों की तरफ कोई ध्यान नहीं*

    औधोगिकीकरण के तीन दशक बाद भी उधोगो ने जिन ग्रामीणो की जमीनों पर उधोग लगाकर धन कमाना शुरू किया उन ग्रामीणो की जरूरतों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया न तो उधोगो की तरफ से आसपास के ग्रामीणो को कोई अच्छा अस्पताल स्थापित  कराया गया न ही ग्रामीणो के बच्चो को अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने कोई स्कूल स्थापित किया न ही उधोगो की तरफ से ग्रामीणो को शुद्ध पेयजल ओर गांवो में सड़क बत्ती आदि की व्यवस्था कभी की गई ।

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