आज का सुविचार(चिन्तन) - fastnewsharpal.com
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आज का सुविचार(चिन्तन)

 💠 *Aaj_Ka_Vichar*💠

🎋 *..01-05-2022*..🎋


✍🏻शक्कर को चाहे अंधेरे में खाएं या उजाले में, मुँह मीठा ही होता है। उसी प्रकार अच्छे कर्मों को हम अनजाने में भी करें, तो भी उसका फल मीठा ही होगा।

💐 *Brahma Kumaris Daily Vichar* 💐

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💥 *विचार परिवर्तन*💥

✍🏻रेत में गिरी हुई शक्कर चींटी तो उठा सकती है, मगर हाथी नहीं, इसलिए छोटे आदमी को छोटा न समझें। कभी-कभी छोटा आदमी भी बड़ा काम कर जाता है! पैसा सिर्फ़ लाइफ़स्टाईल बदल सकता है, दिमाग़, नीयत और क़िस्मत नहीं!
🌹 *Brahma Kumaris Daily Vichar*🌹
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🙏 *ॐ शांति* 🙏

सम्पन्नता *मन* की *अच्छी* होती है *धन* की नहीं... क्योंकि धन की सम्पन्नता *अहंकार* देती है और मन की सम्पन्नता *संस्कार* ...

🌸 सुप्रभात...

💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐
🇲🇰ओम शांति ब्रह्मा मुख्य द्वारा सत्य गीता ज्ञान दाता निराकार शिव भगवानुवाच l🇲🇰 

👸मीठे बच्चे भगवान बाप करते हैं तुम्हारा, ज्ञान योग से श्रृंगार l देह अभिमान में आकर, इस शृंगार को, बिगाडना नहीं बार-बार l माया भी बार बार, करेगी वार l इसलिए तुम्हें रहना है सदा, होशियार I 🉐

✡️आत्मा मालिक को, ध्यान देना है सदा, मन, बुद्धि, संस्कारों पर, बनकर पहरेदार I इन शक्तियों को, अपने वश ना करें, कोई भी विकार l निरंतर ज्ञान की पढ़ाई से, बनो समझदार l🙇🏻‍♂️

 👨🏼‍🦱अपने दिल से पूछो, कौन है उसका, सच्चा आधार l भगवान बाप की ही, याद हो दिल में,  उनसे ही हो, दिल का प्यार l दिल में होता रहे सदा, उनका ही दीदार l 🖊️

🎇फिर माया का हर वार, हो जाएगा बेकार l फिर सर्व आत्माओं के प्रति हो, शुभ भावना और प्यार भरा व्यवहार l सभी से मिलता रहेगा, फिर आपको, स्नेह,  सम्मान और सत्कार l 🛐

🤗फिर खत्म हो जाएगा, हर प्रकार का डर और देह अहंकार l देह में रहते, बन जाओगे,विदेही, अशरीरी, निराकार l 

✡️फिर आपके जीवन में आएगी सदा, खुशियों की बहार l आपकी पावन मीठी जीवन से, संसार भी बन जाएगा, खुशबूदार l🇲🇰
💧 *_आज का मीठा मोती_*💧
_*01 मई:-*_ ज़िन्दगी में अच्छे लोगो की तलाश मत करो खुद अच्छे बन जाओ क्योकि जब लोग आपसे मिले तो उनकी तलाश पूरी हो जाए अर्थात खुद को सर्व गुणों से सजाये।
        🙏🙏 *_ओम शान्ति_*🙏🙏
       🌹🌻 *_ब्रह्माकुमारीज़_*🌻🌹
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 *प्रातः स्मरण करे🌹*
        *अहंकार का भाव ना रखूँ,* 

        *नहीं किसी पर क्रोध करूँ,*

        *देख दूसरों की बढ़ती को,* 

        *कभी ना ईष्या भाव रखूँ,*

        *रहे भावना ऐसी मेरी*, 

        *सरल सत्य व्यवहार करूँ,*

      *बने जहाँ तक इस जीवन में,*

        *औरों का उपकार करूँ ।।*
               OM shanti
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*"वो दे दे तो शुक्र कर*"

*"ना दे तो सब्र कर*"

*ऐ बंदे,तू अपनी जिन्दगी में..*

*इन दो बातों पर अमल कर.*.
              ॐ शान्ति
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
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 *बिना स्वार्थ किसी का*

        *भला करके देखिए*

*आप की तमाम उलझनें*

        *उपर वाला सुलझा देगा*
        ओम शान्ति
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अनमोल वचनः
 *ज़िदंगी "माँ" जैसी होनी चाहिए, किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि दूसरों के पास कैसी है, सबको बस यही लगता है कि मेरे पास सबसे अच्छी है।*

🙏ओम् शान्ति 🙏

💐आपंका दिन शुभ हो 💐


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🙏 *ॐ शांति* 🙏

कई बार हम कोई *गलती* कर देते हैं तो *भगवान* या *इंसान* से माफी मांगते हैं। यह तो अच्छा है, परंतु सबसे अच्छा है स्वयं को *क्षमा* करना अर्थात खुद को *आत्मग्लानि* की भावना से बाहर जाना, क्योंकि यह भावना *आत्मा* को इतना *कमजोर* कर देती है कि जीवन में आगे बढ़ना *मुश्किल* हो जाता है।

🌸 सुप्रभात...

💐💐 आपका दिन शुभ हो... 💐💐




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.            *आनंदित रहने की कला*

एक राजा बहुत दिनों से विचार कर रहा था कि वह राजपाट छोड़कर *अध्यात्म* (ईश्वर की खोज) में समय लगाए । 
राजा ने इस बारे में बहुत सोचा और फिर अपने गुरु को अपनी समस्याएँ बताते हुए कहा कि उसे राज्य का कोई योग्य वारिस नहीं मिल पाया है । राजा का बच्चा छोटा है, इसलिए वह राजा बनने के योग्य नहीं है । 
जब भी उसे कोई पात्र इंसान मिलेगा, जिसमें राज्य सँभालने के सारे गुण हों, तो वह राजपाट छोड़कर शेष जीवन अध्यात्म के लिए समर्पित कर देगा ।

*गुरु ने कहा, "राज्य की बागड़ोर मेरे हाथों में क्यों नहीं दे देते ? क्या तुम्हें मुझसे ज्यादा पात्र, ज्यादा सक्षम कोई इंसान मिल सकता है ?"*

राजा ने कहा, *"मेरे राज्य को आप से अच्छी तरह भला कौन संभल सकता है ?*
 *लीजिए, मैं इसी समय राज्य की बागड़ोर आपके हाथों में सौंप देता हूँ ।"*

गुरु ने पूछा, *"अब तुम क्या करोगे ?"*

राजा बोला, *"मैं राज्य के खजाने से थोड़े पैसे ले लूँगा, जिससे मेरा बाकी जीवन चल जाए ।"*

गुरु ने कहा, *"मगर अब खजाना तो मेरा है, मैं तुम्हें एक पैसा भी लेने नहीं दूँगा ।"*

राजा बोला, *"फिर ठीक है, "मैं कहीं कोई छोटी-मोटी नौकरी कर लूँगा, उससे जो भी मिलेगा गुजारा कर लूँगा ।"*

गुरु ने कहा, *"अगर तुम्हें काम ही करना है तो मेरे यहाँ एक नौकरी खाली है । क्या तुम मेरे यहाँ नौकरी करना चाहोगे ?"*

राजा बोला, *"कोई भी नौकरी हो, मैं करने को तैयार हूँ ।"*

*गुरु ने कहा, "मेरे यहाँ राजा की नौकरी खाली है । मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए यह नौकरी करो और हर महीने राज्य के खजाने से अपनी तनख्वाह लेते रहना ।"*
एक वर्ष बाद गुरु ने वापस लौटकर देखा कि राजा बहुत खुश था । 
अब तो दोनों ही काम हो रहे थे । जिस अध्यात्म के लिए राजपाट छोड़ना चाहता था, वह भी चल रहा था और राज्य सँभालने का काम भी अच्छी तरह चल रहा था । अब उसे कोई चिंता नहीं थी ।

 *क्या परिवर्तन हुआ ?*
 *कुछ भी तो नहीं!* 
*राज्य वही,*
 *राजा वही,* 
*काम वही;* 
*बस दृष्टिकोण बदल गया ।*

इसी तरह  जीवन में अपना दृष्टिकोण बदलें । 
मालिक बनकर नहीं, बल्कि यह सोचकर सारे कार्य करें की, *"मैं ईश्वर कि नौकरी कर रहा हूँ"* 
*अब ईश्वर ही जाने।*
*सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दें ।*
 *फिर आप हर समस्या और परिस्थिति में खुशहाल रह पाएँ।

🙏🙏


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