*संविधान हमे मौलिक कर्तव्य के साथ साथ हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाती है*
*संविधान हमे मौलिक कर्तव्य के साथ साथ हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाती है*
गरियाबंद
गरियाबंद जिला व तहसील स्थित ग्राम पीपरछेड़ी के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में संविधान दिवस धूमधाम से मनाया गया l कार्यक्रम के इस अवसर पर विद्यार्थियों के द्वारा देश भक्ति गीत का भी आयोजन रखा गया जिसमें विद्यालय के व्याख्याता ओमप्रकाश वर्मा, दिनेश कुमार निर्मलकर , रितु ठाकुर, पूर्वी देवांगन व अन्य छात्र-छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। संविधान दिवस के इस अवसर पर संस्था प्रमुख श्री बसंत त्रिवेदी ने बताया कि, यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है।
जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। राजनीति शास्त्र व्याख्याता श्री दिनेश निर्मलकर ने कहा कि साल 2015 में भारत सरकार ने 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया था। हम हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय संविधान दिवस या संविधान दिवस मनाते हैं। इस दिन का महत्व यह है कि इस दिन 1949 में भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया था । हालाँकि, भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था । हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। वही व्याख्याता श्री केपी साहू व ओम प्रकाश वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा की 11 अक्टूबर 2015 को, मुंबई में इंदु मिल्स कंपाउंड में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की समानता की मूर्ति स्मारक की आधारशिला रखते हुए, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक घोषणा की। 19 नवंबर 2015 को, भारत सरकार ने राजपत्र में अधिसूचना द्वारा आधिकारिक तौर पर 26 नवंबर को राष्ट्रीय संविधान दिवस के रूप में घोषित किया।
डॉ. बी.आर. अम्बेडकर जी जिन्हे हम बाबा साहब भी कहते है, संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। उन्होंने भारतीय संविधान के प्रारूपण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दिन को मनाने के लिए चुनने के पीछे संविधान के महत्व के साथ-साथ बाबा साहेब अंबेडकर के विचारों और विचारों का प्रसार करना है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पहले हम इस दिन को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में मनाते थे। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विद्यार्थियों के साथ साथ व्याख्याता श्री वीरेंद्र सिन्हा, किरण लाल दीवान, एच एन यादव, एच के दाऊ, श्रीमति नूतन साहू, हितेंद्र सहित समस्त कर्मचारियों की उपस्थिति रही एवम् व्याख्याता श्री दीपक गवली, सूरज महडिक क व श्रीमती योगेश्वरी यादव का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ।