युवा कहानीकार भोलाराम सिन्हा
युवा कहानीकार भोलाराम सिन्हा
मगरलोड
कहा जाता है कि 'साहित्य समाज का दर्पण होता है' साहित्य समाज को नई दिशा प्रदान करता है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ी व हिंदी साहित्य में बहुत ज्यादा काव्य लिखे जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ी व हिंदी में कविता लिखने वालों की भरमार है। लेकिन गद्य साहित्य कम लिखे जा रहे हैं, ऐसे समय में छत्तीसगढ़ी गद्य में कहानी लिखने का कार्य युवा कहानीकार भोलाराम सिन्हा जी कर रहे हैं, जो प्रशंसनीय है।
आज छत्तीसगढ़ी कहानी के संसार में एक से बढ़कर एक रचनाकार के नाम मिलते हैं।
लेकिन युवा वर्ग में लिखने वाले कम हैं, भोलाराम सिन्हा सामाजिक नारी प्रधान, चिंतनशील कहानी लिख रहे हैं। भोलाराम मूल रूप से शिक्षक हैं। इस नाते वह बाल कहानी भी लिखते हैं।
इनकी बाल कहानियाँ आकाशवाणी रायपुर के बच्चों के लिए प्रसिद्ध कार्यक्रम बालवाटिका में भी प्रसारण होता रहता है। समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ शासन, रूम टू रीड इंडिया द्वारा चयनित व प्रकाशित सिन्हा जी की बाल कहानी छेरछेरा को चौदह भाषा में अनुवाद कराया गया है। जिसे निकट भविष्य में छत्तीसगढ़ के सभी प्राथमिक शालाओं में भेजी जाएगी। जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा जिला धमतरी द्वारा चयनित व प्रकाशित सिन्हा जी की रोचक कहानी लालच के फल को धमतरी जिले के सभी प्राथमिक शालाओं में भेजी गई है। इनका जन्म 15 जुलाई 1982 को हुआ, इनके माता जी का नाम राम बाई सिन्हा एवं पिता जी का नाम स्वर्गीय खोमन राम सिन्हा है। इनकी धर्म पत्नी का नाम निर्मला सिन्हा व बेटा का नाम धनंजय सिन्हा है।भोलाराम ग्राम डाभा विकासखंड मगरलोड, जिला धमतरी के निवासी है। गॉंव में खेल-कूद कर बड़े हुए हैं। सिन्हा की बालिका शिक्षा पर आधारित कहानी का प्रकाशन छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के तिमाही छत्तीसगढ़ी पत्रिका सुरहुत्ती में भी हो चुका है इनकी कहानियाँ- गोमती ,चंदा के सपना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, को सार्थक करती यह कहानियाँ समाज को प्रेरणा देने वाली है। गोमती अनेक समस्याओं को पार करती हुई अपने लक्ष्य तक पहुंच ही जाती है।
चंदा भी जिस गाँव में पढ़ाती थी वहां के गाँव को नशामुक्त करने में सफल हो जाती है। जो आज के समय में सबसे बड़ी समस्या है। ये दोनो कहानी गोमती व चंदा के सपना का पुनः प्रसारण आकाशवाणी रायपुर से समय-समय
पर होता रहता है।
कोनो ल झन बताबे यह कहानी नारी-विमर्श की कहानी है। जीवन में सुख-दुख आते-जाते रहता है। भारतीय नारी के समर्पण और पति प्रेम के झलक मोहनी के चरित्र में देखने को मिलती है। कहानी में संवाद पात्र के अनुकूल परिस्थिति के अनुरूप है। जीवंत है। कहानीकार गाँव के दर्शन कराने में सफल हुए हैं। सिन्हा की ढेलवाणी कहानी सामाजिक कहानी है, हृदय परिवर्तन की कहानी है, दुलारी कहानी में दुलारी दहेज प्रथा को एनजीओ के साथ मिलकर दूर करने का प्रयास करती है और सफल हो जाती है।
सिन्हा की रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होता रहता है।
साथ ही साथ सामुदायिक अरपा रेडियो बिलासपुर के प्रसिद्ध कार्यक्रम श्रोता की कलम से में भी अनेक लेखों
का प्रसारण होता रहता है, जो छत्तीसगढ़ संस्कृति पर आधारित होता है ।आप संगम साहित्य एवं सांस्कृक्तिक समिति मगरलोड के सदस्य व जनवादी लेखक संघ धमतरी इकाई के उपाध्यक्ष भी हैं। छत्तीसगढ़ी के साथ-साथ समय- समय पर निरंतर हिंदी आलेख, लघुकथा भी लिखते हैं। यह कार्य आपके प्रशंसनीय हैं। शाला में बेहतर कार्य करने के लिए इन्हें मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण शिक्षा दूत पुरस्कार भी मिल चुका है। कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी के हाथों भी सम्मानित हो चुके हैं। इसके साथ -साथ ही साहित्य के सितारे, नई कलम, मन की आवाज, काव्य शिरोमणि सम्मान के साथ अनेक प्रशस्ति पत्र मिल चुका है। आपके अप्रकाशित कहानी संकलन है। कोनो ल झन बताबे, लोककथा संग्रह सोनबती चिरई आय।
यह दोनों संकलन बहुत जल्द ही प्रकाशन होगा इसी आशा के साथ भोलाराम सिन्हा जी को मेरे ओर से जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई के साथ उन्ही के यह चार पंक्ति
भारत के वीरों से,
देश के लिए संघर्ष करना सीखें। अपनी पावन धरती के लिए बलिदान करना सीखें!!
अशोक पटेल व्याख्याता
साहित्यकार