*संतुष्ट रहने का महामंत्र* --असंतोष के दस कारण तो असंतोष के सौ कारण भी होते है--ब्रह्मा कुमार नारायण भाई - fastnewsharpal.com
फास्ट न्यूज हर पल समाचार पत्र,

*संतुष्ट रहने का महामंत्र* --असंतोष के दस कारण तो असंतोष के सौ कारण भी होते है--ब्रह्मा कुमार नारायण भाई

 *संतुष्ट रहने का महामंत्र* --असंतोष के दस कारण तो असंतोष  के सौ कारण भी होते है--ब्रह्मा कुमार नारायण भाई





अलीराजपुर 

,मनुष्य अनेक वस्तु चाहता है ।  अपने से बड़े और सुखी संपन्न स्थिति के लोगों को देखकर यह इच्छा उत्पन्न होती है कि हमारे पास भी इतना ही "वैभव" और "ऐश्वर्य" क्यों न हो ?*  इस प्रकार की *"तृष्णा"* ही *"असंतोष" का कारण देखी जाती है । हमें चाहिए कि अपने से नीचे गिरे हुए, दु:खी और गरीबों से अपनी तुलना करके संतोष की साँस लें कि परमात्मा ने हमें अनेकों से कमजोर भले ही बनाया हो,  पर असंख्यों से ऊँचा भी रखा है ।



"असंतोष" के यदि दस  कारण जीवन में होते हैं,  तो सौ कारण संतोष के भी होते हैं ।जो कुछ संतोष के कारण हमें प्राप्त हैं, उन पर विचार करें और उनसे अपना चित्त  प्रसन्न रखने का प्रयत्न करें तो दृष्टिकोण के बदलते ही मन की खिन्नता का प्रत्यावर्तन प्रसन्नता और उल्लास में हो जाता है । यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने दीपा की चौकी पर स्थित ब्रह्माकुमारी सभागृह में संतुष्ट रहने का मंत्र विषय पर नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया। इस अवसर पर गोंदिया से पधारी ब्रह्माकुमारी प्रतिभा बहन ने बताया कि हर इच्छा किसी की भी पूरी नहीं हुई ।सबको जो कुछ मिला है उसी पर सब्र करके अधिक प्राप्ति के लिए प्रयत्न करते रहना पड़ता है । यही क्रम शांति दायक है, इसी को अपनाकर हम संतोष के अधिकारी बन सकते है।

       इतिहास की तरफ जब भी  हम नज़र डालते हैं, तो हम देखते हैं, कि जितने भी अच्छे और बुरे लोग हुए हैं, वे सभी प्रायः अपने बोल से ही पहचाने गए Iअतः हालात चाहे जैसे भी हों, हमें अपने बोल पर बहुत सावधानी रखनी चाहिए I

       *क्योंकि बोलने वाले के लिए तो बोल सिर्फ वर्तमान तक सीमित होते हैं, लेकिन सुनने वाले के लिए वे बोल इतिहास बन जाते हैं.I उदाहरण के लिए जैसे कि : द्रौपदी के दो शब्दों (अंधे की औलाद अंधे ) *से महाभारत  का  युद्ध खड़ा हो गया था I

*इसलिए हमेशा सोच समझ कर  बोलिए,  कम बोलिए, धीरे बोलिए, मीठा बोलिए I

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads