नवापारा नगर में ब्रह्माकुमारीज ने मनाया हल्दी कुमकुम
नवापारा नगर में ब्रह्माकुमारीज ने मनाया हल्दी कुमकुम
, नवापारा नगर
, हर मानव दीर्घायु के साथ संपन्नता चाहता है। जीवन में संपन्नता है, लेकिन तन स्वस्थ नहीं तो सुख की अनुभूति नहीं कर पाता, तन स्वस्थ लेकिन दरिद्रता हो तो भी सुखी नहीं हो सकता। सदा हेल्थी रहने की निशानी हल्दी, वह सुहागिन संपन्नता कि निशानी कुमकुम का टीका माथे पर लगाया जाता। मकर संक्रांति पर्व पर मनाया जाने वाला हल्दी कुमकुम कार्यक्रम में नगर के ओम शांति कालोनी में ब्रहमाकुमारी द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सेवा केंद्र संचालिका ब्रह्मा कुमारी पुष्पा बहन ने ब्रहमा कुमारी ओम शांति सभागृह में श्रेष्ठ परिवार के निर्माण में आदर्श महिला की भूमिका विषय पर नगर की महिला को संबोधित करते हुए बताया।
इस अवसर पर इंदौर से पधारे ब्रहमा कुमार नारायण भाई ने बताया कि समझ से समाज का निर्माण होता है जिसके पास अच्छी सोच, समझ ,विवेक है वह विपरीत परिस्थितियों में भी घबराता नहीं है बल्कि मन को संतुलित कर डूबती हुई नईया को भी किनारे पर लगा देती है, इसीलिए ज्ञान की देवी सरस्वती गाई हुई है। जहां विवेक रुपी सरस्वती है तो धन संपत्ति की लक्ष्मी स्वत् चली आती है, सभी देवी देवता विराजित हो जाते हैं। जहां विवेक नहीं तो बड़े-बड़े राजा महाराजाओं की महल सब ध्वस्त हो गए। आदर्श महिला उसको कहा जाता जो बातों को, बोलो को नही पकड़ती बल्कि महिला अर्थात उसकी महीनता को जानने वाली। बातों को पकड़ने के कारण द्रोपदी के एक बोल से अन्धे कीऔलाद अंधे कहने पर महाभारत खड़ी हो गई ।आज परिवार में बातों को पकड़ने के कारण सूसंवाद, परीसंवाद के बजाय एक दूसरे पर शंका, अनुमान लगाने के कारण वाद विवाद से परिवार टूटते जारहे हैं ।श्रेष्ठ परिवार तब बन सकता है जब उस परिवार की नारी परी जैसी रहती हो। परि अर्थात उड़ने उड़ाने वाली न कि बातों को पकड़ने वाली। घर परिवार में रहते सभी को निस्वार्थ प्यार, सहयोग करने वाली। साथ में उतनी ही सबसे न्यारी रहने वाली परी जैसी नारी हीश्रेष्ठ परिवार की रचना कर सकती है। इसीलिए भारत में माताओं की पूजा दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी के रूप में चली आ रही है ।
इस अवसर पर समाज सेवी अनुसार अनु सारडा ने बताया तिल का दान देना अर्थात अपने तिल जैसी छोटी-छोटी कमी कमजोरियों का दान करने से खुशी अनुभव होती है, खुशी का प्रतिक गुड ।कहा जाता खुशी जैसी खुराक नही खुशी है तो तन स्वस्थ रहता है, चेहरे पर खुशी है तो धन संपन्नता स्वत खींची चली आती है। इसलिए इस पर्व पर गुड़ तील का दान दिया जाता है।
समाजसेवी व्याख्याता कृष्णा बहन ने बताया कि इसको संक्रमण काल भी कहते हैं सूर्य मकर राशि से उत्तरायण की ओर प्रस्थान करता, दिन बड़े होते अर्थात सुख वैभव में वृद्धि ।इसी संक्रमण काल में ज्ञान सूर्य परमात्मा भी राशि बदलते परमधाम छोड़ साकार सृष्टि में अवतरित होते हैं। संसार में अनेक क्रांतिया हुई ,हर क्रांति के पीछे परिवर्तन रहता। हथियारों के बल पर जो क्रांति हुई उनमें आंशिक परिवर्तन हुआ लेकिन सदा काल का परिवर्तन का आधार संस्कार परिवर्तन है ।इस क्रांति के बाद सृष्टि में कोई क्रांति नहीं, संक्रांति का त्योहार उसी महान क्रान्ति की यादगार में मनाया जाता है ।
इस अवसर पर . मुख्य वक्ता ब्रम्हाकुमारी प्रिया बहन ने बताया....बताया की खिचड़ी का दान भी करते हैं मनुष्य के संस्कारों में आसुरीयत की मिलावट हो गई अत संस्कार खिचड़ी हो गए जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार बनाने हैं। इर्षा, द्वेष छोड़ संस्कारों का मिलन इस प्रकार करना है जिस प्रकार खिचड़ी मिलकर एक हो जाती। परमात्मा की आज्ञा है कि तिल के समान अपनी छोटी छोटी कमी कमजोरियों की तिलांजलि देनी है तब जीवन में सदा काल खुशी रह सकती है। कार्यक्रम के अंत में सभी को तिल के लड्डू, हल्दी, कुमकुम प्रदान की गई।