राजिम नगरी साहित्यकारों से समृध्द है..... दण्डी स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ संत समागम में संगोष्ठी
राजिम नगरी साहित्यकारों से समृध्द है..... दण्डी स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ संत समागम में संगोष्ठी
राजिम
राजिम कुंभ कल्प के ग्यारहवें दिन संत समागम परिसर में साहित्य संगोष्ठी कार्यक्रम किया गया जिसके आयोजक चक्र महामेरू पीठाधिपति स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ जी थे जिन्हें लोग लैपटाॅप वाले बाबा कहतेे है वे अपने मंडप में सदैव विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक आयोजन एवं यज्ञ अनुष्ठान आदि करते है जिसमें अचंल के गणमान्य बुद्धिजीवी जन एवं शिक्षण संस्थाओ के विद्यार्थीगण बड़े उत्साह से भाग लेते है। इसी क्रम में उनके मंडप में रामोत्सव पर साहित्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें अंचल के विभिन्न साहित्यकारो ने भाग लिया। आयोजन के प्रारंभ में स्वामी जी के शिष्यों व ऋषि कुमारों ने दीप प्राकट्य कर एवं मंगलाचरण कर कार्यक्रम का शुभारंभ कराया कवि रोहित कुमार साहू माधुर्य ने सरस्वती वंदना की तत्पश्चात् संयोजक पंडित ब्रम्हदत्त जुगल किशोर शास्त्री ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प के शिल्पी छत्तीसगढ़ शासन धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के अथक परिश्रम से आज चारों तरफ राममय माहौल है और संतो के आगमन से यह भूमि पुनः पावन हो गई है। पांच सौ वर्षो की लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में रामलला पुनः प्राण प्रतिष्ठित हुए है उनके गुनगान करते हुए साहित्य संगोष्ठी के माध्यम से राम के संपूर्ण चरित्र को साहित्यकारों ने अपने गीत, कविता, कहानी, गजल एवं विचारो से स्पर्श करने का प्रयास किया। वरिष्ठ साहित्यकारों एवं पत्रकारो की उपस्थिति में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए राजिम के मनीष दुबे ने कहा कि आज भौतिक युग में राम के गुणों को हर घर में अपनाने की जरूरत है तभी सुख शांति व समृद्धि आ सकती है रोहित साहू माधुर्य ने सुमधुर गीत प्रभु जी कुछ ऐसा चमत्कार हो जाये स्वच्छ भारत का सपना साकार हो जाये....... सुुनाकर स्वच्छता का संदेश दिया। मोहनलाल मानिकपन ने तोर कोरा म जनम पाके....... माता कौशिल्या पहचान बनाये, कर्णप्रिय गीत सुनाकर छत्तीसगढ़ महतारी का गुणगान किया। कवयित्री सरोज कंसारी ने इन पंक्तियो में अपनी भावनाओ को व्यक्त किया हदय में गुंजित वीणा की ताल, स्नेह की धुन में हो हर गान......., श्रवण कुमार साहू प्रखर ने कहा आने वाले वर्षाे में राजीव लोचन साहित्य महोत्सव का आयोजन होना चाहिए जिसमें अंचल के साथ पूरे छत्तीसगढ़ के साहित्यकारों देखने सुनने का अवसर मिलना चाहिए। मकसूदन साहू बरी वाला ने अपनी कविता में कहा कि बेल में पानी डालो, महादेव शंकर मिलेगा, कंकड़ में पानी डालो भोले शंकर मिलेगा। डाॅ रमेश सोनायटी ने कविता सुनाते हुए कहा कि हे प्रभु श्रीराम तुम्हारी कृपा से होता है सब काम..... पत्रकार संजीव दुबे ने कहा कि साहित्य साधना का पथ होता है लिखने से पहले पढ़े उस पर गहन विचार करें इससे मौलिकता आती है और हम अच्छे से लिख पाते है आभार व्यक्त करते है। इस समग्र आयोजन के संरक्षक पंडित ब्रम्हदत्त शास्त्री ने कहा कि राजिम साहित्य नगरी है इसकी पावन माटी ने ब्रम्हलीन संत कवि कृष्णा रंजन, पवन दीवान, पुरूषोत्तम अनासक्त, छबिराम अशान्त, रवि श्रीवास्तव, लक्ष्मण मस्तुरिया, अशोक सिंघई जैसे अनेक साहित्य रत्नों को जन्म दिया है इस माटी को मेरा बारंबार प्रणाम है उन्होंने ब्रम्हलीन संत कवि पवन दीवान एवं कृष्णा रंजन जी को अपने भाव सुमन श्रद्धांजलि स्वरूप कविता के रूप में व्यक्त किये कार्यक्रम का संचालन संतोष सोनकर मंडल ने किया मंच संचालन करते हुए बड़े ही रोचक ढंग से साहित्य सड़क को मुक्तक के माध्यम से आमंत्रित किया मंच संचालन करते हुए कहा कि राम तुम्हारा चरित्र स्वयं ही काव्य है कोई कवि बन जाए सहज संभाव्य हैसंगोष्ठी के समापन के समय आश्रम के दण्डी स्वामी श्री विश्वानंद तीर्थ व कृष्णानंद तीर्थ ने सभी साहित्यकारो को श्रीफल एवं मिठाई का डिब्बा प्रसाद व आशीर्वाद स्वरूप प्रदान किया श्री चक्र महामेरू पीठ के अधिपति स्वामी सच्चिदानंद तीर्थ ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सभी के उज्जवल भविष्य की मंगल कामना की। अन्त में कवियत्री सरोज कंसारी ने आभार व्यक्त किया।