दानशीलता की मिशाल---मनियारा बाई बेटे की स्मृति में कर दिया सर्वस्व समर्पण बनाया बद्रीप्रसाद कॉलेज
दानशीलता की मिशाल---मनियारा बाई बेटे की स्मृति में कर दिया सर्वस्व समर्पण बनाया बद्रीप्रसाद कॉलेज
आरंग
आरंग पौराणिक काल से ही दानशीलता के लिए
विख्यात रही है। जहां दानशीलता की एक से बढ़कर एक मिशाल देखने-सुनने को मिलता है। जिसमें से एक है मनियारा बाई लोधी। जिनकी दानशीलता भी एक मिसाल है। दानदात्री मनियारा बाई ने वर्तमान बद्रीप्रसाद लोधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय आरंग की स्थापना के लिए अपना सर्वस्व अर्पण किया है। लोधी पारा आरंग निवासी कृषक स्वर्गीय गणेश मंडल लोधी की धर्मपत्नी श्रीमती मनियारा बाई लोधी थी। उनका एक मात्र पुत्र बद्री प्रसाद लोधी युवावस्था में सन् 1964 में परलोक गमन कर गए। उनकी माता मनियारा बाई लोधी ने बेटे की स्मृति को चिर स्थाई बनाने मंदिर निर्माण का प्रस्ताव समाज में रखा। उनके प्रस्ताव पर सामाजिकजनों ने ज्ञान का मंदिर बनवाने का सुझाव दिया। समाज प्रमुखों ने कहा-आरंग एक पौराणिक और धार्मिक नगर है। यहां अनेक मंदिर हैं। यहां उच्च शिक्षा का मंदिर नहीं है, जिससे यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं मिल रही है।इस प्रस्ताव से मनियारा बाई लोधी कॉलेज बनवाने सहमत हुई।और बद्री प्रसाद न्यास का
गठन किया गया। जिसमें मनियारा बाई लोधी के समस्त चल-
अचल संपत्ति जिसमें 40 एकड़ भूमि, दो मकान, एक खलियान,बाड़ी का दान पत्र लिखा गया। सन् 1965 में शासकीय बेसिक शाला आरंग में छोटे-छोटे तीन कमरों तथा 35 विद्यार्थियों से महाविद्यालय प्रारंभ हुआ। महाविद्यालय के लिए स्वयं के भवन का निर्माण, कुर्सी टेबल, स्टेशनरी, शिक्षक व शैक्षणिक कर्मचारी की व्यवस्था कुछ जमीन को विक्रय कर किया गया। महाविद्यालय द्वारा स्वयं के भवन का निर्माण लगभग 3 एकड़ 65 डिसमिल जमीन पर सन् 1970 में किया गया। जिसमें श्री हरदेव लाल लोधी समाज परिषद द्वारा पुस्तकालय हेतु धनराशि दान किया गया। महाविद्यालय का शासकीयकरण सन 1983 में हुआ। जिसमें कला एवं वाणिज्य संकाय प्रारंभ किया गया। बाद में विज्ञान संकाय की शिक्षा भी प्रारंभ हुई। इस तरह मनियारा बाई लोधी की उदारता व दानशीलता से आरंग में शिक्षा का प्रकाश आज भी प्रज्वलित हो रहा है।