*प्रतिदिन 30 से 40 किलो मीटर तक पद विहार कर रहे जैन मुनि* - fastnewsharpal.com
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*प्रतिदिन 30 से 40 किलो मीटर तक पद विहार कर रहे जैन मुनि*

 *प्रतिदिन 30 से 40 किलो मीटर तक पद विहार कर रहे जैन मुनि*



*तिल्दा से पद विहार कर सांकरा पहुचे मुनि निरंजन सागर*

     सुरेन्द्र जैन/ धरसीवा

परम पूज्य संत शिरोमणि आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महामुनिराज के परम शिष्य पूज्य मुनिश्री निरंजन सागर जी का चन्द्रगिरि डोंगरगढ़ की ओर लगातार विहार जारी है मुनिश्री प्रतिदिन 30 से 40 किलो मीटर तक पदविहार कर रहे हैं गुरुवार को वह 30 किलो मीटर पद विहार करते हुए सांकरा जैन मंदिर पहुचे।

   तिल्दा नेवरा जहां सभी वर्ग के लोगो को पूज्य आचार्यश्री विद्यासागरजी महामुनिराज का सर्वाधिक आशिर्वाद मिला और अनमोल वचनों में भी आचार्यश्री ने तिल्दा नेवरा वासियों की प्रशंसा की थी वहां से ब्राह्मण समाज के जीतू शर्मा जी बन्टी जैन रानू जैन कूँरा वाले फाफाडीह तिल्दा नेवरा से मुनिश्री के पद विहार में पैदल चलते हुए किरणा पहुचे किरणा में आहार चर्या व सामायिक उपरांत पूज्य मुनिश्री ने पुनः 2 बजे पद विहार शुरू किया और सूर्यास्त के पहले तक 30 किलो मीटर का पद विहार कर मुनिश्री सांकरा जैन मंदिर पहुचे सांकरा जैन समाज उपाध्यक्ष सुरेन्द्र जैन बाड़ी वाले कोषाध्यक्ष नीलेश जैन वर्गी वाले भी पदविहार में मुनिश्री के साथ चले सांकरा में जैन समाज संरक्षक सुरेन्द्र जैन बेगमगंज वाले श्वेता राजू जैन भानु जैन  एवं मालवीय रोड टेगौर नगर जैन फाफाडीह जैन समाज के लोग नरेंद्र जैन गुरुकृपा दीपक मोदी राजेश जैन रज्जन भी रानू जैन फाफाडीह वाले भी पहुचे ओर मुनिश्री की अगवानी की  शुक्रवार सुबह 6 बजे मुनिश्री का पुनः विहार होगा टाटीबंध में आहारचार्य व सामायिक उपरांत पूज्य मुनिश्री पुनः चन्द्रगिरि की ओर विहार करेंगे

   *130 किलो मीटर बचा चन्द्रगिरि*

   पूज्य मुनिश्री निरंजन सागर जी मुनिराज को 3 मार्च के पहले चन्द्रगिरि पहुचना है और अभी चन्द्रगिरि 130 किलो मीटर ओर शेष बचा है।

   *एक ही टाइम आहार जल लेते है मुनिराज*

   चाहे मौसम कोई भी क्यों न हो दिगंबर मुनिराज विधि पूर्वक चौबीस ग्घन्टे में मात्र एक ही बार आहार व जल लेते हैं इसके बाद चौबीस ग्घन्टे कुछ भी नहीं लेते बाबजूद इसके वह नँगे पैर रोजाना तीस से चालीस किलो मीटर तक पद विहार करते हैं वो भी सूर्योदय से सूर्यास्त होने के पहले तक ही विहार करते है जहां सूर्यास्त हो फिर वहां यदि घनघोर जंगल ही क्यों न हो मुनिराज आगे कदम नहीं बढाते।

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