*ब्रह्माकुमारीज नगरी में वसंत पंचमी महोत्सव मनाया गया*
*ब्रह्माकुमारीज नगरी में वसंत पंचमी महोत्सव मनाया गया*
नगरी
आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के अंतर्गत ब्रह्मा कुमारीज नगरी में बसंत पंचमी महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गयाl इस कार्यक्रम के अतिथि श्रीमती ललिता साहू पार्षद श्रीमती महेश्वरी साहू अध्यक्ष ब्लॉक महिला प्रकोष्ठ नगरी श्रीमती कुलेश्वरी ध्रुव श्रीमती नीलकमल ठाकुर व्याख्याता श्रीमती फुलेश्वरी साहू श्रीमती झरना साहू एवं बड़ी संख्या में बहने एवं भाई उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का आगाज ब्रह्माकुमार पितांबर भाई ने सुमधुर गीत गाकर किया तत्पश्चात ब्रह्माकुमारी बी यदु बहन एवम नागेश बहन ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की इस कार्यक्रम में अपने दिव्य उद्बोधन में नगरी सेव्जयोगिनी ब्रह्माकुमारी माधुरी दीदी जी ने बसंत पंचमी पर्व के आध्यात्मिक रहस्य को बताते हुए कहा कि माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था इस दिन को ज्ञान की देवी सरस्वती और धन की देवी लक्ष्मी का जन्म दिवस भी माना जाता है इस पंचमी को बसंत पंचमी कहा जाता है क्योंकि वसंत पंचमी के दिन ही वसंत ऋतु का आगमन होता है ब्रह्मांड के संस्थापक ब्रह्मा जी ने जीवो और मनुष्यों की रचना की और जब श्री सृष्टि को देखा इसमें कोई आवाज वाणी नहीं थी भगवान विष्णु के आदेशानुसार ब्रह्मा जी अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का जिसमें अद्भुत शक्ति रुपी ज्ञान की देवी सरस्वती प्रकट हुई मां शारदे की एक हाथ में वीणा जो ज्ञान सुनाने का प्रतीक है और दूसरे हाथ में वेद जो ज्ञान का भंडार के प्रतीक हैं मां शारदे को श्वेत वस्त्र दिखाते हैं जो स्वच्छता व शांति का प्रतीक है वाहन हंस है जिसकी विशेषता है कि वह कंकड़ पत्थर छोड़ ज्ञान रूपी मोती जुगता है तथा व्यर्थ को अलग कर देता है इसी प्रकार आध्यात्मिक प्रज्ञा से भरपूर मनुष्य की बुद्धि भी तीक्ष्ण हो जाती है और हाथों में माला निरंतर परमात्मा स्मृति का प्रतीक है निरंतर ईश्वर की याद से मां सरस्वती का वरदान मिलता है इसी प्रकार मां शारदे की वर मुद्रा समभाव रखने का प्रतीक है इसी क्रम श्रीमती नीलकमल ठाकुर जी ने बसंत पंचमी पर शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि बसंत पंचमी पर प्रकृति हरी भरी रहती है और भगवान महाकाल भी आनंदित होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं इस अद्भुत पल का साल भर सबको इंतजार रहता है श्रीमती महेश्वरी साहू ने कहा बसंत पंचमी मुख्य रूप से प्रकृति और भारतीय परंपरा से जुड़ा हुआ त्यौहार है बसंत पंचमी बसंत ऋतु की ताजगी और खूबसूरती का उत्साह होता है जब सूर्य की किरणें और दिनों से उजली हो खेतों में पीली सरसों लहराए बागों में पीले फूल खिल उठे पेड़ों पर अजब हरियाली हो तो हमें समझ जाना चाहिए बसंत पंचमी का आगमन हो चुका है इस समय सभी के मन में एक अलग ही सकारात्मक ऊर्जा रहती हैं साथ ही श्रीमती ललिता साहू ने बसंत पंचमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा की बसंत पंचमी खुशियों के साथ-साथ शिक्षा ज्ञान और समृद्धि का त्यौहार हैl अंत में स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित किया गया । कार्यक्रम का संचालन ब्रम्हाकुमारी निशा बहन के द्वारा किया गयाl