मड़ई महोत्सव- गरियाबंद 3 साल बाद मड़ई-मेले की फिर वही धूम, उमड़े लोग
मड़ई महोत्सव- गरियाबंद 3 साल बाद मड़ई-मेले की फिर वही धूम, उमड़े लोग
मड़ई महोत्सव या मेला सांस्कृतिक छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्यौहार न केवल मजेदार और मनमोहक बनाता है बल्कि राज्य की समृद्ध परंपरा और संस्कृति को भी दर्शाता है।
गरियाबंद
चंडी चौक में शुक्रवार से चार दिवसीय मड़ई और चंडी मेले का शुभारम्भ हुआ। चंडी माता की परिक्रमा और मनोकामना पूर्ति के बाद हुई मड़इ की शुरुवात गरियाबंद की मड़ई का क्षेत्र में विशेष महत्व है। क्योंकि यहां ना केवल गरियाबंद, सतधार, पारागांव, बम्हनी मरोदा और छिन्दोला हसौदा गांव से भी आंगा देवताओं का आगमन होता है। फिर सभी देवताओं की एक साथ सवारी निकलती है। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है।
गरियाबंद मड़ई समिति के तत्वावधान में आयोजित मेले में गांधी मैदान तिरंगा चौक ले कर गायत्री मंदिर तक दुकाने सजी हुई है ख़ास कर लाइटिंग से सजा हूँ मीना बाज़ार आकर्षण का केंद्र बना हुआ है दूधिया रोशनी से नहाए गांधी चौक के आसपास के क्षेत्रों में गांधी मैदान मीना बाज़ार में लोगों मेले का आनंद लेने लगे ।
छत्तीसगढ़ की पारंपरिक व सांस्कृतिक पहचान है मड़ई मेला रितिक सिन्हा
मड़ई समिति के उपाध्यक्ष एवं पार्षद रितिक सिन्हा बतलया ,
गरियाबंद में चंडी चौक से मड़ई मेले की शुरुआत होती है। उसके बाद भूतेश्वरनाथ चौक और शारदा चौक में पूजा किया जाएगा । उन्होंने बताया कि शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों को ख़ास सुविधाएं दी जाती हैं। दुकानदारों की दूसरी पीढ़ी भी यहां आई है। मेले में नवयुवकों की टीम ने लोगों की सुविधाओं पर ध्यान दिया।
झूलों का आनंद मड़ई मेला में बच्चों ने झूलों का आनंद लेंगे। विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों ने कला के हुनर की शानदार प्रस्तुति दी। मिट्टी की कलाकृतियां सबसे आकर्षक हैं। कपड़े, बर्तन, सौंदर्य प्रसाद, गृहस्थी आदि के सामानों पर लोगों ने खरीदारी की। गुड़ की मिठाई जमकर बिकी। चाट फुल्की और समोसे के स्टालों पर लोगों की भीड़ लगी थी।
सालो पुराना इतिहास, है गरियाबंद की मड़ई
शहर का सबसे पुराना व पहला मड़ई मेला चंडी चौक में शुक्रवार से लगा। जानकारों के अनुसार मड़ई मेलों का आयोजन सदियों से हो रही है इसका उद्देश्य स्थानीय व्यापारियों, छोटे दुकानदारों, फेरी वालों को रोजगार देना था। इसमेें सामाजिक मेलजोल को बढ़ाना भी शामिल था। पार्षद रितिक सिन्हा ने बतलाया मड़ई मेलों की सूचना महीनों पहले आसपास के गांवों, जिलों में दे दी जाती थी। यह एक तरह से संस्कृति संगम स्थल हुआ करता था। इसमें व्यापारी, आमजन और साहूकार भी शामिल होते थे। वे अपने अपने क्षेत्रों के उत्पाद, हस्तशिल्प, संस्कृति से जुड़े गीत-संगीत आदि का प्रदर्शन करते है । मेले के चलते यहां का बाजार बहुत ज्यादा चलता है। ये रिश्ते जोडऩे का माध्यम भी बनते हैं।
मड़ाइ समिति- सरांक्षक- ग़फ़्फ़ु मेमन मनहोर सिन्हा रामभरोसा ठाकुर हेमलाल सिन्हा श्याम गुप्ता सेवा गुप्ता अध्यक्ष ओम् राठौर उपाध्यक्ष रितिक सिन्हा राजेश साहू जीतूँ सेन मुक्कु रामटेके सचिव बिरु यादव कोषाध्यक्ष रीखी यादव महासचिव महेंद्र राजपूत भावेश सिन्हा, कृषक पंचायत सदस्य कपूर तारक।