निजी स्कूल स्कूल कम ड्रेस पुस्तक जुता मोजा बेल्ट दुकान अधिक,मार्केट से डेढ़ दो गुने रेट पर बेंच रहे ड्रेस,अधिकांश स्कुलो में खेल मैदान तक नहीं - fastnewsharpal.com
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निजी स्कूल स्कूल कम ड्रेस पुस्तक जुता मोजा बेल्ट दुकान अधिक,मार्केट से डेढ़ दो गुने रेट पर बेंच रहे ड्रेस,अधिकांश स्कुलो में खेल मैदान तक नहीं

 निजी स्कूल स्कूल कम ड्रेस पुस्तक जुता मोजा बेल्ट दुकान अधिक,मार्केट से डेढ़ दो गुने रेट पर बेंच रहे ड्रेस,अधिकांश स्कुलो में खेल मैदान तक नहीं



    सुरेंद्र जैन/ धरसींवा

 देश के ह्रदय प्रदेश मध्यप्रदेश में भले ही निजी स्कूलों पर वहां की सरकार ने सख्ती क्यों न दिखाई हो लेकिन उसी राजनीतिक दल की सरकार होते हुए भी छत्तीसगढ़ में निजी स्कूलों पर सरकार लगाम लगाने में नाकाम दिख रही है परिणाम स्वरूप राजधानी रायपुर  से लगे धरसींवा क्षेत्र में भी  निजी स्कूलों की मनमानी हर साल की तरह इस साल भी बदस्तूर जारी है 

   निजी स्कूल स्कूल कम ड्रेस जूता मोजा पुस्तक दुकान अधिक लगते हैं

    मुख्यालय धरसींवा  सांकरा सिलतरा धनेली मांढर मुरेठी सहित अधिकांश गांवो में निजी स्कूलों की मनमानी जारी है

*मनमाने रेट पर स्कूल ड्रेस  मोजा बेल्ट*

   अधिकांश निजी स्कूल मार्केट रेट से डेढ़ से दो गुना अधिक रेट पर स्कुल ड्रेस मोजा बेल्ट आदि बेंच रहे हैं सूत्रों के अनुसार रायपुर के थोक कपड़ा मार्केट से स्कूल संचालक थोक में अपने अपने स्कुलो के बच्चो को बेंचने ड्रेस सिलवाते हैं और उनके स्कूल की ड्रेस संबंधित क्षेत्र के  किसी भी कपड़ा दुकानदार को न बेंचने की शर्त पर थोक में ड्रेस सिलवाकर लाते हैं इसके बाद वह या तो पालकों को सीधे स्कूल से ही ड्रेस बेंचते हैं या किसी कपड़ा दुकान में रखबाकर अपने निर्धारित रेट पर बिकवाते हैं बदले में संबंधित दुकानदार को 50 रुपये प्रति ड्रेस कमीशन देते हैं पालकों को बता दिया जाता है कि ड्रेस इस दुकान से ले लें इस तरह डेढ़ से दोगुने रेट पर स्कूल ड्रेस बेंची जा रही हैं ।

  *हर साल ड्रेस में बदलाव*

  अधिकांश निजी स्कूल संचालक प्रतिवर्ष अपनी दुकान चलाने अपने स्कूल की ड्रेस में कुछ न कुछ हल्का बदलाव करते रहते हैं ताकि हर वर्ष उनकी दुकानदारी चलती रहे बच्चो को पढ़ाने की मजबूरी में अधिकांश पालक लूटने मजबूर रहते हैं

  *खेल मैदान के बिना मान्यता से शिक्षा विभाग सन्देह के घेरे में*

   क्षेत्र के अधिकांश निजी स्कूलो के पास खेल मैदान तक नहीं है इससे कहीं न कहीं शिक्षा विभाग भी सन्देह के घेरे में है कि कहीं यह सब मिलीभगत से तो नहीं चल रहा

   *सरकार दे रही निजी स्कूलों को भी कोर्स तब भी बेंच रहे स्कूल संचालक*

     निजी स्कूलों में भी सरकार निःशुल्क पाठ्य पुस्तके उपलब्ध करा रहे है बाबजूद इसके निजी स्कूल संचालक बच्चो को मनमाने दामो पर पाठ्य पुस्तकें बेंच रहे हैं या किसी एक दुकान पर रखबाकर बिकवा रहे हैं 

   *क्या कहते हैं बीईओ*

  इस संबन्ध में विकाश खण्ड शिक्षा अधिकारी संजय पुरी गोस्वामी का कहना है कि निजी स्कूलों को मान्यता जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से दी जाती है और मान्यता तभी मिलती है जब निजी स्कूल संचालक खेल मैदान सहित सभी औपचारिकताएं पूर्ण करती है    अधिकांश स्कुलो के पास खेल मैदान नहीं होने और स्कुलो द्वारा ड्रेस बेंचने की जांच करने की बात बीईओ ने कही।

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