नवरात्रि का नवम दिवस एवं विजयदशमी - fastnewsharpal.com
फास्ट न्यूज हर पल समाचार पत्र,

नवरात्रि का नवम दिवस एवं विजयदशमी

 नवरात्रि का नवम दिवस एवं विजयदशमी 




नवरात्रि का नवम दिवस एवं विजयदशमी के पर्व की बधाइयां सीता रसोई संचालन ग्रुप में सन्त श्री राम बालक दास जी द्वारा अपने ऑनलाइन में जुड़े सभी सत्संगी माताओं बहनों एवं बच्चों भाइयों को दी गई, आज नवरात्रि के नवम दिवस का महत्व बताते हैं बाबा जी ने कहा कि आज का दिन माता सिद्धिदात्री का दिवस  होता है

 बाबा जी ने कहा कि सिद्धिदात्री माता अष्ट सिद्धि नव निधि की स्वामिनी है वह दसमहाविद्या की स्वामिनी भी है, भगवान शिव जी ने सिद्धि प्राप्त करने हेतु माता सिद्धिदात्री की प्रार्थना उपासना की, माता भगवती सीता सिद्धिदात्री रूप में पूजी जाती है उन्होंने ऋषि रूप में नौ सिद्धियों को प्राप्त किया और हनुमान जी को सिद्धियां प्रदान करने वाली माता सीता ही है  नवम दिवस पर माता-सीता  भगवती जी की उपासना सिद्धिदात्री के रूप में की जाती है

                 सुंदर सत्संग परिचर्चा की बधाइयां एवं शुभकामनाओं के बीच रामफल जी ने  देवी पूजी पद कमल तुम्हारे...     . के भाव को स्पष्ट करने की विनती बाबा जी से की रामचरितमानस के बालकांड के इस  प्रसंग को वर्णित करते हैं बाबा जी ने बताया कि यह प्रसंग दो माताओं के मिलन का प्रसंग है माता भवानी की पूजा करने के लिए माता सीता जब पहुंचती हैं तो माता पार्वती की वंदना करते हुए वे माता से प्रार्थना करती है और कहती हैं कि गणेश कार्तिकेय की माता आप हो 

समस्त संसार की सृष्टि लय कारी आप हो इस तरह माता सीता भवानी माता से सकाम भाव से प्रार्थना करते हुए श्री राम जी को अपने वर  रूप में मांगती हैं

            पाठक परदेसी जी ने जिज्ञासा रखी थी दशरथ जी और दशानन के चरित्र पर प्रकाश डालने की कृपा हो 

बाबाजी ने अपने चिर परिचित सरल शब्दों में कहा कि दशानन और दशरथ दोनों में ज्यादा भेद नहीं है दोनों ही मनुष्य है दोनों ही वीर  है ज्ञानी है राजा है पराक्रमी है और पराक्रमी पुत्रों के पिता भी है  दोनों की ही जीवन में खूब आशा  तृष्णा है दोनों ही की कई पत्नियां है परंतु एक भगवान श्री राम के पिता है और एक स्वयं रावण है दशरथ धर्म के साथ चलते थे और रावण अधर्म के साथ चलते थे 

          आज दशहरा अवसर पर दशरथ व दशानन के चरित्र को देखते हुए हम शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं कि आशा तृष्णा के भरे हुए जीवन, काम और क्रोध विषय और विकार दुर्गुण और विचार अहंकार मनुष्य का  अंत बिगाड़ देते हैं इसीलिए हमें इन सभी चीजों से अवश्य रूप से दूरी बनानी चाहिए दशरथ जी ने जब अपना जीवन जिया तब भी भगवान श्री राम का दर्शन प्राप्त किया और जब उनकी मृत्यु हुई तब भी उन्होंने भगवान श्रीराम का प्रेम पूर्वक नाम पुकारा तो इसीलिए उनके मृत्यु का शोक कभी नहीं किया जाता उसी प्रकार दशानन ने भी मृत्यु समय  भगवान श्री राम का नाम लिया, तो उसे भी श्री राम ने अपने पिता के समान ही मोक्ष प्रदान किया इसीलिए हमें जीवन ऐसा बनाना चाहिए कि भगवान श्रीराम का स्मरण सदैव हमारे ह्रदय में रहे और हम अंत समय आने पर भगवान प्रभु श्री राम का नाम लेकर अपनी गति को प्राप्त करें

 इस प्रकार आज का आनंददायक सत्संग पूर्ण हुआ, जिसमें बाबा जी के माता जी के भजन, तनु साहू, डुबो बत्ती यादव, शिवाली साहू जी के सुंदर रामचरितमानस की चौपाइयां पुरुषोत्तम अग्रवाल जी, पाठक परदेसी जी के मधुर भजन सभी को हृदय से आनंदित कर दिए।

 

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads