हम अपना नया साल 22 जनवरी को मनाना शुरू करें ब्रह्मदत्त शास्त्री
हम अपना नया साल 22 जनवरी को मनाना शुरू करें ब्रह्मदत्त शास्त्री
नवापारा (राजिम)
"कन्या रूप को पसन्द करती है और उसकी मां धनवान दूल्हा दामाद बने यह चाहती है, कन्या के पिता वर की योग्यता परखते हैं और कुटुम्ब व रिश्तेदारों का आग्रह रहता है कि शादी कुल खानदान में हो ताकि हमारी नाक समाज में न कटे" रुक्मणि विवाह की कथा कहते हुए पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने व्यास पीठ से कहा कि रुक्मणि ने जो पत्र द्वारकाधीश जी को लिखा है, वह संसार का सबसे पहला और सुन्दर प्रेम पत्र है, आज भी द्वारकाधीश के मन्दिर में जब संध्या आरती होती है तो पुजारी जी द्वारा प्रभु को वह पत्र पढ़कर सुनाया जाता है, तब उनको नींद आती है, तो रुक्मणि जी ने जो संबोधन किया है पत्र के प्रारम्भ में, तो लिखा है, "हे भुवन सुन्दर " और यही संबोधन पितामह भीष्म ने भी किया है, अपने महाप्रयाण के समय "हे त्रिभुवन कमनीय सौंदर्य के स्वामी" तो रुक्मणि प्रभु को पत्र लिखती है कि शेर की इस भोग्या को कोई सियार ना ले जाए, इसलिए शीघ्र आइए और मेरा वरण कीजिए, सुदेव नाम के ब्राह्मण देवता को पत्र वाहक बना कर द्वारिका भेजती है और द्वारकाधीश आकर रुक्मणि को गौरी पूजन के लिए जो मन्दिर आई थी, वहीं से अपहरण करके ले जाते हैं "दिव्य दंपत्ति की आरती उतारो री सखी" की आरती के साथ ही झांकी में सजे धजे दूल्हा दुल्हन रुक्मणि द्वारकाधीश जी ने कथा मण्डप में प्रवेश किया और लोग उन दिव्य दंपत्तियों की अगवानी, उनके स्वागत में नाचने झूमने लगे, परायणकर्ता पण्डित सौरभ मिश्रा ने पाणी ग्रहण संस्कार के मंत्र पढ़े,श्रोता भक्तजन बाराती और घराती बने बैंड बाजे बजने लगे, रोशन यादव की भजन संगीत मंडली ने एक से बढ़कर एक बधाइयां सुनाकर लोगो का दिल जीत लिया, नए साल के सन्दर्भ में कथा व्यास पण्डित ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा कि मैकाले की पाश्चात्य शिक्षा व्यवस्था ने हमारे संस्कार छीन लिए, यही कारण है कि हम अंग्रेजो का नव वर्ष जिस चाव से मनाते हैं वैसा चैत्र प्रतिपदा का सनातनी नव वर्ष नहीं मनाते, इस दिन तो ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण शुरू किया था आज भारत माता ने हमे एक सुनहरा अवसर दिया है, आगामी 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य और दिव्य राम मन्दिर में हमारे प्रभु श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, क्यो न हम अब हर साल 22 जनवरी को ही अपना नया साल मनाया करें, हम दिवाली इसलिए मनाते हैं क्योंकि इस दिन भगवान राम 14 साल के बनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे, पर अब तो 450 साल के लम्बे अरसे के बाद , लाखों लोगों के बलिदान के बाद राम जी अपने मन्दिर में आयेंगे तो हमे अब 22 जनवरी को नए साल मनाने की नई परंपरा शुरू करनी चाहिए, उनकी इस बात का उपस्थित समुदाय ने करतल ध्वनि से स्वागत व समर्थन किया, आज रुक्मणि विवाह का प्रसंग सुनने आज कथामंडप में भीड़ उमड़ पड़ी थी, आस पास के अंचल के लोग भी आए थे, रुक्मणि का कन्यादान परिक्षित बने पंचूराम साहू दम्पत्ति ने किया, दहेज में बर्तन, वस्त्र व गहने दिए, आज कथा सुनने डॉक्टर राजेन्द्र गदिया, चन्द्र रमण शर्मा, रामकुमार देवांगन, संजय बोथरा, विजय अग्रवाल, राजेंद्र बंगानी, परदेशी राम साहू, रविशंकर साहू, सुभाष पारख़, रमेश पहाड़िया, डॉक्टर लीलाराम साहू , प्रेमलाल साहू पहुंचे, सभी ने व्यास पीठ का आशीर्वाद लिया