ब्रह्माकुमारीज़ मण्डला मे संस्थान के संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा की मनाई गई 55वीं पुण्य स्मृति दिवस - fastnewsharpal.com
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ब्रह्माकुमारीज़ मण्डला मे संस्थान के संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा की मनाई गई 55वीं पुण्य स्मृति दिवस

 ब्रह्माकुमारीज़ मण्डला मे संस्थान के संस्थापक पिताश्री ब्रह्मा बाबा की मनाई गई 55वीं पुण्य स्मृति दिवस 



मण्डला-

 प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक पिता श्री ब्रह्मा बाबा की 55वीं पुण्य स्मृति दिवस ब्रह्माकुमारीज मार्ग, बस स्टैंड के पीछे स्थित “विश्व शांति भवन” के सभागृह में मनाई गई। इस कार्यक्रम में मंडला क्षैत्रीय संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ममता दीदी,पड़ाव सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी ओमलता दीदी,रामकृष्ण सेवाश्रम से सारदात्मानन्द स्वामी, सूर्य मन्दिर से सच्चिदानंद स्वामी, गुरूकुल आश्रम से ब्रह्मचारी प्रदीप देव आर्य ,वरदान आश्रम से कथावाचक पं. रामगोपाल शास्त्री( नीलू महाराज), गर्ल्स कॉलेज के प्राचार्य भ्राता प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे, श्रमजीवी पत्रकार अध्यक्ष भ्राता नीरज अग्रवाल, समाजसेवी भ्राता विनोद अग्रवाल एवं मण्डला ज़िले के अधिक संख्या में  ब्रह्माकुमार भाई बहनें उपस्थित रहे।

 

पिता श्री ब्रह्मा बाबा की स्मृति दिवस के अवसर पर सुबह 4 बजे से ही मण्डला जिले के ब्रह्मावत्स योग साधना करने सेन्टर पहुंचे। सुबह 07 बजे से मुरली क्लास के बाद सभी ने अखण्ड योग तपस्या  मौन रखकर की। उसके बाद सुबह 11 बजे से श्रद्धान्जलि कार्यक्रम शुरू हुआ। 

सर्वप्रथम सभी मंचासीन संत महात्माओं और अतिथियों ने ब्रह्मा बाबा की फ़ोटो पर पुष्पांजलि, भावांजली अर्पित की।

इसके बाद ब्रह्माकुमारी ओमलता दीदी ने सभी संत महात्माओं और अतिथियों का पुष्पगुच्छ देकर और तिलक लगाकर स्वागत किया।


ब्रह्माकुमारी ओमलता दीदी ने सभी मंचासीन अतिथियों का शब्दगुच्छों से स्वागत किया। इसके बाद प्रजापिता ब्रह्मा बाबा का जीवन परिचय बताया गया कि ब्रह्मा बाबा का लौकिक नाम लेखराज कृपलानी था एवं उनका जन्म 15 दिसंबर 1884 को सिन्ध, हैदराबाद (वर्तमान समय पाकिस्तान में) पिता खूबचंद कृपलानी के घर में हुआ था, जो की एक ग्रामीण पाठशाला के हेडमास्टर थे। दादा लेखराज की माँ का देहान्त, उनकी अल्पायु में ही हो गया था। करीबन 20 साल की आयु में पिता खूबचंद का भी देहान्त हुआ, जिसके बाद दादा लेखराज ने कुछ वर्ष अपने काका की अनाज़ की दूकान पर काम किया।  बड़े होकर उन्होंने हीरे परखने की, ज्वेलरी की कला सीखी और समय के साथ कलकत्ता के नामीग्रामी हीरे के व्यापारी बन गए।  उनका व्यापार मुंबई तक भी पंहुचा। समाज में भी उनका बड़ा मान था, व उनको लोग आदर से लखी दादा कहते थे।  जब उनकी आयु 60 साल की थी, तब परमात्मा (शिव बाबा) ने उन्हें कुछ साक्षात्कार करवाए, उनमें शिव बाबा की प्रवेशता हुई, उसके बाद परमपिता परमात्मा के प्रेरणा से ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान की स्थापना हुईं।


 कथावाचक नीलू महाराज जी ने ब्रह्मा बाबा को नमन करते हुए कहा कि हम सभी  ब्रह्मा बाबा के अव्यक्त दिवस को मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं। ब्रह्मा बाबा का जीवन बहुत त्याग तपस्या से ओतप्रोत था, जिनके ज्ञान की वजह से यह संस्था देश के साथ विदेशों में भी कार्यरत है। 


सच्चिदानंद स्वामी जी ने ब्रह्मा बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ब्रह्मा बाबा ने हम सभी को सिखाया कि हम अपने घर में रहकर, गृहस्थ में रहकर भी ईश्वर का ध्यान कर सकते है, ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं।


राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी ममता दीदी ने बताया कि 18 जनवरी  1969 के दिन ब्रह्मा बाबा ने अव्यक्त हुए। इस दिन को ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान द्वारा विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनका जीवन साधारण और त्याग, तपस्या से भरपूर था। और बताया कि स्वर्णिम दुनिया स्थापना करने के लिए परमपिता परमात्मा शिव इस धरा पर आते हैं और उस दुनिया में ले जाने के लायक हम सभी को बनाते हैं। भगवान ने प्रजापिता ब्रह्मा बाबा को स्वर्ण युग लाने के लिए निमित्त बनाया एवं स्वर्णिम युग लाने के लिए भगवान ने उन्हें साक्षात्कार कराया। 

प्रजापिता ब्रह्मा बाबा एक साधारण मानव थे सभी उन्हें बहुत प्यार से दादा कह कर पुकारते थे क्योंकि वह बहुत स्नेही थे। हीरे जवाहरात का व्यापार होने की वजह से उनका संबंध बड़े-बड़े राजा महाराजाओं से था। 


सारदात्मानन्द स्वामी जी ने प्रजापिता ब्रह्मा बाबा को साकार में देखा और उनसे मिलने का अनुभव भी बताया। और कहा कि ब्रह्मा बाबा बहुत सरल, सहज थे। 


ब्रह्मचारी प्रदीप देव आर्य ने कहा कि  मन मे उठने वाली बुरी तरंगों को रोक कर जीवन से सभी दुःखों को दूर कर सकते हैं। अच्छी आदतों को धारण करना है बुरी चीजो का त्याग करना है।


प्रो. डॉ शरद नारायण खरे जी ने ब्रह्मा बाबा की स्मृति दिवस पर कहा कि ब्रह्मा बाबा ने देश के साथ साथ अन्य देशों में भी ज्ञान का प्रकाश फैलाया और उनके द्वारा दिया गया ज्ञान अभी भी लोगों के जीवन को प्रकाशित कर रहा है। 


भ्राता नीरज अग्रवाल जी ने पिता श्री ब्रह्मा बाबा को नमन किया और कहा कि बहुत अधिक समय से ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़ा हुआ हूँ। पिता श्री ब्रह्मा बाबा के विचारधारा में चलकर हम सभी विश्व में शांति स्थापित करें।


उसके बाद राजयोगीनी ब्रह्माकुमारी ममता दीदी और  ब्रह्माकुमारी ओमलता दीदी ने सभी संत महात्मा एवं अतिथियों को ईश्वरीय सौगात भेंट की। तत्पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित सभी संत महात्मा एवं अतिथियों सहित ब्रह्मावत्सों ने ब्रह्माभोजन किया।

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