नगर मे चल रहे श्रीमद भागवत महापुराण मे कथा सुनने पहुंचे क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि, कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण जन्म प्रसंग पर जीवन्त झांकी एवं गीत-संगीत पर झूम उठे श्रोता गण
नगर मे चल रहे श्रीमद भागवत महापुराण मे कथा सुनने पहुंचे क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि
कथा के पांचवे दिन श्री कृष्ण जन्म प्रसंग पर जीवन्त झांकी एवं गीत-संगीत पर झूम उठे श्रोता गण
जीवन मे आधुनिकता के साथ आध्यात्मिकता को भी साथ रखे -----' पं रत्नेश जी महराज
छुरा
श्रीमद् भागवत कथा ऐसा साधन है, जिससे इंसान को अनंत काल से चले आ रहे जन्म और मृत्यु के काल चक्र से मुक्ति मिल जाती है। आजकल चारों तरफ अराजकता का भाव आ गया है क्योंकि आज लोग आधुनिकता के दौड़ में लगे हुए हैं। मनुष्य को ये समझना चाहिए कि आधुनिकता के साथ साथ आध्यात्मिकता को भी साथ रख भगवान की कथा को श्रवण करना चाहिए , कथा व्यास पीठ से पं रत्नेश राम मिलन पांडेय जी महराज ने कथा के पांचवे दिन श्रद्धालुओ को कथा के माध्यम से उक्त बाते कही। पांडेय जी महराज ने भगवान श्री कृष्ण के के,जन्म उत्सव, राम जन्म,वामन अवतार, गोवर्धन पूजा सहित,अन्य कई अवतारो पर चर्चा की।इस दौरान जीवन्त झाकियो के साथ श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया ।पुरा पंडाल "नन्द के घर आनन्द भयौ जय कन्हैया लाल की,, के उद्घोस से गूंज उठा ।जन्मोत्सव के समय सभी श्रोतागण झुमने व नाचने लगे। सुमधुर भजनो के साथ कथा श्रवण करने भक्तो की भीड़ उमड पड़ीं ।वही वामन अवतार की कथा मे महराज जी ने बताया कि प्रभू ने पहले पग मे राजा बली का मन नापा,दुसरे पग मे पूरी श्रष्टी धन को नाप दिया।जब तीसरे पग की बारी आयी,तो राजा बली भी मुक हो गये ।तभी उसकी पत्नी आगे आयी और राजा बली से अपना तन भगवान को अर्पित कर देने की बात कही ।राजा बलि ने अपना तन,मन,धन भगवान के चरणो मे अर्पित कर दिया।वही भगवान श्री राम कथा का वर्णन करते हुए कथा वाचक पं रत्नेश जी महराज ने मनुष्यो को श्री राम के जीवन चरित्र का अनुसरण करने की प्रेरणा दी।कथा के दौरान श्रीराम चरित मानस के दोहो व चौपाईयो का संक्षेप में वर्णन करते हुए उसका सार बताया।
धर्म की स्थापना के लिए होता है भगवान का अवतार-----
कथा वाचक ने वामन अवतार की लीला के बारे मे चर्चा करते हुए कहा कि जब जब धरा पर अत्याचार,दुराचार,पाप बढता है तब-तब प्रभू का अवतार होता है।प्रभू का अवतार अधर्म का विनाश और धर्म की स्थापना के लिए होता है।उन्होने कहा कि मथुरा मे राजा कंस के अत्याचार से व्यथित होकर,धरती की करण पुकार सुनकर,नारायण ने कृष्ण के रूप में देवकी की अष्टम पुत्र के रुप मे जन्म लिया।औरअतातायी,अधर्मी राजा कंस का वध कर धर्म और प्रजा की रक्षा किया।।उन्होने कहा कि जीवन मे भागवत कथा सुनने का सौभाग्य बडा दुर्लभ है,जब भी हमे अवसर मिले इसका सदुपयोग करना चाहिए।कथा सुनना तभी सार्थक होगा,जब उसके बताए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करेंगे।वही छठवये दिन की कथा मे भगवता चार्य ने श्रीकृष्णं के बाललीलाओ, का वर्णन,गोवर्धन पूजा,छप्पन भोग , रुखमनी विवाह का जीवन्त झांकी के साथ सुन्दर वर्णन किया।जहाँ मधुर गीत संगीत की धुन मे भावुक श्रोताओं ने नृत्य किये।वही क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियो का आवाजाही बना रहा।इसी तारतम्य मे पर्व विधायक अमितेश शुक्ल,- का आगमन श्रीमद भागवत कथा सुनने हुआ ,आयोजक यादव परिवार द्वारा आत्मीय स्वागत किया गया ।सभी आगन्तुक जनप्रतिनिधि अतिथियो ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपने जीवन मे धर्म को अपना कर कर्म करे तो पुण्य की प्राप्ति होती है,जो श्रीमद भगवत गीता से हमे प्रेरणा मिलती है।सभी ने आयोजक परिवार को बधाई दिये।इस अवसर पर हजारो की संख्या में नगर एवं क्षेत्र भर से आये,धर्म प्रेमी युवा माताये,बहने,वरिष्ठ जन,किसान,व्यापारी,व अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे ।