*देखे वीडियो --सृष्टि के नवनिर्माण में कृषकों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है - राजयोगी बी के महेंद्र ठाकुर*
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मगरलोड
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेवा केंद्र मगरलोड में किसान सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजयोगी बी के महेंद्र ठाकुर निर्देशक रुचि एग्रो फार्म गोंदिया महाराष्ट्र एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में राजयोगिनी बी के सरिता दीदी जी संचालिका जिला धमतरी एवं जोनल कोऑर्डिनेटर कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग ,साथ में ब्र.कु.सेंटर धमतरी से बीके प्राजक्ता, बीके सरस, बीके नवनीता एवं कुरूद सेंटर से बीके सुनीता बहन जी व आमंत्रित किसान भाई उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का शुभारंभ "किसान सशक्तिकरण" नाटक एवं छत्तीसगढ़ी गीत नृत्य के पश्चात दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। स्वागत भाषण सेवा केंद्र संचालिका बीके अखिलेश दीदी द्वारा प्रस्तुत किया गया । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि भ्राता महेंद्र ठाकुर ने कहा कि आज अन्नदाता कहे जाने वाले किसान अत्यधिक उत्पादन के लालच में खेतों में अत्यंत जहरीले कीटनाशक दवाइयां, जहरीले रासायनिक खाद का छिड़काव कर रहे हैं और उत्पादन ले रहे हैं । लेकिन इससे जमीन बंजर होते जा रही है और धीरे-धीरे उत्पादन में कमी आ रही है । एक स्थिति ऐसी आ जाएगी कि यह खेती जमीन पूर्णता बंजर हो जाएगी और फसल उत्पादन बंद कर देगी ।
फसल उत्पादन के बाद किसान खेतों में पड़े पराली (पैरा) को जलाते हैं जिससे उस खेत में किसानों के मित्र कहे जाने वाले केंचुए, जीवाणु आदि नष्ट हो जाते हैं और जमीन का उर्वरा शक्ति कम होती जाती है । इस प्रकार देखा जाए तो खेतों में आग लगाना माना अपनी किस्मत को आग लगाना है । आज यदि किसान चाहे तो अपने मन, बुद्धि को परमात्मा में लगाकर एक नए सृष्टि का निर्माण कर सकते हैं अर्थात सृष्टि के नव निर्माण में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इसके लिए किसानों को चाहिए कि वह प्रकृति के पांचो तत्वों को देवता की तरह मानकर उनकी पूजा करें, क्योंकि वह हमें सिर्फ देने का कार्य करते हैं । ठाकुर ने अपने अनुभव शेयर करते हुए कहा कि उन्होंने अपने अच्छी खासी शासकीय नौकरी को छोड़कर एक अन्नदाता के रूप में कृषि कार्य को प्रारंभ किया और इस दौरान जब प्रकृति के कई विकट परिस्थितियां आई ,तूफान आए तो परमात्मा से शक्ति लेकर प्रकृति को आकाश दिया जिसका सुपरिणाम यह हुआ कि फसल बर्बाद होने से बच गए और अच्छी पैदावार भी हुई । अत: किसानों को प्रकृति को साकाश देना चाहिए। किसानों को खेत में पड़े हुए पैरा को जलाने के बजाय उन्हें बारिश में सड़ने देना चाहिए जिससे खाद बनेगा,जीवाणु भी स्वस्थ रहेंगे और उनके कारण पौधों की जड़े व तना भी मजबूत होंगे और फसल की पैदावार अच्छी होगी । किसानों को प्रकृति से प्रेम करना चाहिए । इसके लिए परमात्मा से शक्ति लेकर प्रकृति को साकाश देना चाहिए । किसान जब कृषि कार्य आरंभ करते हैं तो सबसे पहले उन्हें परमात्मा का आव्हान करके उसका सहयोग लें, बीजों का उपचार करें ,खेतों में जाकर भूमि को साकाश दें और फिर बीज छिड़काव करने के बाद जब-जब खेतों में जाएं किसान 10-15 मिनट एक निश्चित जगह पर बैठकर परमात्मा से शक्ति लेकर फसलों को स्थानांतरित करें तो निश्चित रूप से फसल में किसी प्रकार का रोग भी नहीं होगा और पौष्टिक अनाज का उत्पादन होगा जिनका उपभोग करने से मनुष्य भी तन-मन से स्वस्थ रहेंगे अर्थात स्वस्थ समाज का निर्माण होगा । राजयोगिनी सरिता दीदी ने कहा कि इस सृष्टि में तीन चीज अनवरत हैं, इसके बिना संसार, मनुष्य कुछ नहीं कर सकता । वह है प्रकृति, पुरुष और परमात्मा । इन तीनों का आपसी संबंध बहुत गहरा है। प्रकृति, जो दे रही है उसका उपभोग करने वाला पुरुष, इन दोनों को संभालने वाला परमात्मा ही है। अतः प्रकृति से प्रेम करना होगा क्योंकि वह हमें देना चाहता है लेना नहीं। राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित भाई वीरेंद्र साहू बेलौदी ने भी सभा को संबोधित किया। अंत में कार्यक्रम में उपस्थित इस अंचल के सैकड़ो किसान भाइयों को संस्था की ओर से गमछा, श्रीफल एवं शिव संदेश भेंट कर उनका सम्मान किया गया तथा पवित्र ब्रह्मा भोजन कराया गया। कार्यक्रम का संचालन बी के दुलार भाई ने किया। सेवा केंद्र संचालिका अखिलेश दीदी ने आत्म-शांति व संसार के कल्याण के लिए उपस्थित किसानों सहित अंचल के सभी लोगों से राजयोग कोर्स करने हेतु सेवा केंद्र आने का अपील किये हैं। इसके लिए निर्धारित समय प्रतिदिन प्रातः 7:00 बजे से 12:00 तक तथा शाम 5:00 बजे से 9:00 तक का है ।