माता कालरात्रि की पूजा के साथ अष्टमी हवन की तैयारी में जुटे भक्तजन - fastnewsharpal.com
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माता कालरात्रि की पूजा के साथ अष्टमी हवन की तैयारी में जुटे भक्तजन

 माता कालरात्रि की पूजा के साथ अष्टमी हवन की तैयारी में जुटे भक्तजन



आरंग में आदिशक्ति के विविध रूपों के होते हैं दर्शन

आरंग

राजा मोरध्वज की प्राचीन नगरी आरंग जिसे मंदिरों का शहर और और शिव नगरी के नाम से भी जाना जाता है आदिशक्ति महामाया के विविध रूपों के लिए भी प्रख्यात है। कहा जाता है कि रतनपुर की महामाया महाकाली के रूप में है तथा रायपुर में महालक्ष्मी के रूप में और आरंग की महामाया महा सरस्वती के रूप में भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है। यहां जगदंबा के विविध रूप शीतला माता, कंकाली माता, दंतेश्वरी दाई, चंडी माता, समिया माता, शक्ति मौली माता, खल्लारी माता, छोटी महामाया, संतोषी माता, पाताल भैरवी, त्रिपुर सुंदरी, सात बहिनिया, षोडसी माता, अंबा दुर्गा माता, काली माता,सती अनुसुइया,भूरी माई आदि भक्तों के आस्था एवं श्रद्धा के केंद्र हैं। जनश्रुति के अनुसार पहले कोई भक्त आदिशक्ति महामाया से प्रत्यक्ष बातें भी करती थी, वही कहते हैं कि सामिया माता में सभी देवियों की बैठक भी होती है और माता समिया को छीट की साड़ी अत्यंत प्रिय है, यदि भक्तों की माने तो नवरात्र एवं विशेष पर्वों में यहां चित्र विचित्र देवी घटनाएं भी परिलक्षित होती रही है, कई लोग यह भी दावा करते हैं की नवरात में हरदेव लाल बाबा ग्राम देवता सफेद घोड़े पर सवार होकर निकलते हैं। नवरात्र में विसर्जन के अवसर पर भक्तगण जोत जवारा और अपना बाना ( सांग) के साथ नृत्य करते हैं तो लोग दांतों तले उंगलियां दबाते हैं इसलिए आरंग को झांकियां की नगरी, भंडारे की नगरी, तालाबों की नगरी, दानशीलता की नगरी,माता की नगरी, भक्तों की नगरी भी कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा यहां वर्ष भर घंटे घड़ियाल एवं वाद्य यंत्रों के साथ भक्तों के समूह को देखा जा सकता है यह वह नगर है  जहां भगवान राम एवं कृष्ण दोनों का आगमन हो चुका है, प्राचीन इतिहास के अनुसार आरा + अंग से आरंग नामकरण हुआ वहीं अब यह भी कहा जाने लगा है की जो यहां आता है इसके रंग में रंग जाता है अतः इसका नाम आरंग है पर कटु सच्चाई यह है कि अपने प्राचीन इतिहास एवं भव्यता को समेटे  आरंग के मंदिरों के संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता है।वही श्रद्धालु भक्तों ने नवरात्र के सप्तम दिवस पर माता कालरात्रि की पूजा अर्चना एवं जस गीत के साथ अष्टमी को माता भद्रकाली की पूजा अर्चना एवं हवन आदि की तैयारी में जुट गए है।

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