*आरंग नगर के सृजन सोनकर विद्या मंदिर में मनाया गया संविधान दिवस*
*आरंग नगर के सृजन सोनकर विद्या मंदिर में मनाया गया संविधान दिवस*
आरंग
स्थानीय सृजन सोनकर विद्या मंदिर आरंग में संविधान दिवस का आयोजन किया गया। जिनमें विद्यालय के बच्चों द्वारा संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया। साथ ही संविधान में निहित शब्दों में हम भारत के लोग, संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न , समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, गणराज्य , सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना, स्वतंत्रता प्रतिष्ठा और अवसर की समता, व्यक्ति की गरिमाव राष्ट्र की अखंडता को विस्तार से प्रस्तुत किया गया जिनमें बच्चों ने संविधान में लिए गए उन शब्दों की बारीकियों को रखा । साथ ही संविधान विषय पर गीत, कविता, भाषण व प्रश्न मंच का आयोजन हुआ ।
इस अवसर पर विद्यालय के अध्यक्ष श्री छत्रधारी सोनकर ने बताया कि गणतंत्र और लोकतंत्र में क्या अंतर होता है आज राजा का बेटा राजा नहीं, अपितु योग्यता धारी राजा बन सकता यह सब संभव हो पाया तो इसका पूरा श्रेय जाता है भारतीय संविधान को जिसके माध्यम से सबको अवसर की समानता और स्वतंत्रता का अधिकार मिल पाया है। श्री रोहित कुमार यादव व्याख्याता राजनीति विज्ञान ने अपने उद्बोधन में जानकारी दी कि स्वतंत्रता के पश्चात देश को चलाने के लिए किस प्रकार से नीति नियमों की आवश्यकता हुई और विभिन्न देशों के संविधान के सारगर्भित अंशों को लेकर भारत का संविधान तैयार किया गया। जिसमें संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को बनाया गया। जिनके मार्गदर्शन में संविधान तैयार हुआ। आज उनके द्वारा किये गए कार्यों की वजह से ही हम सब एक मंच पर बैठकर एक दूसरे से चर्चा कर पा रहे हैं। व्याख्याता सरिता सोनकर ने बताया कि संविधान निर्माण के लिए 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। कैलाश कुमार साहू ने बताया कि भारत का संविधान विश्व का एकमात्र वृहद कठोर व लचीले का समन्वय युक्त संविधान है। विद्यालय की प्राचार्य श्रीमती यशोदा योगी ने कहा कि जिस प्रकार से देश को चलाने के लिए संविधान की आवश्यकता है वैसे ही जीवन में सफलता के लिए नियमो का आवश्यकता है।उपप्राचार्य श्रीमती भारती वर्मा ने जानकारी दी कि संविधान निर्माण सभा समिति में सदस्य के रूप में छत्तीसगढ़ के लोगों का भी सहयोग रहा है जिनमें अविभाजित मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल जी का योगदान उल्लेखनीय है सांस्कृतिक प्रभारी श्री चेतन सिंह चौहान ने संविधान के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय संविधान की मूल प्रति हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित थी। इसमें टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था। दोनों ही भाषाओं में संविधान की मूल प्रति को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था। रायजादा का खानदानी पेशा कैलिग्राफी का था। उन्होंने नंबर 303 के 254 पेन होल्डर निब का इस्तेमाल कर संविधान के हर पेज को बेहद खूबसूरत इटैलिक लिखावट में लिखा है। इसे लिखने में उन्हें 6 महीने लगे थे। जब उनसे मेहनताना पूछा गया था तो उन्होंने कुछ भी लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने सिर्फ एक शर्त रखी कि संविधान
के हर पृष्ठ पर वह अपना नाम लिखेंगे और अंतिम पेज पर अपने नाम के साथ अपने दादा श्री रामप्रसाद सक्सेना का भी नाम लिखेंगे। भारतीय संविधान के हर पेज को चित्रों से आचार्य नंदलाल बोस ने सजाया है। इसके अलावा प्रस्तावना पेज को सजाने का
काम राममनोहर सिन्हा ने किया है। वह नंदलाल बोस के ही शिष्य थे। संविधान की मूल प्रति भारतीय संसद की लाइब्रेरी में हीलियम से भरे केस में रखी गई है।
इस अवसर पर विद्यालय प्रबंध समिति के संरक्षण श्री लखनलाल सोनकर, अध्यक्ष श्री छत्रधारी सोनकर, उपाध्यक्ष श्री सियाराम सोनकर, कोषाध्यक्ष श्री देवेंद्र सोनकर, सचिव श्री सूरज सोनकर, सह सचिव श्री सतीश सोनकर , प्रधानपाठक सुश्री सोहाग देवांगन,मनहरण लाल यादव, सरिता योगी,आशा सोनकर, रवि सोनकर, पुष्पा सोनकर, पुष्पा गुप्ता,गौतम जलक्षत्री, हंसराज जलक्षत्री, दीपक वर्मा,त्रिलोकी साहू गुपेश साहू,दुर्गेश साहू,तेजेश्वर साहू, सहित विद्यालय के समस्त शिक्षकों व बच्चों की उपस्थिति रही।